Health Tips : दादी मां के नुस्खे : वसंत ऋतु में सेहत के लिए घरेलू उपाय

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प्रारब्ध हेल्थ डेस्क, लखनऊ

अगर पाचनशक्ति है कमजोर

सौंफ और जीरा समान मात्रा में लेकर सेंक लें। भोजन के बाद अच्छी तरह चबा के खाने से पाचनशक्ति मजबूत होती है।

अपच हो तो


अपच होने पर अजवाइन, सौंठ और काली मिर्च का मिश्रण बना कर उसका पाउडर तैयार कर लें। उस पाउडर की एक चुटकी नियमित लेने से पाचन शक्ति ठीक होगी। सुबह इस मिश्रण को लेने के दो से तीन घंटे बाद भोजन करें।


सिरदर्द, मुँह के छाले


10 ग्राम सूखा धनिया और 5 ग्राम आँवला चूर्ण रात को मिटटी के पात्र में एक गिलास पानी में भिगो दें। प्रात: मसलकर मिश्री मिला के छान के पिएं। यह गर्मी के कारण होनेवाले सिरदर्द व मुंह के छालों में हितकर है। धनिया पीसकर सिर पर लेप करने से भी आशातीत लाभ होगा। इससे पेशाब की जलन, गर्मी के कारण चक्कर आना तथा उलटी होना आदि समस्याएँ दूर होती हैं।

मसूढ़ों की सूजन


जामुन के वृक्ष की छाल के काढ़े का कुल्ले करने से दाँतों के मसूढ़ों की सूजन मिटती है। हिल्ते दाँत मजबूत होते हैं।


मूत्र में जलन होने पर पिसा हरा धनिया तथा मिश्री नारियल पानी में मिला के पीने से जलन दूर होती है।


 कइयों को सिर में दर्द रहता है तो क्या करें ? 


 देशी गाय के घी में कपूर घिस के माथे पर थोडा लगा लें व जरा सूँघे तो पित्तजन्य सिरदर्द छू !

 

जिन बच्चों को सर्दी हो जाती है, नाक बहती रहती है – उन्हें सुबह खाली पेट थोडा गुनगुना पानी पिलाओ दो–पाँच–दस दिन | नाक बहने की तकलीफ, सर्दी, खाँसी भाग जायेगी |


दूसरा उपाय – १० ग्राम लहसुन कूट के उसकी चटनी बना लों और उसमें ५० ग्राम शहद मिला दो | इसे सर्दियों में या ऋतू-परिवर्तन के दिनों में जब खाँसी आये या नाक बहे, बच्चों की भूख कम हो जाय तो बालक की उम्र के हिसाब से एक-दो ग्राम से लेकर पाँच – सात – दस ग्राम तक चटायें | इससे भूख खुलकर लगेगी, सर्दी भाग जायेगी, नाक बहना भी ठीक हो जायेगा |


आँतों की पुष्टि :


 खजूर आँतों के हनिकारक जीवाणुओं को नष्ट करता है, साथ ही खजूर के विशिष्ट तत्त्व ऐसे जीवाणुओं को जन्म देते हैं जो आँतों को विशेष शक्तिशाली तथा अधिक सक्रिय बनाते हैं |


हृदय रोगों में : 


लगभग 50 ग्राम गुठली रहित छुहारे (खारक) 250 मी. ली. पानी में रात को भिगो दें | सुबह छुहारों को पीसकर पेस्ट बना के उसी बचे हुए पानी में घोल लें | इसे प्रात: खाली पेट पी जाने से कुछ ही माह में ह्रदय को पर्याप्त सबलता मिलती है | इसमें १ ग्राम इलायची चूर्ण मिलाना विशेष लाभदायी है |


तन-मन की पुष्टि : 


बच्चों को दूध में खजूर उबाल के देने से उन्हें शारीरिक-मानसिक पोषण मिलता है व शरीर सुदृढ़ बनता है |


शैयामूत्र : 


जो बच्चे रात्रि में बिस्तर गीला करते हों, उन्हें दो छुहारे रात्रि में भिगोकर सुबह दूध में उबाल के दें |


बच्चों के दस्त में : 


