Dharm Adhyatm: यहां है दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग, इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज

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प्रारब्ध अध्यात्म डेस्क 


शिव की महिमा अपरम्पार है, क्योंकि वही ऐसे भगवान हैं जो अपने भक्तों की बहुत जल्द हर बात सुनते हैं। इसलिए उन्हें भोला भंडारी भी कहा जाता है। आज हम आपको बताएंगे कि दुनिया का सबसे उॅंचा शिवलिंग कहां पर स्थित है। उसके दर्शन करने के लिए आप वहां तक कैसे पहुंच सकते हैं।


दुनिया के सबसे ऊँचे शिवलिंग को चेंकल महेश्वरम शिवपार्वती मन्दिर के नाम से जाना जाता है। यह शिवलिंग केरल राज्य के तिरुवनंतपुरम जिले में है, जो यहां के नेय्याट्टिनकारा क्षेत्र में स्थित है।




केरल में भक्तों के लिए कई लोकप्रिय मन्दिर


वैसे तो केरल राज्य में भक्तों के दर्शन पूजन के लिए कई लोकप्रिय मंदिर स्थित हैं। जहां तिरुवनंतपुरम में ही पद्मनाभस्वामी मन्दिर है, जो दुनिया का सबसे धनी और रहस्यमयी हिंदू मन्दिर है। वहीं, दुनिया का सबसे ऊॅंचा शिवलिंग चेंकल महेश्वरम शिवपार्वती मन्दिर भी तैयार हो गया है। करीब छह साल पहले वर्ष 2019 में केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के नेय्याट्टिनकारा में चेंकल महेश्वरम श्री शिव पार्वती मन्दिर के शिव लिंगम ने 111.2 फीट की रिकॉर्ड ऊंचाई मापकर दुनिया के सबसे ऊॅंचे शिवलिंग होने के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया था। इससे पहले कर्नाटक के केजीएफ जिले के कोटिलिंगेश्वर मन्दिर का 108 फीट ऊंचा शिवलिंग देश में सबसे ऊॅंचा शिवलिंग के रूप में जाना जाता था।


शिवलिंग में 12 ज्योतिर्लिंग का है समावेश


नेय्याट्टिनकारा में चेंकल महेश्वरम श्री शिव पार्वती मन्दिर के शिव लिंग का निर्माण कार्य वर्ष 2012 में शुरू हुआ था। और इसे पूरा होने में करीब 6 वर्ष लगे हैं । इसकी केवल ऊँचाई ही अधिक नहीं है, बल्कि इसकी अद्भुत बेलनाकार संरचना और इस शिवलिंग के अन्दर छुपे अनोखे आश्चर्य भी देखने लायक हैं। शिवलिंग का निर्माण करते समय निर्माण सामग्री में काशी, गंगोत्री, ऋषिकेश, रामेश्वरम, धनुष्कोडी, बद्रीनाथ, गोमुख और कैलाश जैसे विभिन्न पवित्र स्थानों का जल, रेत और मिट्टी भी मिलाई गई थी। इसलिए, चेंकल महेश्वरम श्री शिव पार्वती मन्दिर का शिवलिंग एक दिव्य संरचना माना जाता है। इस संरचना में 8 मंजिलें हैं, जिनमें से छह मानव शरीर के छह चक्रों या ऊर्जा केंद्रों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिसमें भक्तों, तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए संबंधित चक्रों पर ध्यान करने के लिए 6 ध्यान कक्ष भी हैं। संरचना की पहली मंजिल पर 108 शिवलिंग प्रतिष्ठित हैं, जहाँ आप भी कुछ मिनट ध्यान कर सकते हैं। इस महाशिवलिंग के अंदर प्रवेश करके उसके ब्रह्मांडीय प्रभाव का अनुभव भी कर सकते हैं। साथ ही शरीर के चक्रों की शक्ति बढ़ाने के लिए ध्यान कर सकते हैं। इसे इण्डिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने अब तक के सबसे ऊँचे शिवलिंग के रूप में शामिल किया है।



