दिन : बृहस्पतिवार
विक्रम संवत् : 2082
अयन : दक्षिणायण
ऋतु : शरद
मास : भाद्रपद
पक्ष : शुक्ल
तिथि : द्वादशी रात्रि 04:08 बजे तक तत्पश्चात त्रयोदशी
नक्षत्र : उत्तराषाढ़ा रात्रि 11:44 बजे तक तत्पश्चात श्रवण
योग : सौभाग्य दोपहर 03:22 बजे तक तत्पश्चात शोभन
करण : बव दोपहर 04:20 बजे तक तत्पश्चात बालव
राहुकाल : दोपहर 01:42 बजे से 03:16 बजे तक
सूर्योदय : प्रातः 05:48 बजे
सूर्यास्त : संध्या 06:29 बजे
दिशा शूल : दक्षिण दिशा में
ब्रह्ममुहूर्त : प्रातः 04:18 बजे से प्रातः 05:03 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:42 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक
निशिता मुहूर्त : रात्रि 11:46 बजे से रात्रि 12:32 बजे तक
सूर्य राशि : सिंह
चंद्रमा राशि : मकर
बृहस्पति राशि : मिथुन
व्रत पर्व विवरण : परिवर्तिनी एकादशी पारण, वामन जयन्ती, भुवनेश्वरी जयन्ती, कल्की द्वादशी
प्रदोष व्रत
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार 05 सितम्बर, शुक्रवार को प्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। प्रदोष पर व्रत व पूजा कैसे करें और इस दिन क्या उपाय करने से आपका भाग्योदय हो सकता है, जानिए…।
ऐसे करें व्रत व पूजा
प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं। उसके बाद बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।
पूरे दिन निराहार (संभव न हो तो एक समय फलाहार) कर सकते हैं) रहें। शाम को दोबारा इसी तरह से शिव परिवार का पूजा करें। भगवान शिवजी को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं।
आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं।
भगवान शिवजी की आरती करें। भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और उसी से अपना व्रत भी तोड़ें। उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
ये उपाय करें
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अर्ध्य दे । पानी में आकड़े के फूल जरूर मिलाएं। आंकड़े के फूल भगवान शिवजी को विशेष प्रिय हैं । ये उपाय करने से सूर्यदेव सहित भगवान शिवजी की कृपा बनी रहती है । साथ ही भाग्योदय भी हो सकता है।


if you have any doubt,pl let me know