बच्चों के दाँत निकलते समय उन्हें बार बार गारे दस्त होते हों या पेचिश पड़ती हो तो खजूर के साथ शहद को अच्छी तरह फेंटकर एक-एक चमच दिन में 2-3 बार चटाने से लाभ होता है |


मस्तिष्क व हृदय की कमजोरीः 


रात को खजूर भिगोकर सुबह दूध या घी के साथ खाने से मस्तिष्क व हृदय की पेशियों को ताकत मिलती है। विशेषतः रक्त की कमी के कारण होने वाली हृदय की धड़कन व एकाग्रता की कमी में यह प्रयोग लाभदायी है।


मलावरोधः 


रात को भिगोकर सुबह दूध के साथ लेने से पेट साफ हो जाता है।


कृशताः 


खजूर में शर्करा, वसा (फैट) व प्रोटीन्स विपुल मात्रा में पाये जाते हैं। इसके नियमित सेवन से मांस की वृद्धि होकर शरीर पुष्ट हो जाता है।


रक्ताल्पताः 


खजूर रक्त को बढ़ाकर त्वचा में निखार लाता है।


शुक्राल्पताहा 


खजूर उत्तम वीर्यवर्धक है। गाय के घी अथवा बकरी के दूध के साथ लेने से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त अधिक मासिक स्राव, क्षयरोग, खाँसी, भ्रम(चक्कर), कमर व हाथ पैरों का दर्द एवं सुन्नता तथा थायराइड संबंधी रोगों में भी यह लाभदायी है।


सावधानी

 

आजकल खजूर को वृक्ष से अलग करने के बाद रासायनिक पदार्थों के द्वारा सुखाया जाता है | ये रसायन शरीर के लिए हानिकारक होते है | अत: उपयोग करने से पहले खजूर को अच्छी तरह से धों लें | धोकर सुखाने के बाद इन्हें विभिन्न प्रकार से उपयोग किया जा सकता है |


 होली के बाद खजूर खाना हितकारी नहीं है।


Diabities वाले खजूर की जगह पर किशमिश का उपयोग करना |


नारी कल्याण पाक


यह पाक युवतियों, गर्भिणी, नवप्रसूता माताएँ तथा महिलाएँ – सभी के लिए लाभदायी है |


लाभ : यह बल व रक्तवर्धक, प्रजनन – अंगों को सशक्त बनानेवाला, गर्भपोषक, गर्भस्थापक (गर्भ को स्थिर – पुष्ट करनेवाला), श्रमहारक (श्रम से होनेवाली थकावट को मिटानेवाला) व उत्तम पित्तनाशक है | एक – दो माह तक इसका सेवन करने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया, अत्यधिक मासिक रक्तस्राव व उसके कारण होनेवाले कमरदर्द, रक्त की कमी, कमजोरी , निस्तेजता आदि दूर होकर शक्ति व स्फूर्ति आती है | जिन माताओं को बार-बार गर्भपात होता हो उनके लिए यह विशेष हितकर है | सगर्भावस्था में छठे महिने से पाक का सेवन शुरू करने से बालक हृष्ट-पुष्ट होता है, दूध भी खुलकर आता है |


धातु की दुर्बलता में पुरुष भी इसका उपयोग कर सकते हैं |


सामग्री : सिंघाड़े का आटा, गेंहू का आटा व देशी घी प्रत्येक २५० ग्राम, खजूर १०० ग्राम, बबूल का पिसा हुआ गोंद १०० ग्राम, पिसी मिश्री ५०० ग्राम|


विधि : घी को गर्म कर गोंद को घी में भून लें | फिर उसमें सिंघाड़े व गेंहू का आटा मिलाकर धीमी आँच पर सेंके | जब मंद सुगंध आने लगे तब पिसा हुआ खजूर व मिश्री मिला दें | पाक बनने पर थाली में फैलाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर रखें |


सेवन-विधि : २ टुकड़े ( लगभग २० ग्राम ) सुबह शाम खायें | ऊपर से दूध पी सकते हैं |


सावधानी : खट्टे,  मिर्च-मसालेदार व तेल में तले हुए तथा ब्रेड-बिस्कुट आदि बासी पदार्थ न खाये |