मानव शरीर के ऊर्जा केंद्रों पर ध्यान के लिए समर्पित


महाशिवलिंग के अन्दर प्रत्येक चक्र मानव शरीर के ऊर्जा केंद्रों पर ध्यान के लिए समर्पित है ताकि कायाकल्प हो सके। इसकी सतह प्रत्येक चक्र के सप्त या सात रंगों को दर्शाती है , अर्थात् मूलाधार (लाल), स्वाधिष्ठान (नारंगी), मणिपुर (पीला), अनाहत (हरा), विशुद्ध (नीला), आज्ञा (नीला) और अंत में सहस्रार (बैंगनी)। और सबसे ऊपर भक्त, कैलाशम (भगवान शिव और पार्वती के हिमालय निवास की प्रतिकृति) में प्रवेश कर सकते हैं। पंचाक्षरी मंत्र का जाप करते हुए महाशिवलिंग में प्रवेश करने वाले किसी भी भक्त को शिव-शक्ति स्वरूप कैलाश की समीपता या उपस्थिति में आत्म-साक्षात्कार या अहं ब्रह्मास्मि की प्राप्ति होगी, जो इस शिवलिंग के अंदर सबसे ऊपरी स्तर पर है। आध्यात्मिक अनुभव के लिए यह देश में अपनी तरह की एक अनूठी संरचना है। शिवलिंग के आधार से शीर्ष तक का मार्ग इस तरह से बनाया गया है कि यह हिमालय की सात पहाड़ियों का प्रतीक है और गुफा जैसे वातावरण में ध्यानमग्न भिक्षुओं के मनोरम भित्ति चित्रों और मूर्तियों से सुशोभित है। 


सबसे ऊपर कैलाशम


सबसे ऊपर अंतिम गंतव्य पर 'कैलाशम' (भगवान शिव और पार्वती के हिमालय निवास की प्रतिकृति) देख सकता है। उसमें भगवान शिव और पार्वती की बर्फ से ढकी मूर्तियाँ "सहस्रधलापद्म" हजार पंखुड़ियों वाले कमल के नीचे प्रतिष्ठित हैं। सभी केवल "ॐ नमःशिवाय" मंत्र का कंपन सुन सकते हैं। सबसे ऊॅंचे शिवलिंग के अलावा, भक्त चेन्कल महेश्वरम श्री शिवपार्वती मन्दिर में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगम और भगवान गणेश के 32 रूपों की पूजा कर सकते हैं जो इसे महान और दुनिया में अपनी तरह का अनूठा बनाते हैं। केरल उनके लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है जो अध्यात्म की ओर आकर्षित हैं। यहाँ के प्रसिद्ध मन्दिर में जाकर आप अध्यात्म का असली अर्थ समझ और अनुभव कर सकते हैं।


रेलमार्ग व सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते 


महेश्वरम श्री शिवपार्वती मन्दिर दक्षिण भारत के केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम शहर से 32 किलोमीटर दूर चेन्कल महेश्वरम में स्थित है। दर्शनार्थी मन्दिर परिसर में नाम मात्र शुल्क पर ठहरने के लिए सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन नेय्याट्टिनकरा है, जहाँ से आपको टैक्सी मिल जाएगी। स्टेशन से मन्दिर तक 8 किमी की दूरी है। चेकल महेश्वरम शिव पार्वती मन्दिर कन्याकुमारी से करीब 67 किमी, सुचिन्द्रम से करीब 52 किमी तथा तिरुवनंतपुरम से 32 किमी की दूरी पर स्थित है। ध्यान रहे यह नेय्याट्टिनकारा रेलवे स्टेशन से मात्र 8 किमी की दूरी पर है, यहाँ आने के लिए आपको टैक्सी मिल जाएगी। जब आप कन्याकुमारी से पद्मनाभस्वामी मन्दिर के दर्शन करने के लिए तिरुवनंतपुरम को जाते हैं तब रास्ते में यह अदभुत शिव मन्दिर पड़ता है। इस अद्भुत शिवालय के दर्शन पूजन करने के बाद ही आप आगे की यात्रा करें।

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