Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (14 अक्टूबर 2021)

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दिनांक: 14 अक्टूबर, दिन : गुरुवार


विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)


शक संवत : 1943


अयन : दक्षिणायन


ऋतु : शरद


मास : अश्विन


 पक्ष - शुक्ल


तिथि - नवमी शाम 06:52 तक तत्पश्चात दशमी


नक्षत्र - उत्तराषाढा  सुबह 09:36 तक तत्पश्चात श्रवण


योग -    धृति 15 अक्टूबर रात्रि 01:46 तक तत्पश्चात शूल


राहुकाल - दोपहर 01:52 से दोपहर 03:20 तक


सूर्योदय - 06:34


सूर्यास्त - 18:13


दिशाशूल - दक्षिण दिशा में


पंचक

 15 अक्टूबर 2021 से 20 अक्टूबर 2021 तक। 

. 12 नवंबर 2021 से 16 नवंबर 2021 तक। 

. 09 दिसंबर 2021 से 14 दिसंबर 2021 तक।


एकादशी 


16 अक्टूबर: पापांकुशा एकादशी


01 नवंबर: रमा एकादशी


14 नवंबर: देवुत्थान एकादशी


30 नवंबर: उत्पन्ना एकादशी


14 दिसंबर: मोक्षदा एकादशी


30 दिसंबर: सफला एकादशी


प्रदोष


17 अक्टूबर: प्रदोष व्रत


02 नवंबर: भौम प्रदोष


16 नवंबर: भौम प्रदोष


02 दिसंबर: प्रदोष व्रत


31 दिसंबर: प्रदोष व्रत


पूर्णिमा


20 अक्टूबर , बुधवार: आश्विन पूर्णिमा


18 नवंबर, बृहस्पतिवार : कार्तिक पूर्णिमा


18 दिसंबर, शनिवार: मार्गशीर्ष पूर्णिमा


अमावस्या


कार्तिक अमावस्या 04 नवम्बर 2021, गुरुवार

मार्गशीर्ष अमावस्या 04 दिसम्बर 2021, शनिवार


व्रत पर्व विवरण- महानवमी,सरस्वती-बिसर्जन,शारदीय नवरात्रि समाप्त


 विशेष - नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)


बिना मुहूर्त के मुहूर्त  (दशहरा)


15 अक्टूबर 2021 शुक्रवार को विजयादशमी (दशहरा) है।


विजयादशमी का दिन बहुत महत्त्व का है और इस दिन सूर्यास्त के पूर्व से लेकर तारे निकलने तक का समय अर्थात् संध्या का समय बहुत उपयोगी है। रघु राजा ने इसी समय कुबेर पर चढ़ाई करने का संकेत कर दिया था कि ‘सोने की मुहरों की वृष्टि करो या तो फिर युद्ध करो।’ रामचन्द्रजी रावण के साथ युद्ध में इसी दिन विजयी हुए। ऐसे ही इस विजयादशमी के दिन अपने मन में जो रावण के विचार हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, भय, शोक, चिंता – इन अंदर के शत्रुओं को जीतना है और रोग, अशांति जैसे बाहर के शत्रुओं पर भी विजय पानी है। दशहरा यह खबर देता है।


अपनी सीमा के पार जाकर औरंगजेब के दाँत खट्टे करने के लिए शिवाजी ने दशहरे का दिन चुना था – बिना मुहूर्त के मुहूर्त ! (विजयादशमी का पूरा दिन स्वयंसिद्ध मुहूर्त है अर्थात इस दिन कोई भी शुभ कर्म करने के लिए पंचांग-शुद्धि या शुभ मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं रहती।) इसलिए दशहरे के दिन कोई भी वीरतापूर्ण काम करने वाला सफल होता है।


वरतंतु ऋषि का शिष्य कौत्स विद्याध्ययन समाप्त करके जब घर जाने लगा तो उसने अपने गुरुदेव से गुरूदक्षिणा के लिए निवेदन किया। तब गुरुदेव ने कहाः वत्स ! तुम्हारी सेवा ही मेरी गुरुदक्षिणा है। तुम्हारा कल्याण हो।’परंतु कौत्स के बार-बार गुरुदक्षिणा के लिए आग्रह करते रहने पर ऋषि ने क्रुद्ध होकर कहाः ‘तुम गुरूदक्षिणा देना ही चाहते हो तो चौदह करोड़ स्वर्णमुद्राएँ लाकर दो।”