काजू प्रयोग


पैरो की एडियों में दरारे हो, पेट में कृमि हो तो बच्चों को 2-3 काजू शहद के साथ अच्छी तरह से चबा चबा कर खाने दें,और बड़े है तो 5/7 काजू। कृमि,कोढ़, काले मसुडों आदि में आराम होगा |


काजू प्रयोग से मन भी मजबूत होता है



स्फूर्तिदायक पेय


2 चम्मच मेथीदाना 200 मि.ली. पानी में रात को भिगोकर रखें। सुबह धीमी आँच पर चौथाई पानी शेष रहने तक उबालें। छानकर गुनगुना रहने पर 2 चम्मच शुद्ध शहद मिलाकर पियें। दिन भर शक्ति व स्फूर्ति बनी रहेगी।


शक्ति संवर्धक आहार


बाजरे के आटे में तिल मिलाकर बनायी गयी रोटी पुराने गुड़ व घी के साथ खाना, यह शक्ति-संवर्धन का उत्तम स्रोत है। 100 ग्राम बाजरे से 45 मि.ग्रा कैल्शियम, 5 मि.ग्रा. लौह व 361 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। तिल व गुड़ में भी कैल्शियम व लौह प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।


इलायची


इलायची औषधीय रूप से अति महत्त्वपूर्ण है | यह दो प्रकार की होती है – छोटी व बड़ी |


छोटी इलायची : यह सुंगधित, जठराग्निवर्धक, शीतल, मूत्रल, वातहर, उत्तेजक व पाचक होती है | इसका प्रयोग खाँसी, अजीर्ण, अतिसार, बवासीर, पेटदर्द, श्वास ( दमा ) तथा दाहयुक्त तकलीफों में किया जाता है |


औषधीय प्रयोग


- अधिक केले खाने से हुई बदहजमी एक इलायची खाने से दूर हो जाती है |


- धूप में जाते समय तथा यात्रा में जी मचलाने पर एक इलायची मुँह में डाल दें |


- 1 कप पानी में 1 ग्राम इलायची चूर्ण डालके 5 मिनट तक उबालें | इसे छानकर एक चम्मच शक्कर मिलायें | 2-2 चम्मच यह पानी 2-2 घंटे के अंतर लेने से जी – मचलाना, उबकाई आना, उल्टी आदि में लाभ होता है |


- छिलके सहित छोटी इलायची तथा मिश्री समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनालें | चुटकीभर चूर्ण को 1-1 घंटे के अंतर से चूसने से सूखी खाँसी में लाभ होता है | कफ पिघलकर निकल जाता है |


-सूखी खांसी में घी के मालपुए बनाकर दूध में डूबो दो l २ घंटे तक डूब जाएँ, फिर वो मालपुए खा लो l सूखी खांसी में आराम होगा l


- रात को भिगोये 2 बादाम सुबह छिलके उतारकर घिसलें | इसमें 1 ग्राम इलायची चूर्ण, आधा ग्राम जावित्री चूर्ण, 1 चम्मच मक्खन तथा आधा चम्मच मिश्री मिलाकर खाली पेट खाने से वीर्य पुष्ट व गाढ़ा होता है |


- आधा से 1 ग्राम इलायची चूर्ण का आँवले के रस या चूर्ण के साथ सेवन करने से पेशाब और हाथ-पैरों की जलन दूर होती है |


- आधा ग्राम इलायची दाने का चूर्ण और 1-2 ग्राम पीपरामूल चूर्ण को घी के साथ रोज सुबह चाटने से ह्रदयरोग में लाभ होता है |


- छिलके सहित 1 इलायची को आग में जलाकर राख कर लें | इस राख को शहद मिलाकर चाटने से उलटी में लाभ होता है |


- 1 ग्राम इलायची दाने का चूर्ण दूध के साथ लेने से पेशाब खुलकर आती है एवं मूत्रमार्ग की जलन शांत होती है |


सावधानी : रात को इलायची न खायें, इससे खट्टी डकारें आती है | इसके अधिक सेवन से गर्भपात होने की भी सम्भावना रहती है |


