प्रारब्ध अध्यात्म डेस्क
नवरात्रि 2025 का पर्व इस बार सभी के लिए खास होगा। इस वर्ष मां दुर्गा का आगमन हाथी (गज) पर होगा और प्रस्थान पालकी (मनुष्य के कंधे) से होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हाथी पर देवी का आगमन सुख-समृद्धि, व्यापार और कृषि के लिए अत्यंत शुभ फल दायक माना जाता है। वहीं, पालकी से प्रस्थान शांति, सौहार्द और प्रगति का प्रतीक है।
ज्योतिषियों का मत है कि इस नवरात्रि पर कई विशेष संयोग और राजयोग भी बन रहे हैं, जो आने वाले समय को मंगलमय बनाएंगे।
जानिए नवरात्रि का शुभारंभ और घटस्थापना मुहूर्त
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025, सोमवार से प्रारंभ हो रही है। दस दिनों तक चलने वाला महापर्व 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार को समाप्त होगा।
प्रसिद्ध आचार्य और ज्योतिषाचार्य राजेश्वर जी के अनुसार, घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 22 सितंबर को सुबह 05:34 से 07:29 बजे तक है। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त 11:14 से 12:02 बजे तक रहेगा। इस समय अवधि में घटस्थापना करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान
हर वर्ष मां दुर्गा पृथ्वी पर अलग-अलग वाहन से आती और जाती हैं।
*आगमन (2025): हाथी (गज) पर
* प्रस्थान (2025): पालकी (मनुष्य के कंधे) पर
हिंदू धर्मशास्त्रों में उल्लेख है कि हाथी पर माता का आगमन सुख-समृद्धि और उन्नति का प्रतीक है। यदि आगमन सोमवार को हो तो यह कृषि और धन-धान्य के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। वहीं, पालकी पर प्रस्थान शांति, व्यापार में वृद्धि और पड़ोसी देशों से बेहतर संबंधों का द्योतक होता है।
शारदीय नवरात्रि 2025: नौ दिनों की है पूजा
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस बार पूजा का क्रम इस प्रकार रहेगा:
* 22 सितंबर : प्रथम दिन: मां शैलपुत्री
* 23 सितंबर : द्वितीय दिन: मां ब्रह्मचारिणी
* 24 सितंबर : तृतीय दिन: मां चंद्रघंटा
* 25 सितंबर : चतुर्थ दिन: मां कूष्माण्डा
* 26 सितंबर : पंचम दिन: मां स्कंदमाता
* 27 सितंबर : षष्ठम दिन: मां कात्यायनी
* 28 सितंबर : सप्तम दिन: मां कालरात्रि
* 29 सितंबर : अष्टम दिन: मां महागौरी
* 30 सितंबर : नवम दिन: मां सिद्धिदात्री
* 01 अक्टूबर : विजयादशमी
ज्योतिषीय दृष्टि से बन रहा है यह विशेष संयोग
पंचांग के अनुसार, नवरात्रि के बीच 24 सितंबर को चंद्रमा तुला राशि में प्रवेश करेंगे। यहां पहले से ही पराक्रमी ग्रह मंगल विराजमान रहेंगे। चंद्रमा (धन और सुख का कारक) जब मंगल (ऊर्जा और साहस का ग्रह) से मिलते हैं, तो यह एक विशेष महालक्ष्मी राजयोग का निर्माण करता है।
यह योग विशेष रूप से आर्थिक उन्नति, साहसिक कार्यों की सफलता और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि का कारण बनेगा। साथ ही, व्यापार और नौकरीपेशा लोगों के लिए भी यह संयोग शुभ संकेत लेकर आएगा।
क्या कहती हैं मान्यताएं क्योंकि धार्मिक शास्त्रों में वर्णित है:
शशि सूर्य गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥
अर्थात् जब मां गज (हाथी) पर सवार होकर आती हैं तो यह वर्ष अत्यंत शुभ माना जाता है। वहीं, पालकी से प्रस्थान भी परिवार और समाज में स्थिरता और सौहार्द का प्रतीक है।


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