विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)
शक संवत : 1943
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : हेमंत
मास - मार्ग शीर्ष मास
पक्ष - शुक्ल
तिथि - षष्ठी शाम 07:53 तक तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र - धनिष्ठा रात्रि 09:51 तक तत्पश्चात शतभिषा
योग - व्याघात सुबह 10:28 तक तत्पश्चात हर्षण
राहुकाल - दोपहर 01:53 से शाम 03:14 तक
सूर्योदय - 07:05
सूर्यास्त - 17:56
दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
पंचक
09 दिसंबर 2021 से 14 दिसंबर 2021 तक।
व्रत और त्योहार
एकादशी
14 दिसंबर : मोक्षदा एकादशी
30 दिसंबर : सफला एकादशी
प्रदोष
31 दिसंबर : प्रदोष व्रत
पूर्णिमा
18 दिसंबर : मार्गशीर्ष पूर्णिमा
अमावस्या
04 दिसम्बर : मार्गशीर्ष अमावस्या
व्रत पर्व विवरण -
विशेष -
षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
वास्तु दोष
जिन के घर का मुख दक्षिण में हो, वे अपने घर के दरवाजे के बाहर एक गमले में आम का पौधा लगायें और गुरुमंत्र का जप करें ।
गंगा स्नान का फल
जो मनुष्य आँवले के फल और तुलसीदल से मिश्रित जल से स्नान करता है, उसे गंगा स्नान का फल मिलता है । (पद्म पुराण , उत्तर खंड)
चिंता, कष्ट, बीमारी निवृति के लिए
जिनके घर में चिंता, कष्ट और बीमारी ज्यादा है | भविष्य पुराण में आया है की मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी माने 10 दिसम्बर 2021 को शुक्रवार के दिन सुबह सूर्य भगवान को तिल के तेल का दीपक दिखाये अर्घ्य दे |
सूर्य भगवान को अर्घ्य दो तो इस भाव से – मन में एक बार स्मरण कर लेना की भगवत गीता में आपने कहा है – “ज्योति श्याम रविरंशुमान” ये ज्योतियों में सूर्य मै हूँ .... तो मेरा अर्घ्य स्वीकार करो | मेरा ये प्रणाम स्वीकार करें |उस दिन लोटे में चावल, तिल, कुंम-कुम, केसर डालकर अर्घ्य दें | केसर न हो तो ऐसे ही कुंम-कुम डाल दें अर्घ्य दें, तिल का दिया दिखा दें |
फिर घर में भोजन बने और सब खाये उसके पहले दही और चावल थाली में लेकर सूर्य भगवान को भोग लगाये और प्रार्थना करें हमारे घर में आपके लिए ये प्रसाद तैयार किया है ये नैवेद्य आप सूर्य भगवान स्वीकार करें और हमारे घर में सब प्रकार से आनंद छाया रहे, सब निरोग रहें, दीर्घायु बने | ऐसा करके उनको भोग लगाये और प्रसाद थोडा-सा छ्त पर रख दें घर के लोग भी प्रसाद में दही-चावल खुद भी खा लें |
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