Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (16 जून 2022)

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दिनांक : 16 जून, दिन : गुरुवार 


विक्रम संवत : 2079


शक संवत : 1944


अयन : उत्तरायण।


ऋतु : ग्रीष्म ऋतु


मास - आषाढ़


पक्ष - कृष्ण


तिथि - द्वितीया सुबह 09:44 तक तत्पश्चात तृतीया


नक्षत्र - पूर्वाषाढा रात्रि 12:37 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा


योग - ब्रह्म रात्रि 09:09 तक  तत्पश्चात इंद्र


राहुकाल - दोपहर 02:20 से शाम 04:01 तक


सूर्योदय - 05:58


सूर्यास्त - 19:20


दिशाशूल - दक्षिण  दिशा में


पंचक


पंचक का आरंभ- 18 जून 2022, शनिवार को 18.44 मिनट से

पंचक का समापन- 23 जून 2022, गुरुवार को 06.01 मिनट पर। 


एकादशी


 शुक्रवार, 24 जून 2022- योगिनी एकादशी


अमावस्या


आषाढ़ अमावस्या बुधवार 29 जून, 2022।


प्रदोष


26 जून, रविवार- रवि प्रदोष व्रत.

पूजा मुहूर्त- शाम 07:23 बजे से रात 09:23 बजे तक


व्रत पर्व विवरण -  विद्यालाभ योग (गुज॰-महा॰, छोड़कर भारत भर में)

विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा  बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

     

विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए


17 जून 2022 शुक्रवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 10:40)

शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :

ॐ गं गणपते नमः ।

ॐ सोमाय नमः ।


चतुर्थी‬ तिथि विशेष


चतुर्थी तिथि के स्वामी ‪भगवान गणेश‬जी हैं।


पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।

शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥

“ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।

           

कोई कष्ट हो तो


हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |

छः मंत्र इस प्रकार हैं –

ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।

ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।

ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।

ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और  जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।

ॐ अविघ्नाय नम:

ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:

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