Medical Update : नाक के रास्ते अब निकाले जा रहे ब्रेन के ट्यूमर

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  • कानपुर पीजाआई के न्यूरो सर्जरी विभाग में एंडोस्कोपी से नाक से अंदर जाकर सर्जरी करने की सुविधा
  • सर्जरी की इस विधा में न्यूरो सर्जन के साथ आपरेशन थियेटर में ईएनटी व एंडोक्राइनोलाजिस्ट भी रहते 




प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर 


न्यूरो सर्जन अब एंडोस्कोपी की मदद से नाक के रास्ते अंदर जाकर ब्रेन से ट्यूमर निकालने लगे हैं। गणेश शंकर विद्यार्थी स्मरक चिकित्सा महाविद्यालय  के कानपुर पीजीआई में के न्यूरो सर्जरी विभाग में नाक के रास्ते ब्रेन के अंदर जाकर आठ मरीजों के ब्रेेन ट्यूमर निकाले जा चुके हैं। इस सर्जरी में मरीजों के सिर और माथे में किसी प्रकार का दाग भी नहीं पड़ता है। अभी तक ऐसे आपरेशन दिल्ली के एम्स औैर लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई में ही होते थे।


कानपुर पीजीआई के न्यूरो सर्जरी विभाग के न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो.  मनीष सिंह ने बताया कि नाक से एंडोस्कोपी डालकर मस्तिष्क के निचले हिस्से यानी पिट्यूटरी ग्रंथि के आसपास के ट्यूमर निकाले जाते हैं। इसके जरिये ब्रेन के नीचले हिस्से से पिट्यूटरी ग्रंथि व उसके आसपास तक पहुंचकर ट्यूमर निकालने में कम से कम कांट-छांट होने से मरीजों को अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है। 


न्यूरो सर्जरी विभाग में 1.50 करोड़ रुपये से क्रेनियल एंडोस्कोप मंगाया गया है। उसके बाद नाक के जरिये जाकर ब्रेन के निचले हिस्से और पिट्यूटरी ग्रंथि, नाक, साइनस और गले के ट्यूमर निकालने की जटिल सर्जरी होने लगी है। इस जटिल आपरेशन में न्यूरो सर्जन, ईएनटी सर्जन और एंडोक्राइनोलाजिस्ट की टीम मिलकर करती है, जिससे किसी प्रकार की समस्या होने पर तत्काल मरीज की समस्या को दूूर किया जा सके। इस आपरेशन में मुख्य भूमिका में न्यूरो सर्जन होते हैं, जबकि ईएनटी सर्जन नाक के जरिये अंदर जाने के दौरान मदद और निगरानी करते हैं। आपरेशन के दौरान किसी प्रकार का हार्मोनल असंतुलन को संभालने के लिए एंडोक्राइनोलाजिस्ट रहते हैं। सर्जरी के लिए डाक्टरों की टीम में न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रो. मनीष सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर डा. पंकज कुमार और असिस्टेंट प्रोफेसर डा. आलोक श्रीवास्तव हैं। ईएनटी विभागाध्यक्ष प्रो. एसके कनौजिया, प्रोफेसर डा. हरेंद्र गौतम, एसोसिएट प्रोफेसर डा. अमृता श्रीवास्तव हैं।


आंखों में आई कमजोरी, अब सुधार


बर्रा-आठ निवासी 53 वर्षीय उमा रानी को दिक्कत थी, उन्हें चक्कर आते रहते थे। आंखों की रोशनी भी जाने लगे थी। जांच में पता चला कि ब्रेन के निचले हिस्से में ट्यूमर का पता चला। ऐसे में नाक के रास्ते जाकर ट्यूमर निकालने की सर्जरी की गई,  जिससे के बाद से उन्हें आराम मिला है। आंखों की रोशनी आ गई है, आइसीयू में भर्ती हैं। इसी तरह फर्रुखाबाद निवासी 40 वर्षीय रक्षा पाल भी आइसीयू में हैं। उनका आपरेशन एक सप्ताह पहले किया गया था, जिसके बाद से उनकी स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है। अब वह चलने-फिरने लगे हैं।

 

सर्जिकल टीम की मदद से दो माह में आठ आपरेशन किए गए हैं। इन सभी मरीजों के ब्रेन के निचले हिस्से और पिट्यूटरी ग्रंथि के आसपास ट्यूमर थे। क्रेनियल एंडोस्कोप की मदद से ब्रेन के निचले हिस्से में जाकर ट्यूमर निकाला गया है, जिसमें कम से कम कांट-छांट की गई। सिर और चेहरे पर किसी तरह का दाग भी नहीं पड़ा। इस जटिल प्रक्रिया में आपरेशन के दौरान सावधानी बहुत जरूरी है। इस प्रक्रिया से नाक के रास्ते रिसने वाले मस्तिष्क के पानी को भी रोकने के लिए सर्जरी की जाती है।


प्रो. मनीष सिंह

विभागाध्यक्ष, न्यूरो सर्जरी, कानपुर पीजीआई।

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