Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (22 जून 2022)

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दिनांक : 22 जून, दिन : बुधवार 


विक्रम संवत : 2079


शक संवत : 1944


अयन - दक्षिणायन


ऋतु - वर्षा ऋतु


मास - आषाढ़


पक्ष - कृष्ण


तिथि - नवमी रात्रि 08:45 तक तत्पश्चात दशमी


नक्षत्र - रेवती पूर्ण रात्रि तक


योग - शोभन 23 जून प्रातः 04:57 तक  तत्पश्चात अतिगण्ड


राहुकाल - दोपहर 12:41 से दोपहर 02:21 तक


सूर्योदय - 05:59


सूर्यास्त - 19:22


दिशाशूल -  उत्तर दिशा में


पंचक


पंचक का आरंभ- 18 जून 2022, शनिवार को 18.44 मिनट से

पंचक का समापन- 23 जून 2022, गुरुवार को 06.01 मिनट पर। 


एकादशी


 शुक्रवार, 24 जून 2022- योगिनी एकादशी


अमावस्या


आषाढ़ अमावस्या बुधवार 29 जून, 2022।


प्रदोष


26 जून, रविवार- रवि प्रदोष व्रत.

पूजा मुहूर्त- शाम 07:23 बजे से रात 09:23 बजे तक


व्रत पर्व विवरण -  


विशेष - नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

     

भूख बढ़ाने के लिए


भोजन के पहले थोडा सा अदरक, नमक, नींबू लगाकर थोड़ा खा लें, बाद में भोजन करें - आधा घंटा, पंद्रह मिनट के बाद, तो भूख अच्छी लगेगी और भोजन के बीच थोड़ा -थोड़ा पानी पियें |


आर्थिक फायदा और कर्जा मुक्ति


आर्थिक फायदा नहीं होता है तो दुकान पे जाने से पहले झंडु (गेंदे के फूल/मेरी गोल्ड) के फूल की कुछ पंखुड़ियाँ, हल्दी और चंदन में घिस करतिलक करें गुरुमंत्र का जप करें फिर दुकान पे जायें तो कोई ग्राहक खाली हाथ नहीं जायेगा, आर्थिक लाभ बढ़ेगा ।


गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करके जायें, कर्जा है तो उतर जायेगा ।


कमरे में कैसा बल्ब लगायें


लाल रंग के बल्ब कमरे में लगाने से उसमें रहनेवाले का स्वभाव चिडचिडा होने लगता है |


इसलिए कमरे में पारदर्शक, आसमानी अथवा हरे रंग का बल्ब लगाओ ताकि कमरे में रहनेवाले आनंदित रहें |


कर्ज/ ऋण से मुक्ति पाना है तो निचे दिए उपाय करें

1-चर लग्न मेष, कर्क, तुला व मकर में कर्ज लेने पर शीघ्र उतर जाता है। लेकिन, चर लग्न में कर्जा दें नहीं। चर लग्न में पांचवें व नवें स्थान में शुभ ग्रह व आठवें स्थान में कोई भी ग्रह नहीं हो, वरना ऋण पर ऋण चढ़ता चला जाएगा।


2 -किसी भी महीने की कृष्णपक्ष की 1 तिथि, शुक्लपक्ष की 2, 3, 4, 6, 7, 8, 10, 11, 12, 13 पूर्णिमा व मंगलवार के दिन उधार दें और बुधवार को कर्ज लें।


3 - हस्त नक्षत्र रविवार की संक्रांति के वृद्धि योग में कर्जा उतारने से मुक्ति मिलती है।


4 -कर्ज मुक्ति के लिए ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें एवं लिए हुए कर्ज की प्रथम किश्त मंगलवार से देना शुरू करें। इससे कर्ज शीघ्र उतर जाता है।

