Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (13 अक्टूबर 2021)

दिनांक: 13 अक्टूबर, दिन : बुद्धवार


विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)


शक संवत : 1943


अयन : दक्षिणायन


ऋतु : शरद


मास : अश्विन


 पक्ष - शुक्ल


तिथि - अष्टमी रात्रि 08:07 तक तत्पश्चात नवमी


नक्षत्र - पूर्वाषाढा सुबह 10:19 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा


योग -  सुकर्मा 14 अक्टूबर रात्रि 03:48 तक तत्पश्चात धृति


राहुकाल - दोपहर 12:25 सेदोपहर 01:53 तक


सूर्योदय - 06:34


सूर्यास्त - 18:14


दिशाशूल - उत्तर दिशा में


पंचक

 15 अक्टूबर 2021 से 20 अक्टूबर 2021 तक। 

. 12 नवंबर 2021 से 16 नवंबर 2021 तक। 

. 09 दिसंबर 2021 से 14 दिसंबर 2021 तक।


एकादशी 


16 अक्टूबर: पापांकुशा एकादशी


01 नवंबर: रमा एकादशी


14 नवंबर: देवुत्थान एकादशी


30 नवंबर: उत्पन्ना एकादशी


14 दिसंबर: मोक्षदा एकादशी


30 दिसंबर: सफला एकादशी


प्रदोष


04 अक्टूबर: सोम प्रदोष


17 अक्टूबर: प्रदोष व्रत


02 नवंबर: भौम प्रदोष


16 नवंबर: भौम प्रदोष


02 दिसंबर: प्रदोष व्रत


31 दिसंबर: प्रदोष व्रत


पूर्णिमा


20 अक्टूबर , बुधवार: आश्विन पूर्णिमा


18 नवंबर, बृहस्पतिवार : कार्तिक पूर्णिमा


18 दिसंबर, शनिवार: मार्गशीर्ष पूर्णिमा


अमावस्या


कार्तिक अमावस्या 04 नवम्बर 2021, गुरुवार

मार्गशीर्ष अमावस्या 04 दिसम्बर 2021, शनिवार


व्रत पर्व विवरण- दुर्गाष्टमी, महाष्टमी, सरस्वती- बलिदान, बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से रात्रि 08:08 तक)


 विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

             

नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए


दशहरे से शरद पूनम तक चन्द्रमा की चाँदनी में विशेष हितकारी रस, हितकारी किरणें होती हैं । इन दिनों चन्द्रमा की चाँदनी का लाभ उठाना, जिससे वर्षभर आप स्वस्थ और प्रसन्न रहें । नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा के ऊपर त्राटक (पलकें झपकाये बिना एकटक देखना)करें ।


दशहरे के दिन


15 अक्टूबर 2021 शुक्रवार को दशहरा, विजयादशमी (पूरा दिन शुभ मुहूर्त), संकल्प, शुभारम्भ, नूतन कार्य, सीमोल्लंघन के लिए विजय मुहूर्त (दोपहर 02:15 से 03:01 तक), गुरु-पूजन, अस्त्र-शस्त्र-शमी वृक्ष-आयुध-वाहन पूजन


दशहरा के दिन शाम को जब सूर्यास्त होने का समय और आकाश में तारे उदय होने का समय हो वो सर्व सिद्धिदायी विजय काल कहलाता है |


उस समय घूमने-फिरने मत जाना | दशहरा मैदान मत खोजना। रावण जलता हो देखकर क्या मिलेगा ? धूल उड़ती होगी, मिटटी उड़ती होगी रावण को जलाया उसका धुआं वातावरण में होगा।गंदगी में  श्वास में लेना। धूल, मिटटी श्वास में लेना पागलपन है |

 

दशहरे के दिन शाम को घर पे ही स्नान आदि करके, दिन के कपडे बदल के शाम को धुले हुए कपडे पहनकर ज्योत जलाकर बैठ जाये | थोडा

" राम रामाय नम: ।  "

मंत्र जपते, विजयादशमी है ना तो रामजी का नाम और फिर मन-ही-मन  गुरुदेव को प्रणाम करके गुरुदेव सर्व सिद्धिदायी विजयकाल चल रहा है की हम विजय के लिए ये मंत्र जपते है।

"ॐ अपराजितायै नमः "

ये मंत्र १ - २ माला जप करना और इस काल में श्री हनुमानजी का सुमिरन करते हुए इस मंत्र की एक माला जप करें :-


"पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना ।


कवन सो काज कठिन जग माहि, जो नहीं होत तात तुम पाहि ॥"


पवन तनय समाना की भी १ माला कर ले उस विजय काल में, फिर गुरुमंत्र की माला कर ले । फिर देखो अगले साल की दशहरा तक गृहस्थ में जीनेवाले को बहुत-बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते है |


शारदीय नवरात्रि


नवरात्र की अष्टमी यानी आठवें दिन माता दुर्गा को नारियल का भोग लगाएं । इससे घर में सुख समृद्धि आती है ।

          

मन की शांति मिलती है मां महागौरी की पूजा से 


नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। मां महागौरी का रंग अत्यंत गोरा है, इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि का आठवां दिन हमारे शरीर का सोम चक्रजागृत करने का दिन है। सोमचक्र  ललाट में स्थित होता है। श्री महागौरी की आराधना से सोमचक्र जागृत हो जाता है और इस चक्र से संबंधित सभी शक्तियां श्रद्धालु को प्राप्त हो जाती है। मां महागौरी के प्रसन्न होने पर भक्तों को सभी सुख स्वत: ही प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही, इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है।

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