Saurabh Srivastava, State General Secretary of Oybak in Lucknow said – privatization of banks will weaken the security of bank deposits : लखनऊ में ऑयबाक के प्रदेश महामंत्री सौरभ श्रीवास्तव बोले- बैंकों के निजीकरण से बैंक जमा की सुरक्षा होगी कमजोर होगी

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बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंककर्मियों की देशव्यापी हड़ताल 16 व 17 दिसंबर को


बैंकों के निजीकरण के प्रयासों के विरूद्व बैंककर्मियों ने किया विरोध प्रदर्शन और सभा 

प्रदर्शन करते बैंक कर्मचारी।


प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, लखनऊ


बैंकों के निजीकरण से बैंक जमा की सुरक्षा कमजोर होगी। भारत में जमाकर्ता की कुल बचत 87.6 लाख करोड़ रुपये मार्च 2021 तक थी, जिसका लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा यानी 60.7 लाख करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के पास है। जो अपनी जमा पूंजी के लिए सरकारी बैंकों को ही प्राथमिकता देते हैं। यह बातें मंगलवार को आल इण्डिया बैंक आफीसर्स कन्फेडरेशन (ऑयबाक) के प्रदेश महामंत्री सौरभ श्रीवास्तव ने यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू) के आह्वान पर मंगलवार को पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की हजरतगंज शाखा के समक्ष विरोध प्रदर्शन के लिए जुटे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंककर्मियों को संबोधित करते हुए कहीं। इस दौरान बैंककर्मियों ने सभा एवं प्रदर्शन किया।

पीएनबी की हजरतगंज के बाहर प्रदर्शन करते बैंक के अधिकारी और कर्मचारी।


उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार बैंकों का निजीकरण करने का प्रयास कर रही है। इसलिए यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ने 16 और 17 दिसंबर को देशव्यापी बैंक हड़ताल का आवाह्न किया है। इस दौरान सभी बैंक कर्मचारी और अधिकारी बैंकिंग कार्य का बहिष्कार कर हड़ताल पर रहेंगे। लंबे समय से अपनी जायज मांगों के लिए भी बैंक अधिकारी एवं कर्मचारियों को संघर्ष करना पड़ रहा है।

बैंकों के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन करते बैंक कर्मचारी।

वहीं, एनसीबीई के महामंत्री अखिलेश मोहन ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि ऋण, छोटे और मध्यम श्रेणी के उद्योगों को दिये जाने वाले ऋणों व्यापक रूकावट आएंगी। इसके साथ ही बैंककर्मियों की संख्या घटेगी, जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी। देश की आर्थिक सुदृढ़ता पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। सभा की अध्यक्षता करते हुये ऑयबाक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पवन कुमार ने बताया कि बैंकों का निजीकरण सरकार के रणनीतिक विनिवेश का हिस्सा है, जिसके तहत आर्थिक उदारीकरण के नाम पर लगभग 5.30 लाख करोड़ रुपये का हिस्सा सरकार बेच चुकी है।


इसी क्रम में पीबीईयू के प्रदेश उपाध्यक्ष दीप बाजपेई ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार जनता की गाढ़ी कमाई को पूंजीपतियों के हितों के लिए बैंकों का निजीकरण करने जा रही है। जनता की गाढ़ी कमाई को पूंजीपतियों को सौंपना चाह रही है, जो जनता के साथ धोखाधड़ी है। बैंककर्मी इसे सफल नहीं होने देंगे। वहीं, फोरम के प्रदेश संयोजक वाईके अरोड़ा ने कहा कि बैंक अधिकारी एवं कर्मचारी अपने संगठन यूएफबीयू के बैनर तले बैंकों के निजीकरण के विरोध में एकजुट हो चुके है हम सरकार की मनमानी चलने नहीं देंगे।

 

इस कड़ी में ललित कुमार, जेएस भाटिया, एसके संगतानी, अमिताभ मिश्रा, एच.आर.मौर्या, लक्ष्मण सिंह, शेषधर राव आर.के. वर्मा, अमरपाल सिंह, आशुतोष वर्मा, आशीष विश्वकर्मा, अदनान रसूल, ब्रजेश तिवारी आदि बैंक नेताओं ने सम्बोधित किया तथा बैंको का निजीकरण करने के प्रयास पर भारत सरकार की घोर निन्दा की।


हजरतगंज के टीएन बाजपेई प्रतिमा के समक्ष विरोध प्रदर्शन आज


फोरम के मीडिया प्रभारी अनिल तिवारी ने बताया कि देशव्यापी बैंक हड़ताल के पूर्व 8 दिसंबर यानी बुधवार को हजरतगंज स्थित सरोजनी नायडू पार्क की टीएन बाजपेई प्रतिमा के समक्ष धरना एवं प्रदर्शन करेंगे। उसके बाद बैंक हड़ताल के पहले दिन 16 दिसंबर को भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा एवं दूसरे दिन 17 दिसंबर को इंडियन बैंक (पूर्व इलाहाबाद बैंक) की हजरतगंज शाखा के समक्ष प्रदर्शन किया जाएगा।

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