ह्रदय रोग की सरल व अनुभूत चिकित्सा 


1 कटोरी लौकी के रस में पुदीने व तुलसी के 7-8 पत्तों का रस, 2-4 काली मिर्च का चूर्ण व 1 चुटकी सेंधा नमक मिलाकर पियें l इससे ह्रदय को बल मिलता है और पेट की गड़बडियां भी दूर हो जाती हैं l


नींबू का रस, लहसुन का रस, अदरक का रस व सेवफल का सिरका समभाग मिलाकर धीमी आंच पर उबालें l एक चौथाई शेष रहने पर नीचे उतारकर ठंडा कर लें l तीन गुना शहद मिलाकर कांच की शीशी में भरकर रखें l प्रतिदिन सुबह खाली पेट २ चम्मच लें l इससे Blockage खुलने में मदद मिलेगी l

 

अगर सेवफल का सिरका न मिले तो पान का रस, लहसुन का रस, अदरक का रस व शहद प्रत्येक १-१ चम्मच मिलाकर लें l इससे भी रक्तवाहिनियाँ साफ़ हो जाती हैं l लहसुन गरम पड़ता हो तो रात को खट्टी छाछ में भिगोकर रखें l


उड़द का आटा, मक्खन, अरंडी का तेल व शुद्ध गूगल समभाग मिलाके रगड़कर मिश्रण बनालें l सुबह स्नान के बाद ह्रदय स्थान पर इसका लेप करें l 2 घंटे बाद गरम पानी से धो दें l इससे रक्तवाहिनियों में रक्त का संचारण सुचारू रूप से होने लगता है l


1 ग्राम दालचीनी चूर्ण एक कटोरी दूध में उबालकर पियें l दालचीनी गरम पड़ती हो तो 1 ग्राम यष्टिमधु चूर्ण मिला दें l इससे कोलेस्ट्रोल के अतिरिक्त मात्रा घट जाती है l


भोजन में लहसुन, किशमिश, पुदीना व हरा धनिया की चटनी लें l आवलें का चूर्ण, रस, चटनी, मुरब्बा आदि किसी भी रूप में नियमित सेवन करें l


औषधि कल्पों में स्वर्ण मालती , जवाहरमोहरा पिष्टि, साबरशृंग भस्म, अर्जुन छाल का चूर्ण, दशमूल क्वाथ आदि हृदय रोगों का निर्मूलन करने में सक्षम है l


शक्तिवर्धक खीर :


3 चम्मच गेहूँ का दलिया व 2 चम्मच खसखस रात को पानी में भिगो दें | प्रात: इसमें दूध और मिश्री डालकर पकायें | आवश्यकता अनुसार मात्रा घटा-बढ़ा सकते हैं | यह खीर शक्तिवर्धक है |


हड्डी जोडनेवाला हलवा :


गेहूँ के आटे में गुड व 5 ग्राम बला चूर्ण डाल कर बनाया गया हलवा (शीरा) खाने से टूटी हुई हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है | दर्द में भी आराम होता है |


सर्दियों में हरी अथवा सूखी मेथी का सेवन करने से शरीर के 80 प्रकार के वायु-रोगों में लाभ होता है |


सब प्रकार के उदर-रोगों में मट्ठे और देशी गाय के मूत्र का सेवन अति लाभदायक है | (गोमूत्र न मिल पाये तो गोझरण अर्क का उपयोग कर सकते हैं |


कैन्सर में

2- 20 ग्राम तुलसी का रस , 50 ग्राम ताजा दही के साथ कुछ दिन सुबह - शाम लेने से कैन्सर में आराम होता है ।


पौष्टिक गुणों से युक्त तिल की बर्फी


1-1कटोरी तिल व मूँगफली अलग – अलग सेंक लें व एक सूखा नारियल – गोला कस लें | 500 ग्राम गुड़ की दो तार की चाशनी बनाकर इन सबकी बर्फी जमालें |


