छह सितम्बर शनिवार को अनंत चतुर्दशी, भगवान विष्णु होते हैं प्रसन्न
प्रारब्ध अध्यात्म डेस्क
पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत काल से अनंत चतुर्दशी व्रत की शुरुआत हुई। यह भगवान विष्णु का दिन माना जाता है। अनंत भगवान ने सृष्टि के आरंभ में चौदह लोकों की रचना की थी।
भगवान् श्रीहरि विष्णु द्वारा निर्मित चौदह लोक इन लोकों का पालन और रक्षा करने के लिए वह स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट हुए थे, जिससे वे अनंत प्रतीत होने लगे। इसलिए अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना गया है।
मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ यदि कोई व्यक्ति श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती हैं। धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना से यह व्रत किया जाता है। भारत के कई राज्यों में इस व्रत का प्रचलन है। इस दिन भगवान विष्णु की लोक कथाएं भी सुनी और सुनाई जाती हैं।
ऐसे बनाया जाता है अनंत सूत्र
अनंत चतुर्दशी के दिन विधि पूर्वक भगवान विष्णु के अनंत रूप का पूजन करने के बाद अनंत सूत्र बांधने का विधान है। अनंत सूत्र या अनंता सूत या रेशम की डोरी से बनाया जाता है। इसे हल्दी या केसर से रंग कर, इसमें चौदह गांठ लगाई जाती है।
प्रत्येक गांठ से पहले लेते भगवान विष्णु का नाम
प्रत्येक गांठ लगाने पर भगवान विष्णु के इन नामों का स्मरण करना चाहिए। पहले में अनंत, उसके बाद ऋषिकेश, पद्मनाभ, माधव, बैकुण्ठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविन्द। अनंत सूत्र की चौदह गांठे श्री हरि द्वारा बनाये गए चौदह लोकों का प्रतीक हैं। अनंत सूत्र को पूजन के बाद कच्चे दूध में डुबो कर हाथ पर बांधा जाता है। पुरूषों को इसे दांये हाथ पर व महिलाओं को बांए हाथ पर बांधना चाहिए।
अनंत सूत्र बांधते समय ऊँ अनंताय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। अनंत चतुर्दशी और इस दिन अनंत सूत्र बांधने के महात्म का वर्णन अग्नि पुराण और महाभारत में मिलता है। अनंत सूत्र को अनंत जीवन का प्रतीक माना जाता है, मान्यता है कि इसको बांधने से दीर्ध आयु, निरोगी काया की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही अनंता को जीवन के समस्त दुखों और पापों का नाश करने वाला माना जाता है। महाभारत में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को जुए में हारा हुआ राजपाट पुनः प्राप्त करने के लिए अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने को कहा था।
अनंत सूत्र बांधने के बाद चौदह दिनों तक तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ऐसा करने से श्री हरि की अनंत कृपा की प्राप्ति होती है। रक्षासूत्र पुरुष दाएं हाथ में और महिलाएं बाएं हाथ में बांध लें। रक्षासूत्र बांधते समय इस मंत्र का जाप करें :-
अनन्तसंसारमहासमुद्रे मग्नान् समभ्युद्धर वासुदेव।
अनन्तरूपे विनियोजितात्मामाह्यनन्तरूपाय नमोनमस्ते।।


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