प्रारब्ध न्यूज़ डेस्क- अध्यात्म
भारत का मोढेरा सूर्य मंदिर(गुजरात), प्राचीन सनातन सभ्यता की समृद्धियों का प्रतीक है। इस मंदिर में प्रवेश करने पर सबकी उदासियां खत्म हो जाती हैं एवं अतीत के महान सनातनी पूर्वजों के अदम्य भक्ति से उत्पन्न वैभव के सामने घुटने टेक देती हैं आज यह मंदिर अपने यौवन के दिनों की तरह की स्थिति में नहीं है फिर भी इसकी छटा देखने की बनती है।
यह मंदिर गुजरात राज्य के मेहसाणा जिले के मोढरा गांव में स्थित है। यह गांव मेहसाणा से 25 किलोमीटर एवं 106 किलोमीटर अहमदाबाद से दूर हैं।
अलबरूनी ने इस मंदिर परिसर में स्थित एक कुंड के बारे में लिखा है कि जब हमने इसे देखा तो चकित रह गए व हमारे पास इसकी प्रशंसा के लिए शब्द नहीं थे। धरती पर इसकी खूबसूरती के बराबर वाले इमारतों का निर्माण संभव नहीं है। इस कुंड के चारों 108 छोटे-छोटे मंदिर हैं। इस मंदिर की संरचना ऐसी है कि 21 मार्च और 21 सितंबर के दिन सूर्य की प्रथम किरण इसके गर्भ ग्रह के भीतर स्थित मूर्ति के ऊपर पड़ती हैं।
इस मंदिर का निर्माण इस तरीके से हुआ था कि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक सूर्य किसी भी दिशा में हो, गर्भग्रह के पास स्थित दो स्तंभ हमेशा उसके प्रकार के दायरे में रहते हैं। मंदिर के मंडप में 52 स्तंभ है जो साल के 52 सप्ताह की ओर इशारा करते हैं जो कि एक अनूठी स्थापत्य कला का प्रतीक है।
उन्नत वास्तुकला के मिलन के सहयोग से बना यह वैभवशाली मंदिर हमारी समृद्धि संस्कृत का गवाह है।वर्तमान समय में यह भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है और इस मंदिर में पूजा की इजाजत नहीं है।
if you have any doubt,pl let me know