Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (11 फरवरी 2022)

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11 फरवरी, दिन : शुक्रवार


विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)


शक संवत : 1943


अयन : उत्तरायण


 ऋतु : शिशिर


मास : माघ (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार - पौष)


पक्ष : शुक्ल


तिथि : दशमी दोपहर 01:52 बजे तक तत्पश्चात एकादशी


नक्षत्र : मृगशिरा 12 फरवरी सुबह 06:38 बजे तक तत्पश्चात आर्द्रा


योग : वैधृति शाम 07:50 बजे तक तत्पश्चात विष्कम्भ


राहुकाल : सुबह 11:28 बजे से दोपहर 12:53 बजे तक


सूर्योदय : प्रातः 07:12 बजे


सूर्यास्त : संध्या 18:33 बजे


दिशाशूल : पश्चिम दिशा में


व्रत पर्व विवरण

 

विशेष : 12 फरवरी, शनिवार को एकादशी का व्रत उपवास रखें।

       

एकादशी व्रत के लाभ


11 फरवरी 2022 शुक्रवार को दोपहर 01:53 बजे से 12 फरवरी, शनिवार को शाम 04:27 बजे तक एकादशी है।


एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है।


जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है।


जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है। 


एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं। इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है।


धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है।


कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है।


परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है। पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गांधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ।भगवान शिवजी  ने नारद से कहा है :- एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है।

          

एकादशी के दिन करने योग्य 


एकादशी को दिया जला करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें। विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो 10 माला गुरुमंत्र का जप कर लें। अगर घर में झगड़े होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे।


एकादशी के दिन ये सावधानी रहे


महीने में 15-15 दिन में  एकादशी आती है। एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए। एकादशी के दिन जो  चावल खाता है तो धार्मिक ग्रन्थ के अनुसार, एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है।

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