डीएम पर गिरी गाज, निर्वाचन में लापरवाही व भ्रष्टाचार का आरोप

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- बालू व पत्थर के अवैध खनन पर कोई कार्रवाई नहीं

- चुनाव में पोस्टल बैलेट को लेकर सपाइयों का  हंगामा

- हटा दिए गए थे घोरावल के तत्कालीन रिटर्निंग अफसर रमेश कुमार

प्रारब्ध न्यूज़ ब्यूरो, सोनभद्र 


विधानसभा चुनाव के दौरान जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में गंभीर लापरवाही बरतने के आरोप में जिलाधिकारी टीके शिबु को शासन ने निलंबित कर दिया है।निकट में संपन्न हुए चुनाव में मतदान के बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने राजकीय पालीटेक्निक कालेज में एक वाहन से पोस्टल बैलेट जाने के दौरान पकड़कर हंगामा किया था।


मौके पर पहुँच कर अधिकारियों ने किसी तरह सपा के कार्यकर्ताओं को समझा-बुझाकर मामले को शांत किया था।तब डीएम ने घोरावल के तत्कालीन एसडीएम रमेश कुमार को रिटर्निंग ऑफिसर के पद से हटा दिया था।सपा ने आरोप लगाया था कि कि बैलेट पेपर व मुहर अवैध रूप से अंदर ले जाया जा रहा था।



इसके साथ उन पर जिले में खनन, जिला खनिज न्यास समिति व अन्य निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार का आरोप था। इसके अलावा समय-समय पर जनप्रतिनिधि शिकायत कर रहे थे कि जिले में बालू, पत्थर का अवैध खनन हो रहा है, लेकिन प्रशासन दोषियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर  रहा था।


फिर शासन स्तर पर इसकी शिकायत की गई। प्रशासन ने खनन क्षेत्रों में बैरियर लगा दिए थे। आरोप यह भी है कि गाड़ियों से जांच के नाम पर ट्रकों से अवैध वसूली की जा रही थी। हालांकि बाद में बढ़ते विरोध को देखते हुए डीएम ने इन बैरियरों को हटाने के निर्देश दिए थे ।जिले में बलुआ पत्थर के अवैध खनन के अलावा जिला खनिज न्यास समिति के धन से कराये जाने वाले कार्यों में भी मनमानी के आरोप लग रहे थे। 


बालू खदानों में डीएम का सीधा हस्तक्षेप


जिले में ई- टेंडर वाली पत्थर खदानों के साथ ही काश्तकारी वाली बालू खदानों में भी डीएम टीके शिबु का सीधा हस्तक्षेप था। इन खदानों से बगैर परमिट के खनन सामग्री का परिवहन किए जाने की अक्सर शिकायत सामने आती थी। इसके बावजूद डीएम स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की जाती थी। उल्टा उधर से निकलने वाले वाहनों की संख्या जानने के लिए तीन बैरियर लगा दिए गए थे। 


इन वाहनों की बिना पत्रावली जांच के बगैर परमिट के ही इन बैरियरों से छोड़ दिया जाता था। इतना ही नहीं लोढ़ी में स्थित टोल प्लाजा के पास लगे खनन बैरियर पर भी बगैर परमिट वाले वाहनों की जांच नहीं की जाती थी। रात में ऐसे वाहनों को निकाल दिया जाता था।

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