Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (01 नवम्बर 2021)

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01 नवम्बर, दिन : सोमवार


विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)


शक संवत : 1943


अयन : दक्षिणायन


ऋतु - हेमंत


मास - कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार अश्विन)


पक्ष -  कृष्ण


तिथि - एकादशी  दोपहर 01:21 तक तत्पश्चात द्वादशी


नक्षत्र -  पूर्वाफाल्गुनी दोपहर 12:53 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी


योग -  इन्द्र रात्रि 09:05 तक तत्पश्चात वैधृति


राहुकाल -  सुबह 08:07 से सुबह 09:32 तक


सूर्योदय - 06:42

 

सूर्यास्त - 18:01


दिशाशूल - पूर्व  दिशा में


पंचक


12 नवंबर 2021 से 16 नवंबर 2021 तक। 


09 दिसंबर 2021 से 14 दिसंबर 2021 तक।


एकादशी 


01 नवंबर : रमा एकादशी


14 नवंबर : देवुत्थान एकादशी


30 नवंबर : उत्पन्ना एकादशी


14 दिसंबर : मोक्षदा एकादशी


30 दिसंबर : सफला एकादशी

प्रदोष


02 नवंबर : भौम प्रदोष


16 नवंबर : भौम प्रदोष


02 दिसंबर : प्रदोष व्रत


31 दिसंबर : प्रदोष व्रत


पूर्णिमा


18 नवंबर : कार्तिक पूर्णिमा


18 दिसंबर : मार्गशीर्ष पूर्णिमा


अमावस्या


04 नवम्बर : कार्तिक अमावस्या


04 दिसम्बर : मार्गशीर्ष अमावस्या


व्रत पर्व विवरण - रमा एकादशी, गोवत्स द्वादशी


विशेष - हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l   राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।


आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l


एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।


एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।


जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।

     

रमा एकादशी


रमा एकादशी ( यह व्रत बड़े – बड़े पापों को हरनेवाला, चिन्तामणि तथा कामधेनु के समान सब मनोरथों को पूर्ण करनेवाला है |


गोवत्स द्वादशी


कार्तिक मास (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अश्विन मास) की द्वादशी को गोवत्स द्वादशी कहते हैं । इस दिन यानी 01 नवम्बर 2021 सोमवार को दूध देने वाली गाय को उसके बछड़े सहित स्नान कराकर वस्त्र ओढाना चाहिये, गले में पुष्पमाला पहनाना , सींग मढ़ना, चन्दन का तिलक करना तथा ताम्बे के पात्र में सुगन्ध, अक्षत, पुष्प, तिल, और जल का मिश्रण बनाकर निम्न मंत्र से गौ के चरणों का प्रक्षालन करना चाहिये ।


क्षीरोदार्णवसम्भूते सुरासुरनमस्कृते ।

सर्वदेवमये मातर्गृहाणार्घ्य नमो नमः ॥

(समुद्र मंथन के समय क्षीरसागर से उत्पन्न देवताओं तथा दानवों द्वारा नमस्कृत, सर्वदेवस्वरूपिणी माता तुम्हे बार बार नमस्कार है।)


पूजा के बाद गौ को उड़द के बड़े खिलाकर यह प्रार्थना करनी चाहिए-

“सुरभि त्वं जगन्मातर्देवी विष्णुपदे स्थिता ।

सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्तमिमं ग्रस ॥

ततः सर्वमये देवि                 

  मातर्ममाभिलाषितं सफलं कुरू नन्दिनी ॥“


(हे जगदम्बे ! हे स्वर्गवासिनी देवी ! हे सर्वदेवमयी ! मेरे द्वारा अर्पित इस ग्रास का भक्षण करो । हे समस्त देवताओं द्वारा अलंकृत माता ! नन्दिनी ! मेरा मनोरथ पूर्ण करो।) इसके बाद रात्रि में इष्ट , ब्राम्हण , गौ तथा अपने घर के वृद्धजनों की आरती उतारनी चाहिए।

       

धनतेरस


02 नवम्बर 2021 मंगलवार को धनतेरस है ।


‘स्कंद पुराण’ में आता है कि धनतेरस को दीपदान करनेवाला अकाल मृत्यु से पार हो जाता है | धनतेरस को बाहर की लक्ष्मी का पूजन धन, सुख-शांति व आंतरिक प्रीति देता है | जो भगवान की प्राप्ति में, नारायण में विश्रांति के काम आये वह धन व्यक्ति को अकाल सुख में, अकाल पुरुष में ले जाता है, फिर वह चाहे रूपये – पैसों का धन हो, चाहे गौ – धन हो, गजधन हो, बुद्धिधन हो या लोक – सम्पर्क धन हो | धनतेरस को दिये जलाओगे .... तुम भले बाहर से थोड़े सुखी हो, तुमसे ज्यादा तो पतंगे भी सुख मनायेंगे लेकिन थोड़ी देर में फड़फड़ाकर जल – तप के मर जायेंगे | अपने – आपमें, परमात्मसुख में तृप्ति पाना, सुख - दुःख में सम रहना, ज्ञान का दिया जलाना – यह वास्तविक धनतेरस, आध्यात्मिक धनतेरस है |



 कर्ज-निवारक कुंजी भौम प्रदोष व्रत

02 नवम्बर 2021मंगलवार को भौम प्रदोष व्रत है।


त्रयोदशी को मंगलवार  उसे भौम प्रदोष कहते हैं। इस दिन नमक, मिर्च नहीं खाना चाहिये, इससे जल्दी फायदा होता है | मंगलदेव ऋणहर्ता देव हैं। इस दिन संध्या के समय यदि भगवान भोलेनाथ का पूजन करें तो भोलेनाथ की, गुरु की कृपा से हम जल्दी ही कर्ज से मुक्त हो सकते हैं। इस दैवी सहायता के साथ थोड़ा स्वयं भी पुरुषार्थ करें। पूजा करते समय यह मंत्र बोलें –

मृत्युंजयमहादेव त्राहिमां शरणागतम्। जन्ममृत्युजराव्याधिपीड़ितः कर्मबन्धनः।।     

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