Madhya Pradesh Tourism : इस स्थान पर विराजमान है भगवान गणेश की गोबर से निर्मित मूर्ति


गोबर गणेश मंदिर में विराजमान गणपति की मूर्ति।


गणेश प्रतिमा।



प्रारब्ध न्यूज अध्यात्म डेस्क, लखनऊ 



आपको आज एक भगवान गणेश के ऐसे ही एक विशेष मन्दिर के बारे बताने जा रहे हैं, जो प्राचीन है। इसके अलावा यहाँ विराजमान भगवान गणेश की मूर्ति भी विशेष है, जिसे आपने कहीं भी नहीं देखा होगा। आइए आज बुधवार को गणपति दिवस पर एक चमत्कारी गणेश मन्दिर के दर्शन करवाते हैं।


गोबर गणेश मंदिर।



मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में नर्मदा नदी के किनारे महेश्वर नामक नगर में महावीर मार्ग पर गोबर गणेश मन्दिर स्थित है, जिनके दर्शन के लिए साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है। इस शहर को महिष्मती नाम से भी जाना जाता था। कालांतर में यह मालवा साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई होलकर की राजधानी भी रहा है। आदिगुरु शंकराचार्य तथा पंडित मण्डन मिश्र का प्रसिद्ध शास्त्रार्य महेश्वर में ही हुआ था।


यहां स्थित है गोबर गणेश मंदिर।



गणपति के दक्षिणमुखी अवस्था में बहुत कम मन्दिर मिलते हैं, उसमें प्राचीन नगर, महेश्वर के मन्दिर में गणेशजी दक्षिण दिशा में मुख करके विराजमान हैं। उसके साथ मन्दिर में जिस चीज से भगवान गणपति की प्रतिमा बनी है, वह शायद ही कहीं और होगी। यहाँ विराजमान भगवान गणेशजी की मूर्ति गोबर से निर्मित है, जिससे यह गोबर गणेश मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है।


गोबर गणेश मंदिर का गुंबद।



इस मन्दिर का बाहरी आकार किसी मस्जिद के गुंबद की तरह है। वहीं, मन्दिर के अंदर की बनावट लक्ष्मी श्रीयंत्र के आकार की तरह लगती है। इस मन्दिर में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा किसी पत्थर या धातु से बनी हुई नहीं है, बल्कि यह प्रतिमा गोबर और मिट्टी से बनी हुई है। हिंदू धर्म में गोबर को पवित्र और शुद्ध माना गया है। इस मूर्ति को बनाने में 70 से 75 प्रतिशत गोबर और 20 से 25 प्रतिशत मिट्टी और अन्य दूसरी सामग्री का प्रयोग किया गया है। ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेशजी की मिट्टी और गोबर की प्रतिमा में पंचतत्वों का वास होता है। विशेषकर इसमें महालक्ष्मी का निवास होता है, इसलिए मन्दिर में गणेशजी के साथ लक्ष्मीजी की पूजा और दर्शन होते हैं; इनके दर्शन से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 



कमल के फूल पर विराजमान करीब 10 फिट ऊॅंची गजाननजी की यह सुन्दर प्रतिमा है। गणेशजी की प्रतिमा के हाथ में लड्‍डू हैं, रिद्धि-सिद्धि भी उनके साथ विराजित हैं। उनके दर्शन से भक्तों का कल्याण होता है। मूषक भी गणेशजी के चरणों में बैठे हुए है। प्रतिमा में गणपतिजी के मस्तक पर मुकुट, गले में हार और मनमोहक श्रृंगार नजर आता है। गणेशजी का श्रृंगार होने के बाद बहुत ही मनमोहक रूप के दर्शन होते हैं। 



गोबर से बनी भगवान गणेश की मूर्ति के बारे में भी विद्वानों का तर्क है कि मिट्टी और गोबर से बनी मूर्ति की पूजा पंचभूतात्मक होती है। हमारे पूर्वज भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गोबर मिट्टी से ही गणेशजी का बिम्ब बनाकर उनकी पूजा किया करते थे। शोणभद्र शीला या अन्य सोने चांदी के बने बिम्ब को पूजा में नहीं रखते थे, क्योंकि गोबर में लक्ष्मीजी का वास होता है। इसलिए इस मन्दिर में आने वाले भक्तों की मान्यता है कि यहाँ दर्शन करने से भक्तों को भगवान गणेश के साथ माँ लक्ष्मीजी का भी विशेष आशीर्वाद मिलता है। इतना ही नहीं यहाँ करीब 12 साल से अखण्ड ज्योति जल रही है। 


गोबर गणेश की प्रतिमा की स्‍थापना कब और किसके द्वारा की गई थी, इस विषय में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। कहा जाता है कि यह मन्दिर गुप्तकालीन है, कुछ लोग इस प्रतिमा को करीब 900 वर्ष पुरानी प्रतिमा मानते हैं।



पुरातत्व विभाग के स्व. विष्णुदत्त श्रीधर वाकणकर ने जब इस मूर्ति का निरीक्षण किया था तो उन्होंने पाया कि 10 फुट ऊॅंची यह मूर्ति लगभग 500 वर्षों से भी ज्यादा पुरानी है। इस मन्दिर का जीर्णोद्घार अहिल्याबाई होल्कर ने करीब 250 साल पहले करवाया था। इस मन्दिर की देखभाल का काम श्री गोबर गणेश मन्दिर जिर्णोद्धार समिति कर रही है। यहाँ आने वाले भक्तों का भी मानना है कि यहाँ आने मात्र से ही गणपतिजी सभी की इच्छा पूरी कर देते हैं।


मंदिर तक ऐसे पहुंचे 



मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र के महेश्वर में गोबर गणेश मंदिर (महावीर मार्ग पर) पहुँचने के लिए, आपको पहले महेश्वर पहुँचना होगा, जो इंदौर से लगभग 80 किमी दूरी पर स्थित है।  मुख्य रेलवे स्टेशन इंदौर है। फिर वहाँ से बस, टैक्सी या ऑटो लेकर महेश्वर पहुँचें और शहर के अंदर महावीर मार्ग पर यह अनोखा मंदिर नर्मदा किनारे स्थित है।



हवाई मार्ग :  इंदौर का देवी अहिल्या बाई होलकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (IDR) सबसे निकटतम एयरपोर्ट है।



रेलमार्ग :  इंदौर रेलवे स्टेशन यहां का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है, जहां से महेश्वर के लिए बसें और टैक्सी आसानी से मिलती हैं।



सड़क मार्ग :  इंदौर से महेश्वर के लिए नियमित सरकारी व निजी बसें और टैक्सी मिलती हैं। दूरी करीब 80 किलोमीटर है। यह दूरी दो से ढाई घंटे में तय होती है। फिर महेश्वर से गोबर गणेश मंदिर तक आटो, ई-रिक्शा और पैदल पहुंच सकते हैं।





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