स्वादिष्ट व पौष्टिक गुणों से युक्त यह बर्फी शीत ऋतु में बहुत लाभकारी है |


वात और पित्त सम्बन्धी बीमारियों में


3 नीम के पत्ते, 2 बेल के पत्ते और 2 काली मिर्च, अच्छी तरह से पीसें और 1 कप (70-80 ml) पानी में घोल के सुबह शाम पिया करें,तो वात और पित्त सम्बन्धी बीमारियाँ मिटेंगी और भूख भी अच्छी लगेगी l


काले तिल


अष्टांग संग्रहकर श्री वाग्भट्टाचार्यजी के अनुसार 15 से 25 ग्राम काले तिल सुबह चबा-चबाकर खाने व ऊपर से शीतल जलपीने से सम्पूर्ण शरीर–विशेषत: हड्डियाँ, दांत, संधियाँ व बाल मजबूत बनते हैं |


पेट सम्बन्धी तकलीफों में


नींबू के रस में सौंफ भिगो दें और जितना नींबू का रस,उतना ही  सौंफ भी ले l फिर सौंफ में थोड़ा काला नमक या संत कृपा चूर्ण मिलाकर तवे में सेंक कर रख दो l ये लेने से पेट का भारीपन, बदहाजमी दूर होगी और भूख खुलकर लगेगी l कब्ज़ की तकलीफ भी ठीक हो जायेगी l


कफ़ रोग का इलाज


50 ग्राम शहद (honey), 50 ग्राम लहसुन (garlic), 1 ग्राम तुलसी के बीज पीस कर उसमें डाल दो, चटनी बन गयी थोड़ा-थोड़ा बच्चे को चटाओ हृदय भी मजबूत हो जायेगा, कफ़ भी नाश हो जायेगा ।


अस्थिरोग


जिनकी अस्थियाँ जकड गयी हो, टूट गयी हों, टेडी-मेढ़ी हो गयी हों अथवा जिनकी अस्थियों में पीड़ा होती हो, उनके लिए शीत ऋतू में लहसुन का उचित मात्रा में सेवन बहुत लाभदायी है l लहसुन के छिलके उतारकर रात को खट्टी छाछ में भिघोकर रखें l सुबह धोके पीसकर रस निकालें l 1 से 4 ग्राम रस में उतना ही तिल का तेल अथवा घी मिलाकर पियें l आहार सात्विक, सुपाच्य लें l


सावधानी : लहसुन तामसी होने के कारण रुग्णावस्था में भी इसका सेवन औषधवत करना चाहिए l


वसंत ऋतू में विशेष उपयोगी कफनाशक पेय

 

आधा लीटर पानी में 3 से 5 तेजपत्ते, 2 इंच अदरक के 1 या 2 टुकड़े (काट के ) और  3 – 4 लौंग डाल के 10 – 15 मिनट उबालें | ठंडा होने पर छान के 2 चम्मच शहद मिलाकर रख लें | इसे दिन में तीन – चार बार आधा कप गुनगुने पानी में थोडा-थोडा डाल के पिये | बिना शहद मिलाये मधुमेह में भी ले सकते हैं |


लाभ: यह प्रयोग रुचिवर्धक, पाचक, रक्तशोधक, व उत्तम कफशामक है | सर्दी, जुकाम और खाँसी में लाभदायी है | वसंत ऋतू में कफजन्य समस्याएँ ज्यादा होती हैं अत: इन दिनों में यह विशेष उपयोगी है | इसमें लौंग होने से यह प्रयोग श्वासनली में जमा कफ को आसानी से बाहर निकालता है | अदरक वायरस से लड़ने में सहायक है |


वसंत ऋतु के विशेष प्रयोग


2 से 3 ग्राम हरड चूर्ण सुबह खाली पेट लेने से 'रसायन' के लाभ प्राप्त होते हैं |


15 से 20 नीम के पत्ते तथा 2-3 काली मिर्च 15-20 दिन चबाकर खाने से वर्षभर चर्मरोग, ज्वर, रक्तविकार आदि रोगों से रक्षा होती है |


अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े कर उसमें नींबू का रस और थोडा नमक मिला के सेवन करने से मंदाग्नि दूर होती है |


5 ग्राम रात को भिगोयी हुई मेथी सुबह चबाकर पानी पीने से पेट की गैस दूर होती है |


रीठे का छिलका पानी में पीसकर 2-2 बूँद नाक में टपकाने से आधासीसी (सिर) का दर्द दूर होता है |


