दिनांक 09 सितम्बर, दिन : गुरुवार
विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)
शक संवत : 1943
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : शरद
मास : भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - श्रावण)
पक्ष - शुक्ल
तिथि - तृतीया रात्रि 12:18 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र - हस्त दोपहर 02:31 तक तत्पश्चात चित्रा
योग - शुक्ल रात्रि 08:43 तक तत्पश्चात ब्रह्म
राहुकाल - दोपहर 02:09 से शाम 03:42 तक
सूर्योदय - 06:25
सूर्यास्त - 18:46
दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
पंचक
18 सितंबर दोपहर 3.26 बजे से 23 सितंबर प्रात: 6.45 बजे तक
व्रत और त्योहार
एकादशी
17 सितंबर : परिवर्तिनी एकादशी
प्रदोष
18 सितंबर : शनि प्रदोष व्रत
पूर्णिमा
20 सितंबर : सोमवार भाद्रपद
अमावस्या
07 सितंबर : मंगलवार भाद्रपद अमावस्या
व्रत पर्व विवरण -
हरितालिका- केवड़ा तीज, वराह जयंती, संत चरनदास जी जयंती (ति. अ.) सामवेदी श्रावणी
विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
गणेश उत्सव
10 अगस्त 2021 शुक्रवार से गणेश उत्सव शुरू हो रहा है जो की ये 10 दिन भगवान गणेश को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए बहुत ही खास माने जाते हैं। वास्तुशास्त्र में भी कुछ वस्तुओं का खास संबंध भगवान गणेश से माना जाता है। यदि आज इन 5 में से एक भी वस्तु घर लाई जाए तो भगवान गणेश के साथ-साथ देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है और घर-परिवार पर उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है।
1-गणेश की नृत्य करती प्रतिमा
धन संबंधी परेशानियां दूर करने के लिए नृत्य करती गणेश प्रतिमा घर में रखना शुभ माना जाता है। प्रतिमा को इस तरह रखें कि घर के मेन गेट पर भगवान गणेश की दृष्टि रहे।
2-बांसुरी
बांसुरी घर में रखने से घर में लक्ष्मी का वास बना रहता है।इससे घर के वास्तु दोष दूर होते हैं और धन पाने के योग बनने लगते हैं।
3-एकाक्षी नारियल
जिस घर में एकाक्षी नारियल रखा जाता है और इसकी नियमित पूजा होती है, वहां नेगेटिविटी नहीं ठहरती है, न ही कभी धन-धान्य की कमी होती है।
4-घर के मंदिर में शंख
शंख में वास्तु दोष दूर करने की अद्भुत शक्ति होती है। जिस घर के पूजा स्थल में शंख की स्थापना भी की जाती है, वहां देवी लक्ष्मी स्वयं निवास करती हैं।
कुबेर
भगवान कुबेर उत्तर दिशा के स्वामी माने जाते हैं, इसलिए उत्तर दिशा में इनकी मूर्ति रखने से घर में कभी पैसों की कमी नहीं होती।
वास्तु शास्त्र
इस तरह कर सकते हैं वास्तुदोष का अंत
घर का जो हिस्सा वास्तु के अनुसार सही न हो, वहां घी मिश्रित सिंदूर से श्री गणेश स्वरुप स्वस्तिक दीवार पर बनाने से वास्तु दोष का प्रभाव कम होने लगता है।
आर्थिक परेशानी रहती हो तो
अथर्ववेद की गणेश उपनिषद के अनुसार दूर्वा ( जो गणेशजी की पूजा के काम में आता है ) उसे घी में डुबायें और आहूति दें। ये मंत्र बोल कर आहूति डालें " ॐ गं गणपतये स्वाहा "
समाज में हर काम में विफलता - अपयश मिलता हो तो
जिन लोगो को समाज में हर काम में विफलता मिलती है, अपयश मिलता है, वे लोग साल (संस्कृत में उसे लाजा कहते है ) में घी मिलाकर गणपति मंत्र से हवन करें तो कार्य सिद्ध होते हैं । यश की वृद्धि होती है ।
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