दादी मां के नुस्खे : बहुपयोगी है सोंठ

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प्रारब्ध न्यूज डेस्क, लखनऊ


पुराने जमाने में हमारी दादी और नानी मां घरेलू नुस्खे अपना कर सेहतमंद रखती थीं। जैसे-जैसे हम आधुनिक होते जा रहे हैं अपनी पुरानी चीजों के भूलते जा रहे हैं। समय के साथ बदलाव ने बच्चे, बड़े और बुजुर्गों की छोटी-छोटी समस्याओं पर दवइयों पर निर्भरता बढ़ा दी है। आएं जाने दादी मां के पुराने नुस्खे, जो हमे सेहतमंद रखने में कारगर साबित होते थे।


जब अदरक सूख जाती है तब उससे सोंठ बनती है। सोंठ पाचनतंत्र के लिए अत्यंत उपयोगी औषधि माना गया है। हमारे शरीर के संगठन को सुधारती है, मनुष्य की जीवनशक्ति और रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ाती है। यह आम, कफ व वात नाशक है। गठिया, दमा, खाँसी, कब्जियत, उल्टी, सूजन, हृदय रोग, पेट रोग और वातरोगों को दूर करने में कारगर औषधि है।


सोंठ के औषधीय प्रयोग


वातनाशक गोलियाँ


सोंठ के चूर्ण में समान भाग गुड़ और थोडा सा घी मिलाकर दो-दो ग्राम की गोलियाँ बना लें। 1 या दो गोली सुबह नियमित सेवन करने से वायु और वर्षाकालीन जुकाम से रक्षा होती है। बारिश में सतत भीगते–भीगते काम करनेवाले किसानों और खेती के काम में लगे मजदूरों के लिए अत्यंत लाभदायक है। इससे शारीरिक शक्ति और स्फूर्ति बनी रहती है।


सिरदर्द में उपयोगी


सोंठ को पानी के साथ घिसलें। इसका लेप माथे पर लगाने से कफ की वजह से होने वाले सिरदर्द में राहत मिलती है।


मन्दाग्नि दूर करने का उपाए


मन्दराग्नि का मतलब है भूख कम लगना। ऐसे में सोंठ का आधा चम्मच चूर्ण थोड़े से गुड़ में मिलाकर तैयार कर लें। उसका कुछ दिन तक प्रात:काल सेवन करने से जठराग्नि तेज होती है यानी भूख बढ़ने लगती है। मन्दाग्नि दूर होती है।


कमर दर्द व गठिया


सोंठ को मोटा कूट लें। एक चम्मच सोंठ दो कप पानी में डाल के उबालें। जब आधा कप पानी बचे तो उतार के छान लें। उसमें दो चम्मच अरंडी का तेल डाल के सुबह पीएं। दर्द में राहत होने तक हफ्तें में दो से तीन दिन तक यह प्रयोग करें।


पुराने जुकाम के लिए


1. पांच ग्राम सोंठ एक लीटर पानी में उबालें। दिन में तीन बार गुनगुना करके पीने से पुराने जुकाम में लाभ होता है।


2. पीने के पानी में सोंठ का टुकड़ा डालकर पानी पीते रहने से पुराना जुकाम ठीक होता है। सोंठ के टुकड़े को प्रतिदिन बदलते रहें।


3. सर्दी-जुकाम में पांच ग्राम सोंठ चूर्ण, दस ग्राम गुड़ और एक चम्मच घी को मिलालें। इसमें थोडा-सा पानी डालके आग पर रखके रबड़ी जैसा बना लें। प्रतिदिन सुबह लेने से तीन दिन में ही सर्दी-जुकाम में पूरी तरह से राहत मिल जाती है।


सावधानी : रक्तपित्त की व्याधि में तथा पित्त प्रकृति वाले ग्रीष्म व शरद ऋतु में सोंठ का उपयोग न करें।


मस्तिष्क प्रदाह


जौ का आटा पानी में घोलकर मस्तक पर लेप करने से मस्तिष्क की पित्तजनित पीड़ा शांत होती है।


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