10 ग्राम घी में 15 ग्राम गुड़ मिलाकर लेने से सूखी खाँसी में राहत मिलती है |


10 ग्राम शहद, 2 ग्राम सोंठ व 1 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम चाटने से बलगमी खाँसी दूर होती है |


सावधानी : मुँह में कफ आने पर उसे तुरंत बाहर निकाल दें | कफ की तकलीफ में अंग्रेजी दवाइयाँ लेने से कफ सूख जाता है, जो भविष्य में टी.बी., दमा, कैंसर जैसे गम्भीर रोग उत्पन्न कर सकता है | अतः कफ बढ़ने पर ? जकरणी जलनेति का प्रयोग करे।


अनिद्रा के रोग में


3 ग्राम तरबूज के सफ़ेद बीज पीसके उसमें 3 ग्राम खसखस पीस के सुबह अथवा शाम को १ हफ्ते तक खाएं ।


6 ग्राम खसखस 250 ग्राम पानी में पीस के छान लें और उसमें 20-25 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह या शाम पियें ।


-मीठे सेब का मुरब्बा खाएं ।


-रात को दूध पियें ।


-रात को सोते समय ॐ का लम्बा उच्चारण 15 मिनट तक करें ।


बाल बढ़ाने के लिए


1-पहला प्रयोगः स्नान के समय तिल के पत्तों का रस लगाने से, मुलहठी, आँवला या भृंगराज का तेल लगाने से, करेले की जड़ अथवा मेथी को पानी में घिसकर लगाने से, निबौली का तेल लगाने से बाल बढ़ते हैं।

2-दूसरा प्रयोगः बड़ की पुरानी जटाओं को नींबू के रस में घिसकर अच्छे से लेप करें। आधे घण्टे पश्चात् बाल धो डालें। फिर नारियल का तेल लगायें। ऐसा तीन दिन करने से बालों का झड़ना बंद होता है। बाल लंबे, काले तथा मजबूत होते हैं।


ह्रदय के लिए हितकर पेय


रात को भिगोये हुए 4 बादाम सुबह छिलका उतारकर 10 तुलसी पत्तों और 4 काली मिर्च के साथ अच्छी तरह पीस लें | फिर आधा कप पानी में इनका घोल बना के पीने से विभिन्न प्रकार के ह्रदयरोगों में लाभ होता है | इससे मस्तिष्क को पोषण मिलता है व् रक्त की वृद्धि भी होती हैं |


बुढ़ापे में झुर्रियों  से बचने हेतु

 

 बड़ी उम्रवालों को सूखा नारियल चबाके खाना चाहिये तो झुर्रियां नहीं पड़ेगी | नारंगी खाना चाहिये तो झुर्रियां नहीं पड़ेगी |


वायु के सर्वरोग


काली मिर्च का 1 से 2 ग्राम पाउडर एवं 5 से 10 ग्राम लहसुन को बारीक पीसकर भोजन के समय घी-भात के प्रथम ग्रास में हमेशा सेवन करने से वायु रोग नहीं होता।


5 ग्राम सोंठ एवं 15 ग्राम मेथी का चूर्ण 5 चम्मच गुडुच (गिलोय) के रस में मिश्रित करके सुबह एवं रात्रि को लेने से अधिकांश वायु रोग समाप्त हो जाते हैं।


यदि वायु के कारण मरीज का मुँह टेढ़ा हो गया हो तो अच्छी किस्म के लहसुन की 2 से 10 कलियों को तेल में तलकर शुद्ध मक्खन के साथ मिलाकर, बाजरे की रोटी के साथ थोड़ा नमक डालकर खाने से मरीज का मुँह ठीक हो जाता है।


स्वास्थ्य-समस्याएं


-पेशाव-संबंधी समस्या हो तो 100 मि.ली. अनन्नास पेय में 4 - 5 ग्राम गुड़ मिलाकर पियें ।


-पीलिया हो तो 100 मि.ली. पेय में 2 ग्राम हल्दी का चूर्ण व 3 ग्राम मिश्री मिलाकर पियें ।


