JK Group Kanpur : जेके समूह ने आजादी के बाद शहर में स्वास्थ्य सेवाओं की रखी मजबूत बुनियाद

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आजादी के बाद बुनियादी ढांचा विकसित करने, सुविधाएं और संसाधन जुटाने में सरकार का दिया साथ


जेके समूह कंधे से कंधा मिलाकर अग्रणी पंक्ति में खड़ा रहा, भरपूर आर्थिक सहयोग, निर्माण भी कराए




प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर


देश-दुनिया के प्रमुख उद्योगपतियों में शहर के जेके घराने का भी नाम शुमार हैं। आजादी के बाद से प्रदेश से लेकर देश के विकास में अहम योगदान देने के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों में भी अहम रोल निभाया है। आजादी के बाद आमजन के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए सुविधाएं और संसाधन जुटाने में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए अग्रणी पंक्ति में खड़ा रहा। औद्योगिक इकाइयां स्थापित कर रोजगार सृजन का कार्य किया। वहीं, दूसरी ओर जनता को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए मजबूत बुनियादी ढांचा तैयार किया। उसी बुनियादी ढांचे के बल पर शहर ही नहीं, आसपास के 15-20 जिलों की पांच करोड़ आबादी की चिकित्सीय सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।



वर्ष 1947 में आजादी के बाद कानपुर नगर की पहचान प्रमुख औद्योगिक शहर के रूप में थी। दूसरे जिलों ही नहीं पड़ोसी राज्यों से बड़ी संख्या में लोग यहां काम के सिलसिले में आकर रहते थे। उस समय स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए महज दो अस्पताल उर्सला और डफरिन थे, जो अंग्रेजों ने स्थापित किए थे। उस समय तक यहां ओपीडी की सेवाएं ही उपलब्ध थीं। उर्सला में पुरुषों का इलाज और डफरिन में महिलाओं के इलाज की सुविधा उपलब्ध थी। उस समय इलाज की बेहतर सुविधाएं न होने की वजह से दिल्ली और मुंबई भागना पड़ता था। संपन्न लोग तो इलाज कराने में सक्षम थे, जबकि जरूरतमंद इलाज के अभाव में दम तोड़ देते थे।



आजादी के बाद सरकार के पास भी सुविधाएं और संसाधन जुटाने के लिए बजट की कमी थी। ऐसे में सरकार की परेशानी को समझते हुए आमजन की चिकित्सकीय जरूरतों को पूरा करने के लिए जेके समूह (जेके आर्गेनाइजेशन) ने आगे आकर मदद की पेशकश की। 



समूह के चेयरमैन पदमपत सिंहानिया ने जेके चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना करके सरकार के साथ मिलकर बुनियादी ढांचा तैयार करने में जुट गए। उस समय कैंसर ऐसे बीमारी थी, जिसमें पीड़ित परिवार बर्बाद हो जाता था। ऐसे में उन्होंने सबसे पहले कैंसर संस्थान बनाने का बीड़ा उठाया। तब देश में सिर्फ दो ही कैंसर संस्थान थे। कैंसर संस्थान एवं रेडियो थेरेपी की मशीनें मंगाकर उसे सरकार को सौंप दिया।




राजा दरभंगा से भूमि खरीद कर बनाया केपीएम हास्पिटल


बिरहाना रोड में राजा दरभंगा से भूमि खरीदने के बाद अपने पिता की स्मृति में कमलापत स्मारक अस्पताल (केपीएम हास्पिटल) का निर्माण कराया। भवन एवं उपकरण आदि से सुसज्जित कर वर्ष 1961 में राज्य सरकार के सुपुर्द कर दिया। चिकित्सा शिक्षा के उच्चीकरण के लिए कलाशपत सिंहानिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिसिन के भवन व वार्ड का निर्माण कराया, ताकि एमडी मेडिसिन की पढ़ाई शुरू हो सके। इसके अलावा दिल के इलाज व पढ़ाई के लिए लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान की स्थापना भी की। पदमपत सिंहानिया, उनके पुत्र गौर हरि सिंहानिया और उनके बाद यदुपत सिंहानिया सदैव आमजन के लिए सुविधाएं संसाधन जुटाने के लिए सजग रहे। उस परंपरा को समूह की नई पीढ़ी बाखूबी निभा रही है।



यह भी जानें


  • 24 मार्च 1956 को देश के प्रथम राष्ट्रपति ने आधारशिला रखी। 14 लाख की लागत से तैयार 100 बेड के जेके इंस्टीट्यूट आफ रेडियोलाजी एंड कैंसर रिसर्च का लोकार्पण वर्ष 1963 को प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने किया। यहां की ओपीडी में 200-250 कैंसर के मरीज इलाज के लिए आते हैं। 100 मरीजों को भर्ती करने व रेडियो थेरेपी करने की सुविधा है।


  • कमलापत स्मारक अस्पताल का लोकार्पण उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रभनु गुप्त ने 12 अगस्त 1961 में किया था। यहां की ओपीडी में 600-800 मरीज रोजाना आते हैं। 75 बेड की क्षमता के अस्पताल में हड्डी, जनरल सर्जरी व आंखों के आपरेशन होते हैं।


  • जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) परिसर स्थित मेडिसिन विभाग का निर्माण कराया था। उसमें 100 बेड का पूरा ब्लाक, नेफरोलाजी यूनिट, फैकल्टी के बैठने के लिए अलग-अलग कक्ष, पुस्तकालय और लेक्चर का निर्माण कराया। इसका लोकार्पण वर्ष 1972 में किया गया।



  • हृदय रोग संस्थान के लिए भूमि बागला ट्रस्ट ने प्रदान की और उस भूमि पर भवन निर्माण, उपकरण ओटी एवं बेड आदि का बंदोबस्त जेके ट्रस्ट ने वर्ष 1975 में शुरू कराया। लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान का लोकार्पण मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने 27 नवंबर 1976 में किया। यहां की ओपीडी में 800-1000 मरीज रोजाना आते हैं। दिल के इलाज एवं सर्जरी की सभी सुविधाएं हैं। 140 बेड के अस्पताल के बेड लगभग भरे रहते हैं।



जेके समूह देश का ऐसा औद्योगिक घराना है, जो चिकित्सा समेत हर क्षेत्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सहयोग के लिए सदैव तत्पर रहता है। पदमपद सिंहानिया जी की सोच का ही नतीजा है कि शहर में कैंसर से लेकर दिल के इलाज की सभी सुविधाएं मुहैया हैं। जरूरतमंद मरीजों को इलाज के लिए दिल्ली व मुंबई जाने की जरूरत नहीं पड़ती है।

  • अनिल अग्रवाल, सचिव, जेके आर्गेनाइजेशन।


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