Traditional Holi of Uttar Pradesh : होलिया में उड़े रे गुलाल...

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  • होलियारों की टोलियां घर-घर पहुंची, रंग संग सुरों से किया सराबाेर
  • होली गीतों यानी फाग का चढ़ा रंग, झूम उठा मोहल्ले का हर शख्स



प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर


होली में होलियारों की टोलियां फाग गाने घर-घर न पहुंचे तो होली का जोश एवं जश्न ही नहीं बन पाता है। सोमवार को सुबह से रंग और गुलाल उड़ाते हुए ढोल-मजीरा और हारमोनियम लिए होलियारों की टीमों ने जैसे ही होली गीतों पर ढाेल पर थाम लगाई। पुराने शहर का हर मोहल्ला सतरंगी सा हो गया। वहां के बाशिदों पर फाग का रंग ऐसा चढ़ा कि हर कोई उसमें सराबाेर हो गया। रंग के इस त्योहार में ‘होलिया में उड़े रे गुलाल.. और आज बृज में होली रे रसिया... में सभी मदमस्त होकर झूमते नजर आए। इसके अलावा रंग बरसे भीगे चुनरियां ली रंग बरसे... गीत से मन्नीपुरवा, भन्नानापुरवा, ज्योरा और ख्योरा समेत कई पुराने मोहल्लों में ढोलक, हारमोनियम और मंजीरे पर शाम तक लोग ठुमकते रहे। ग्वालटोली, सूटरगंज, आर्यनगर व स्वरूपनगर में पहाड़ियों ने घर-घर फाग गाकर होली की बधाई दी।


ढोलक और मंजीरा लेकर होलियारों की टीमें फाग गायकोें के साथ अनवरगंज में सुबह से ही निकल पड़ी। होली की बधाई देने वाले घर-घर गए। सुबह-सुबह होली गीतों के बीच होली का माहौल बनता चला गया। दिन चढ़ने के साथ ही फाग के बीच रंग और गुलाल फिजाओं में उड़ने लगा। शहर में कई हिस्सों में टोलियों में लोग फाग गाते और होली खेलते हुए नजर आए। इससे शहर की होली की पुरानी परंपरा ताजी होती नजर आई।


कुमाऊनी समाज के लोग टोली बनाकर पहाड़ी होली गीत गाते हुए लोगों के बीच पहुंचे। इस टोली ने इंद्रानगर, केशवपुर, नवाबगंज, ग्वालटोली व खलासी लाइन में होली गीतों की ऐसी छठा बिखेरी कि माहौल संगीत में सराबोर हो गया। टोली में ललित मोहन पाठक, नवीन चंद्र पांडेय, पूरन चंद्र पांडेय, देवेंद्र सिंह बिष्ट, मुकेश सिंह राणा, ब्रिज मोहन पाठक, राजेश पाठक, हरीश जोशी, दीपक जोशी, हेम चंद्र पाठक, गोविंद चंद्र जोशी, श्याम लोहानी, हिमांशु तिवारी, ललित उपाध्याय, हरीश जोशी व अमित तिवारी शामिल रहे।


गणेश स्तुति से फाग की शुरूआत


रंगों के त्यौहार में जहां हर कोई रंगने को बेकरार था वहीं फाग मधुर ध्वनि ने इस अवसर पर चार चांद लगा दिए। पहाड़ी होली ने शहर में जब अपनी अद्भुत छठा बिखेरी तो हर कोई उसके साथ हो लिया। पहाड़ी होली की खासियत यह है कि गणेश स्तुति से यहां फाग का आगाज होता है। ढोलक, हारमोनियम, मंजीरा जैसे वाद्य यंत्रों के साथ यह गीत घर आंगन तक पहुंचे तो लोग अपने पैरों को थिरकने से नहीं रोक सके। इन गीतों के साथ अबीर व गुलाल जब नभ में छाया तो इस सतरंगी माहौल में हर कोई डूबने को बेकरार नजर आया।


पहले जैसी बात कहां


देव नगर के दीपक तिवारी बताते हैं कि पहले घर-घर में फाग की आवाज गूंजा करती थी। हर मोहल्ले में पांच से छह टोलियां हुआ करती थीं। अब पुराने लोग नहीं रहे जो फाग गाया करते थे। इसलिए टोलियां कम हो गई हैं, जो टोलियां हैं वह भी सिमटकर छोटी हो गई हैं।


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