मध्य प्रदेश के ऐंती गांव स्थित शनिदेव का दुर्लभ मंदिर, शनि का प्रकोप भी होता है शांत
प्रारब्ध रिसर्च डेस्क, लखनऊ
मध्यप्रदेश के ऐंती गांव में शनिदेव का दुर्लभ मंदिर है। यहां एक प्राचीन शिला मौजूद है। लोगों की मान्यता है कि यह शिला दूसरे ग्रह के लोगों ( एलियन) द्वारा हमला करने पर यहां आई थी? यह शिला आज भी वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बनी हुई है। इसको लेकर तरह-तरह की किंवदंतियां प्रचलित हैं।
किंवदंतियों को मानें तो त्रेतायुग में यह शिला आसमान से गिरी थी। वहीं, कुछ लोगों का कहना है कि यह शिला राजा विक्रमादित्य ने बनवाई थी। सच क्या है कोई नहीं जानता है, लेकिन लोगों की आस्था इस शिला से जुड़ी है। स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि दूर-दराज से श्रद्धालु इस मंदिर में पूजन और दर्शन के लिए आते हैं।
शनिश्चरा स्थित शनि देव मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने करवाया था। सिंधिया शासकों द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया था। इस मंदिर में स्थापित शनिदेव की मंदिर के दर्शन करने से शांति मिलती है।
अगर इस शिला को लेकर वैज्ञानिक पहलू पर गौर किया जाए। वैज्ञानिकों का मानना है कि मंदिर के पास यह शिला दूसरे ग्रह के पिंड गिरने से यहां आई है। जियोलॉजिस्ट ने इसका परीक्षण किया था, उन्होंने पाया कि यह शिला ऐसी मिश्र धातुओं की बनी है, जिसमें आयरन सबसे ज्यादा है।
माना जाता है कि हनुमान जी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराकर ऐंती गांव पास स्थित पहाड़ों पर छोड़ दिया था। कहते हैं कि त्रेता युग में बने मंदिर में शनि के प्रकोप वाला कोई व्यक्ति पूजा अर्चना करता है तो उसके कष्ट दूर हो जाते हैं।
ऐसे कई जातक हैं जिन पर शनि की साढ़े साती या ढय्या चल रही है। यह बात वह किसी विषय विशेषज्ञ ज्योतिषी से पता कर सकते हैं। यहीं नही, बल्कि हर वर्ष शनिश्चरी अमावस्या के दिन भक्त विशेष अनुष्ठान आयोजित कर पितृदोष और कालसर्प दोष से भी मुक्ति पा सकते हैं।
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