अब गुरुजी ने आज्ञा की है। इतनी स्वर्णमुद्राएँ और तो कोई देगा नहीं, रघु राजा के पास गये। रघु राजा ने इसी दिन को चुना और कुबेर को कहाः “या तो स्वर्णमुद्राओं की बरसात करो या तो युद्ध के लिए तैयार हो जाओ।” कुबेर ने शमी वृक्ष पर स्वर्णमुद्राओं की वृष्टि की। रघु राजा ने वह धन ऋषिकुमार को दिया लेकिन ऋषिकुमार ने अपने पास नहीं रखा, ऋषि को दिया।


विजयादशमी के दिन शमी वृक्ष का पूजन किया जाता है और उसके पत्ते देकर एक-दूसरे को यह याद दिलाना होता है कि सुख बाँटने की चीज है और दुःख पैरों तले कुचलने की चीज है। धन-सम्पदा अकेले भोगने के लिए नहीं है। तेन त्यक्तेन भुंजीथा….। जो अकेले भोग करता है, धन-सम्पदा उसको ले डूबती है।


भोगवादी, दुनिया में विदेशी ‘अपने लिए – अपने लिए….’ करते हैं तो ‘व्हील चेयर’ पर और ‘हार्ट अटैक’ आदि कई बीमारियों से मरते हैं। अमेरिका में 58 प्रतिशत को सप्ताह में कभी-कभी अनिद्रा सताती है और 35 प्रतिशत को हर रोज अनिद्रा सताती है। भारत में अनिद्रा का प्रमाण 10 प्रतिशत भी नहीं है क्योंकि यहाँ सत्संग है और त्याग, परोपकार से जीने की कला है। यह भारत की महान संस्कृति का फल हमें मिल रहा है।


तो दशहरे की संध्या को भगवान को प्रीतिपूर्वक भजे और प्रार्थना करें  कि ‘हे भगवान ! जो चीज सबसे श्रेष्ठ है उसी में हमारी रूचि करना।’ संकल्प करना कि’आज प्रतिज्ञा करते हैं कि हम ॐकार का जप करेंगे।’


‘ॐ’ का जप करने से देवदर्शन, लौकिक कामनाओं की पूर्ति, आध्यात्मिक चेतना में वृद्धि, साधक की ऊर्जा एवं क्षमता में वृद्धि और जीवन में दिव्यता तथा परमात्मा की प्राप्ति होती है।


घाटे को मुनाफे में बदल देगा ये

 

यदि बिजनेस में लगातार घाटा हो रहा हो तो दशहरे के दिन सवा मीटर पीले कपड़े में एक नारियल लपेट लें. इस नारियल को जनेऊ और सवा पाव मिठाई के साथ किसी भी राम मंदिर में अर्पित कर दें. ऐसा करने से बिजनेस में मुनाफा होने लगेगा.


लंबे समय से रुका हुआ काम भी यह  करने से पूरा हो जाता है. इसके लिए लाल सूती कपड़े में नारियल लपेट कर बहते पानी में प्रवाहित कर दें. प्रवाहित करते समय नारियल से 7 बार अपनी मनोकामना कहें.


शारदीय नवरात्रि


नवरात्रि की नवमी तिथि यानी अंतिम दिन माता दुर्गा को विभिन्न प्रकार के अनाज का भोग लगाएं ।इससे वैभव व यश मिलता है ।

         

शारदीय नवरात्रि


सुख-समृद्धि के लिए करें मां सिद्धिदात्री की पूजा


चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। अंतिम दिन भक्तों को पूजा के समय अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र, जो कि हमारे कपाल के मध्य स्थित होता है, वहां लगाना चाहिए। ऐसा करने पर देवी की कृपा से इस चक्र से संबंधित शक्तियां स्वत: ही भक्त को प्राप्त हो जाती हैं। सिद्धिदात्री के आशीर्वाद के बाद श्रद्धालु के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रह जाता और उसे सभी सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

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