- रेलवे वर्कशाॅप के रोलर बियरिंग अनुभाग में पानी भरा, फिर भी काम कर रहे कर्मचारी
- ट्विटर पर वीडियो वायरल, रेलवे के अधिकारियों को कारखाने की बदहाली की नहीं सुध
प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, गोरखपुर
रेलवे वर्कशॉप (रेलवे कारखाना) गोरखपुर को रेलवे मंत्रालय एवं वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों ने उपेक्षित छोड़ दिया है। जरा सी भी बरसात होने पर बुरा हाल हो जाता है। शुक्रवार को बारिश का पानी रेलवे कारखाना में भर गया। पानी निकासी का कोई इंतजाम न करके रेलवे के अधिकारी कर्मचारियों एवं मजदूरों से पानी में काम करवा रहे हैं। इलेक्ट्रिकल सप्लाई भी अनवरत जारी है, ऐसे में जान जोखिम में डाल कर रेल कर्मचारी काम कर रहे हैं।
रेलवे वर्कशाॅप की व्हील शाॅप के रोलर बेयरिंग अनुभाग का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें रेलवे कर्मचारी पानी के बीच काम करते नजर आ रहे हैं। रेलवे की बेयरिंग और पहिये तैयार किए जा रहे हैं। वर्कशाम में हर तरफ पानी भरा हुआ दिखाई पड़ रहा है। इलेक्ट्रिक से आटोमेटिक मशीनें भी चल रही हैं। इलेक्ट्रिक पैनल भी पानी में डूबे हुए नजर आ रहे हैं। कर्मचारियों के पानी में पैर भी डूबे हुए दिखाई पड़ रहे हैं।
पानी की वजह से शॉर्ट सर्किट हो सकता है। अगर पानी में करंट उतर आया तो बड़ा हादसा हो सकता है। इसके बावजूद रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी इस आेर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वायरस वीडियो को पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक (NER GM) एवं पूर्वोत्तर रेलवे को भी ट्वीट किया गया है।
ट्विटर पर ट्रोल हो रहे वीडियाे में लोग कमेंट भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक (NER GM) और चीफ मैकेनिकल इंजीनियर (CME) को यह वीडियाे फॉरवर्ड किया गया है। चीफ मैकेनिकल इंजीनियर ट्विटर पर एक्टिव ही नहीं हैं। हद तो यह है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं रेल मंत्री पीयूष गोयल ट्विटर पर बेहद सक्रिय हैं, लेकिन उनके अधिकारी निष्क्रिय हैं। सीएमई के ट्विटर हैंडल पर अभी भी पुराने सीएमई की फोटो लगी हुई है।
वर्कशॉप का निरीक्षण नहीं
वहां कार्यरत कर्मचारियों का आरोप है कि रेलवे वर्कशॉप में कर्मचारी किन हालात में काम करते हैं, उससे अधिकारियों को कोई लेनादेना नहीं है। वह तो अपने एसी केबिन में बैठकर कुर्सी तोड़ते हैं। कभी न वर्कशाॅप का निरीक्षण करने आते हैं। न ही हाल जानने का प्रयास करते हैं।
सूचना के बाद भी चुप्पी
कारखाने के जिम्मेदारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों को कारखाने की बदहाली की जानकारी दे दी गई है। यहां के कई सेक्सन में पानी भरने एवं उसके बीच कर्मचारियों के कार्य करने से भी अवगत करा दिया है। उसके बाद भी उनकी तरफ से कोई पहल नहीं हुई है।
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