Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (29 जुलाई 2022)

दिनांक : 29 जुलाई, दिन :  शुक्रवार 


विक्रम संवत : 2079


शक संवत : 1944


अयन - दक्षिणायन


ऋतु - वर्षा ऋतु


मास - श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ़)


पक्ष - शुक्ल


तिथि - प्रतिपदा 30 जुलाई रात्रि 01:21 तक तत्पश्चात द्वितीया


नक्षत्र - पुष्य सुबह 09:47 तक तत्पश्चात अश्लेशा


योग - सिद्धि शाम 06:36 तक तत्पश्चात व्यतिपात


राहुकाल - सुबह 11:07 से दोपहर 12:45 तक


सूर्योदय - 06:12


सूर्यास्त - 19:17


दिशाशूल - पश्चिम दिशा में


पंचक


पंचक का आरंभ- 12 अगस्त 2022 शुक्रवार 14.49 मिनट से 16 अगस्त 2022, मंगलवार को 21.05 मिनट पर पंचक का समापन


एकादशी


08 अगस्त, 2022 को श्रावण पुत्रदा एकादशी है। श्रावण पुत्रदा एकादशी की तिथि 7 अगस्त को रात में 11 बजकर 50 मिनट पर शुरू होकर 8 अगस्त को शाम में 9 बजे समाप्त होगी।


-23 अगस्त, 2022 को अजा एकादशी है। अजा एकादशी की तिथि 22 अगस्त को देर रात में 3 बजकर 35 मिनट पर शुरू होकर 23 अगस्त को सुबह में 6 बजकर 6 मिनट पर समाप्त होगी।


प्रदोष


श्रावण शुक्ल त्रयोदशी, भौम प्रदोष व्रत

मंगलवार, 09 अगस्त 2022

09 अगस्त शाम 05:46 बजे - 10 अगस्त दोपहर 02:16 बजे


भाद्रपद, कृष्ण त्रयोदशी, बुद्ध प्रदोष व्रत

बुधवार, 24 अगस्त 2022

24 अगस्त सुबह 08:31 बजे - 25 अगस्त सुबह 10:38 बजे


अमावस्या


भाद्रपद, कृष्ण अमावस्या, शनि अमावस्या

शनिवार, 27 अगस्त 2022

अमावस्या प्रारंभ: 26 अगस्त 2022 दोपहर 12:24 बजे

अमावस्या समाप्त: 27 अगस्त 2022 को दोपहर 01:47 बजे


पूर्णिमा


श्रावणी पूर्णिमा, 12 अगस्त 2022

इस वर्ष श्रावण महीने की पूर्णिमा 12 अगस्त दिन, शुक्रवार को पड़ रही है। इस दिन पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त की सुबह 10 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर 12 अगस्त की सुबह 7 बजकर 6 मिनट तक रहेगी।


व्रत पर्व विवरण - अमावस्यांत श्रावण मासरम्भ, शिवपार्थेश्वर पूजन प्रारंभ, शिवपूजनारम्भ


विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

                      

श्रावण में रुद्राभिषेक करने का महत्व 


 “रुद्राभिषेकं कुर्वाणस्तत्रत्याक्षरसङ्ख्यया, प्रत्यक्षरं कोटिवर्षं रुद्रलोके महीयते। पञ्चामृतस्याभिषेकादमृत्वम् समश्नुते।। ”


श्रावण में रुद्राभिषेक करने वाला मनुष्य उसके पाठ की अक्षर-संख्या से एक-एक अक्षर के लिए करोड़-करोड़ वर्षों तक रुद्रलोक में प्रतिष्ठा प्राप्त करता है। पंचामृत का अभिषेक करने से मनुष्य अमरत्व प्राप्त करता है।

           

व्यतिपात योग


29 जुलाई 2022 शुक्रवार को शाम 06:37 से 30 जुलाई, शनिवार को शाम 07:02 तक व्यतिपात योग है।


व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका 1 लाख गुना फल मिलता है।

                    

श्रावण मास में भूमि पर शयन


"केवलं भूमिशायी तु कैलासे वा समाप्नुयात" - स्कन्दपुराण


श्रावण मास में भूमि पर शयन करने से मनुष्य कैलाश में निवास प्राप्त करता है।

             

पार्थिव शिवलिंग


जो पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर एकबार भी उसकी पूजा कर लेता है, वह दस हजार कल्प तक स्वर्ग में निवास करता है, शिवलिंग के अर्चन से मनुष्य को प्रजा, भूमि, विद्या, पुत्र, बान्धव, श्रेष्ठता, ज्ञान एवं मुक्ति सब कुछ प्राप्त हो जाता है | जो मनुष्य ‘शिव’ शब्द का उच्चारण कर शरीर छोड़ता है वह करोड़ों जन्मों के संचित पापों से छूटकर मुक्ति को प्राप्त हो जाता है |’


कलियुग में पार्थिव शिवलिंग पूजा ही सर्वोपरि है ।


कृते रत्नमयं लिंगं त्रेतायां हेमसंभवम्

द्वापरे पारदं श्रेष्ठं पार्थिवं तु कलौ युगे (शिवपुराण)


शिवपुराण के अनुसार पार्थिव शिवलिंग का पूजन सदा सम्पूर्ण मनोरथों को देनेवाला हैं तथा दुःख का तत्काल निवारण करनेवाला है |


पार्थिवप्रतिमापूजाविधानं ब्रूहि सत्तम  ॥

येन पूजाविधानेन सर्वाभिष्टमवाप्यते  ॥

अग्निपुराण के अनुसार

त्रिसन्ध्यं योर्च्चयेल्लिङ्गं कृत्वा विल्वेन पार्थिवम् ।

शतैकादशिकं यावत् कुलमुद्‌धृत्य नाकभाक् ।। ३२७.१५ ।। अग्निपुराण

जो मनुष्य प्रतिदिन तीनों समय पार्थिव लिङ्ग का निर्माण करके बिल्वपत्रों से उसका पूजन करता है, वह अपनी एक सौ ग्यारह पीढ़ियों का उद्धार करके स्वर्गलोक को प्राप्त होता है।


स्कंदपुराण के अनुसार


प्रणम्य च ततो भक्त्या स्नापयेन्मूलमंत्रतः॥

ॐहूं विश्वमूर्तये शिवाय नम॥

इति द्वादशाक्षरो मूलमंत्रः॥ ४१.१०२ ॥


"ॐ हूं विश्वमूर्तये शिवाय नमः"  यह द्वादशाक्षर मूल मंत्र है।  इससे शिवलिंग को स्नान कराना चाहिए।

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