पाचन के समस्या हो तो 100 मि.ली. पेय में 1 - 2 ग्राम सेंधा नमक और 2 - 3 चुटकी काली मिर्च का चूर्ण मिला के पियें ।


अतः बेहतरीन स्वाद व पौष्टिकता से भरपूर अनन्नास पेय का ग्रीष्म ऋतु में अवश्य लाभ लें । यह आश्रम में व समितियों के सेवाकेंद्र से प्राप्त हो सकता है । ताजा अनन्नास ले के घर में बनायें तो अति उत्तम है ।


वसंत ऋतू में विशेष उपयोगी कफनाशक पेय 

 (वसंत ऋतू : 19 फरवरी से 19 अप्रैल 2023)


आधा लीटर पानी में 3 से 5 तेजपत्ते, २ इंच अदरक के 1 या 2 टुकड़े (काट के ) और  3 – 4 लौंग डाल के 10 – 15 मिनट उबालें | ठंडा होने पर छान के 2 चम्मच शहद मिलाकर रख लें | इसे दिन में तीन – चार बार आधा कप गुनगुने पानी में थोडा-थोडा डाल के पिये | बिना शहद मिलाये मधुमेह में भी ले सकते हैं |


 लाभ: यह प्रयोग रुचिवर्धक, पाचक, रक्तशोधक, व उत्तम कफशामक है | सर्दी, जुकाम और खाँसी में लाभदायी है | वसंत ऋतू में कफजन्य समस्याएँ ज्यादा होती हैं अत: इन दिनों में यह विशेष उपयोगी है | इसमें लौंग होने से यह प्रयोग श्वासनली में जमा कफ को आसानी से बाहर निकालता है | अदरक वायरस से लड़ने में सहायक है |


वसंत ऋतु में क्या करें क्या न करें

19 फरवरी से 19 अप्रैल तक क्या करें


1-कड़वे, तीखे, कसैले, शीघ्र पचनेवाले, रुक्ष (चिकनाईरहित) व उष्ण पदार्थों का सेवन करें | (अष्टांगह्रदय, योगरत्नाकर )


2-पुराने जौ तथा गेहूँ की रोटी, मूँग, साठी चावल, करेला, लहसुन, अदरक, सूरन, कच्ची मूली, लौकी, तोरई, बैंगन, सोंठ, काली मिर्च, पीपर, अजवायन, राई, हींग, मेथी, गिलोय, हरड, बहेड़ा, आँवला आदि का सेवन हितकारी है |


3-सूर्योदय से पूर्व उठकर प्रात:कालीन वायु का सेवन, प्राणायाम, योगासन - व्यायाम, मालिश, उबटन से स्नान तथा जलनेति करें |


4-अंगारों पर थोड़ी-सी अजवायन डालकर उसके धूएँ का सेवन करने से सर्दी, जुकाम, कफजन्य सिरदर्द आदि में लाभ होता है |


5- 2 से 3 ग्राम हरड चूर्ण में समभाग शहद मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से रसायन के लाभ प्राप्त होते हैं |


18 फरवरी से 19 अप्रैल तक क्या न करें


1+खट्टे, मधुर, खारे, स्निग्ध (घी – तेल से बने), देर से पचनेवाले व शीतल पदार्थो का सेवन हितकर नहीं है, अत: इनका सेवन अधिक न करें | (अष्टांगह्रदय, चरक संहिता )


2-नया गेहूँ व चावल, खट्टे फल, आलू, उड़द की दाल, कमल – ककड़ी, अरवी, पनीर, पिस्ता, काजू, शरीफा, नारंगी, दही, गन्ना, नया गुड़, भैस का दूध, सिंघाड़े, कटहल आदि का सेवन अहितकर है |


3-दिन में सोना, ओस में सोना, रात्रि – जागरण, परिश्रम न करना हानिकारक है | अति परिश्रम या अति व्यायाम भी न करें |


4-आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक्स व फ्रिज के ठंडे पानी का सेवन न करें |


5-एक साथ लम्बे समय तक बैठे या सोयें नहीं तथा अधिक देर तक व ठंडे पानी से स्नान न करें |

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