5-कर्ज लेने जाते समय घर से निकलते वक्त जो स्वर चल रहा हो, उस समय वही पांव बाहर निकालें तो कार्य सिद्धि होती है, परंतु कर्ज देते समय सूर्य स्वर को शुभकारी माना है।


6-लाल मसूर की दाल का दान दें।


7- वास्तु अनुसार ईशान कोण को स्वच्छ व साफ रखें।


8-वास्तुदोष नाशक हरे रंग के गणपति मुख्य द्वार पर आगे-पीछे लगाएं।


9- हनुमानजी के चरणों में मंगलवार व शनिवार के दिन तेल-सिंदूर चढ़ाएं और माथे पर सिंदूर का तिलक लगाएं। हनुमान चालीसा या बजरंगबाण का पाठ करें।


10- ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का शुक्लपक्ष के बुधवार से नित्य पाठ करें।


11-  बुधवार को सवा पाव मूंग उबालकर घी-शक्कर मिलाकर गाय को खिलाने से शीघ्र कर्ज से मुक्ति मिलती है।


12- सरसों का तेल मिट्टी के दीये में भरकर, फिर मिट्टी के दीये का ढक्कन लगाकर किसी नदी या तालाब के किनारे शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय जमीन में गाड़ देने से कर्ज मुक्त हो सकते हैं।


13- सिद्ध-कुंजिका-स्तोत्र का नित्य एकादश पाठ करें।


14- घर की चौखट पर अभिमंत्रित काले घोड़े की नाल शनिवार के दिन लगाएं।


15- श्मशान के कुएं का जल लाकर किसी पीपल के वृक्ष पर चढ़ाना चाहिए। यह कार्य नियमित रुप से 7 शनिवार को किया जाना चाहिए।


16- 5 गुलाब के फूल, 1 चाँदी का पत्ता, थोडे से चावल, गुड़ लें। किसी सफेद कपड़े में 21 बार गायत्री मन्त्र का जप करते हुए बांध कर जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा 7 सोमवार को करें।


17-  ताम्रपत्र पर कर्जनाशक मंगल यंत्र (भौम यंत्र) अभिमंत्रित करके पूजा करें या सवा चार रत्ती का मूंगायुक्त कर्ज मुक्ति मंगल यंत्र अभिमंत्रित करके गले में धारण करें।


18-सर्व-सिद्धि-बीसा-यंत्र धारण करने से सफलता मिलती है।


19- कुश की जड़, बिल्व का पञ्चांग (पत्र, फल, बीज, लकड़ी और जड़) तथा सिन्दूर- इन सबका चूर्ण बनाकर चन्दन की पीठिका पर नीचे लिखे मन्त्र को लिखे। तदन्तर पञ्चिपचार से पूजन करके गो-घृत के द्वारा 44 दिन तक प्रतिदिन 7 बार हवन करे। मन्त्र की जप संख्या कम-से-कम 10,000 है, जो 44 दिनों में पूरी होनी चाहिये। 43 दिनों तक प्रतिदिन 228 मन्त्रों का जाप हो और 44 वें दिन 116 मन्त्रों का। तदन्तर 1000 मन्त्र का जप दशांश के रुप में करना आवश्यक है। मन्त्र इस प्रकार है-

“ॐ आं ह्रीं क्रौं श्रीं श्रियै नमः ममालक्ष्मीं नाशय नाशय मामृणोत्तीर्णं कुरु कुरु सम्पदं वर्धय वर्धय स्वाहा।”


20-ऋण मुक्ति के लिये निम्न मंत्रों में से किसी एक का जाप नित्य प्रति करें-

(क) “ॐ गणेश! ऋण छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्।”

(ख) “ॐ मंगलमूर्तये नमः।”

(ग) “ॐ गं ऋणहर्तायै नमः।”

(घ) “ॐ अत्रेरात्मप्रदानेन यो मुक्तो भगवान् ऋणात् दत्तात्रेयं तमीशानं नमामि ऋणमुक्तये...।

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