प्रारब्ध न्यूज़ ब्यूरो,पटना
बिहार विधानसभा चुनाव में पहले चरण का मतदान (वोटिंग) आज यानी गुरुवार (6 नवंबर) को हुई। पहले चरण में 121 विधानसभा क्षेत्र में वोट डाले गए। पहले चरण के मतदान में हुई रिकॉर्ड वोटिंग से सियासी समीकरण भी बदल गए हैं। रिकॉर्ड वोटिंग को लेकर एनडीए और महागठबंधन के नेतृत्व ने अपने-अपने दावे किए हैं। बिहार के इतिहास में पहले चरण में यह सर्वाधिक वोटिंग है। इस बार पहले चरण में 36 लाख अधिक मतदाताओं ने मतदान किया। अब राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि इतनी बड़ी वोटिंग का मतलब क्या बदलाव है या जनता नीतीश कुमार की जीत पक्की करना चाहती है।
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग पूरी हो चुकी है। गुरुवार को 121 सीटों पर हुए मतदान में मतदाताओं ने जबरदस्त उत्साह दिखाया। मतदान प्रतिशत 64.66 प्रतिशत तक पहुंचा है, जो वर्ष 2020 के मुकाबले करीब 8 प्रतिशत अधिक है। बिहार के इतिहास में पहले चरण में यह सर्वाधिक वोटिंग है। वर्ष 2020 में पहले चरण में 56.1 प्रतिशत वोटिंग हुई। वहीं, वर्ष 2015 में 55.9 प्रतिशत तो वर्ष 2010 में 52.1 प्रतिशत वोटिंग हुई थी।
इस बार पहले चरण में 36 लाख अधिक मतदाताओं ने मतदान किया। वर्ष 2020 में पहले चरण में 3.70 करोड़ कुल वोटर थे, जिसमें से 2.06 करोड़ ने वोट किया था, लेकिन अबकी बार पहले चरण में कुल 3.75 करोड़ वोटर हैं, जो पिछली बार से 5 लाख अधिक हैं। इस बार की 64.66 प्रतिशत वोटिंग के हिसाब से 2.42 करोड़ लोगों ने वोट किया है।
अब राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि इतनी बड़ी वोटिंग का मतलब क्या बदलाव है या जनता नीतीश कुमार की जीत पक्की करना चाहती है। दरअसल, भारत के चुनावी इतिहास में आमतौर पर माना जाता है कि जब वोटिंग ज़्यादा होती है, तो जनता बदलाव (एंटी इंकम्बेंसी) चाहती है, लेकिन ऐसा हर बार नहीं होता। कई बार अधिक मतदान का मतलब सरकार के प्रति समर्थन (प्रो इंकम्बेंसी) भी होता है। मतलब साफ है कि वोटर्स की ये सक्रियता किस दिशा में जाएगी, यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगी।


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