- रूस की स्पूतनिक-वी के ट्रायल का एथिक्स कमेटी से अप्रूवल
- नवंबर अंत तक दूसरे और तीसरे फेज का शुरू होगा ट्रायल
प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, लखनऊ
कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज समेत देश के 12 सेंटरों में कोरोना की रशियन वैक्सीन के दूसरे-तीसरे फेज का ट्रॉयल नवंबर के अंत तक शुरू हो जाएग। मेडिकल कॉलेज की एथिक्स कमेटी ने वैक्सीन के ट्रॉयल के लिए अप्रूवल दे दी है। ट्रॉयल के लिए अब तक 180 वालंटियर्स पंजीकरण करा चुके हैं।
रूस में तैयार कोरोना की वैक्सीन स्पूतनिक-वी ने भारत में फेज थ्री ट्रायल के लिए डॉक्टर रेड्डी लैब्स के सहयोग से हो रहा है। ट्रायल के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआइ) से अप्रूवल मिल चुकी है। वैक्सीन के फेज-टू और फेज-थ्री टॉयल के सात माह के अध्ययन के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने भी सहमति जताई है। यह वैक्सीन 200 वालंटियर्स यानी स्वस्थ व्यक्तियों को 21 दिन के अंतराल में लगाई जाएगी। उसके बाद सात माह तक उनमें प्रतिरोधक क्षमता का अध्ययन किया जाएगा।
देश में 12 सेंटर में हो रहा शोध
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर, किश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर, केईएम पुणे, जेएसएस हॉस्पिटल मैसूर, केएलई बेलगाम, पांडेचेरी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज पुडुचेरी समेत छह निजी हॉस्पिटल भी हैं।
दो सौ वॉलंटियर्स पर अध्ययन
कानपुर के सेंटर में फेज थ्री ट्रॉयल के तहत 200 वॉलंटियर्स को वैक्सीन लगाई जाएगी। उसके हिसाब से ही 200 वैक्सीन उपलब्ध कराई जाएंगी। वॉलंटियर्स पर परीक्षण के बाद उन पर हुए असर पर अध्ययन किया जाएगा। उनके ब्लड सैंपल की रिपोर्ट रिपोर्ट आइसीएमआर को भेजी जाएगी।
यह हाे सकते वैक्सीन के दुष्प्रभाव
वैक्सीन लगाने के बाद बुखार आ सकता है। वैक्सीन लगाने की जगह सूजन, दर्द और लाली हो सकती है। इस वैक्सीन का कोई साइइ इफेक्ट नहीं देखा गया है।
वैक्सीन के नाम की यह है वजह
रूस ने वैक्सीन का नाम स्पूतनिक-वी रखा है। रूसी भाषा में स्पूतनिक शब्द का अर्थ सैटेलाइट होता है। विश्व में पहला सैटेलाइट रूस ने ही बनाया था। इसलिए उसके नाम पर वैक्सीन का नामकरण किया है।
देश के 12 सेंटरों में से कानपुर के मेडिकल कॉलेज को शामिल किया जाना बड़ी उपलब्धि है। मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सौरभ अग्रवाल की देखरेख में रूसी वैक्सीन का ट्रायल हो गया। यह सात माह तक चलेगा, जिसमें वैक्सीन लगाने के बाद उसके प्रभाव पर अध्ययन होगा, उसकी रिपोर्ट आइसीएमआर को भेजी जाएगी। एथिक्स कमेटी से अनुमति मिल गई है, नवंबर के अंतिम सप्ताह से ट्रायल शुरू होगा।
- प्रो. आरबी कमल, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर।
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