Prarabdh Special : नववर्ष के स्वागत को वसंत ने बढ़ाई प्रकृति खूबसूरती, व्रत-त्योहार की माला भी बनाई

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प्रारब्ध न्यूज डेस्क, लखनऊ


हिंदू पंचांग में फाल्गुन माह आखिरी महीना है। इसके बाद हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है। नववर्ष के आगमन से पहले ही वसंत ऋतु ने माहौल की खूबसूरत बनाना शुरू कर दिया है। इस माह ऋतु में बड़ा परिवर्तन हो रहा होता, वसंत ऋतु के समय पेड़-पौधे भी बौराने लगते हैं। आम के वृक्ष बौर से लद गए हैं, तितलियां और भौरे उन पर मंडरा रहे होते हैं। पेड़ों के पुराने पत्ते झड़कर नई कोपलें फूूटने लगती हैं। नए फूल आ रहे होते हैं जो प्रकृति को खूबसूरत बनाते हैं।



हिन्दू पंचाग के अनुसार नववर्ष का पहला माह चैत्र होता है और फाल्गुन आखिरी माह। इस माह में दो महत्वपूर्ण पर्व हिन्दू धर्म में खास महत्व रखते हैं, पड़ते हैं। पहली महाशिवरात्रि, मान्यताा है कि इस दिन भगवान शिव एवं महागौरा विवाह बंधन में बंधे थे। इस दिन शिव की आराधना की जाती है। दूसरा होली, इस दिन होलिका दहन किया जाता है। उसकी सुबह रंगों से होली खेली जाती है।



यह भी मान्यता है कि फाल्गुन माह में चंद्र देव का भी जन्म हुआ है। इस कारण से फाल्गुन में चंद्र देव का पूजन शुभ माना जाता है। इस माह में ऋतु में बड़ा परिवर्तन हो रहा होता है। सर्दियों के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन की तैयारी शुरू हो जाती है।


फाल्गुन माह के त्यौहार


जानकी जयन्ती


छह मार्च दिन शनिवार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को माता सीता जयन्ती के रुप में मनाया जाता है। इस दिन माता सीता का जन्म मानकर उनकी पूजा आराधना की जाती है।


विजया एकादशी


नौ मार्च, दिन मंगलवार, फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन एकादशी के व्रत का महत्व होता है। इन भगवान विष्णु को आराध्य मानकर पूजन-अर्चन किया जाता है। इस दिन व्रत करने की महत्वता है।


महाशिवरात्रि


11 मार्च, दिन गुरुवार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान भोलेनाथ की आराधना की जाती है, इस दिन लोग व्रत करके शिव-पार्वती का ब्याह रचाते हैं।


फाल्गुनी अमावस्या


14 मार्च, दिन शनिवार, इस दिन को धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों के लिए दान-तर्पण करते हैं। इस अमावस्या को श्राद्ध पूजन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।


आमलकी एकादशी


25 मार्च, दिन गुरुवार, फाल्गुन की शुक्ल एकादशी को आमलकी एकादशी कहा जाता है। इस उपवास को करना शुभ माना जाता है। सुख-समृद्धि और मोक्ष की कामना हेतु इस दिन उपवास करने का महत्व है।


होली यानी होलिकोत्सव


28 मार्च, रविवार, फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन होली का पर्व मनाया जाता है। होलिका पूजन करके शाम के समय दहन किया जाता है। होली दहन के अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है। इस पर्व का एक अपना धार्मिक महत्व माना जाता है।

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