HistoricalTemple: एक सौ दस साल प्राचीन मन्दिर

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प्रारब्ध न्यूज़- अध्यात्म


कानपुर के हटिया में बुद्धा देवी का मंदिर है, जिन पर हरी सब्जियां चढ़ाई जाती है।यह मान्यता है कि बुद्धा देवी के मंदिर में जो भी मानता मानी जाती है, माँ उसको पूरा करतीं हैं। माँ की कृपा भक्तों पर सदैव बनी रहती है। 


यहां पर आने वाले श्रद्धालु माता रानी को प्रसाद के रूप में मिठाई की जगह हरी सब्जियों का भोग लगाते हैं। यह बात हटिया स्थित बुद्धा देवी मंदिर का है। अन्य दिनों की अपेक्षा बुधवार को यहां काफी भीड़ रहती है। नवरात्रि में देवी मां अपने सभी भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।


मां के दरबार में  भक्त अपनी अर्जी लगाते हैं और प्रसाद के रूप में हरी सब्जियां चढ़ाते हैं।इनमें लौकी के टुकड़े, बैगन, पालक, टमाटर, गाजर, मूली रहती है। भक्त डलियों में सब्जियों को लाते हैं और माता रानी पर चढ़ाते हैं।


अन्य मंदिरों की तरह इस मंदिर में पूजा-पाठ के लिए कोई पुजारी नहीं होता,बल्कि यहाँ के माली यह काम करते हैं।बुद्धा देवी को सब्ज़ियाँ प्रिय होने के कारण आस-पास के इलाकों के किसान माँ के दरबार में हाजरी लगाते है और अपनी फसल के लिए माँ से दया दृष्टि बनाने की कामना करते हैं।मन माँगी मुराद पूरी होने पर देवी को सब्ज़ियों अर्पित करते हैं।

 
मंदिर की देखभाल करने वाले माली के अनुसार यह मंदिर 110 साल पुराना है।जिस स्थान पर माता रानी का मंदिर है, पहले कभी वहाँ खेत होते थे और वहाँ सब्ज़ियों उगाई जाती थी।उस खेत की देख-रेख माली के पूर्वज करते थे।


लोगों की मान्यता है ,रघुवीर माली के पूर्वजों के सपने में देवी माँ आईं और बोली कि उन्हें इस बगीचे से बाहर निकालो। यह सपना करीब एक हफ्ते तक आता रहा।इसको लेकर वह परेशान रहने लगे फिर उन्होंने बगीचे की खुदाई करने का फैसला लिया, जहां पर मां ने खुदाई करने को कहा था। लगभग तीन दिन तक खुदाई करने के बाद, मां की मूर्ति मिली। मूर्ति मिलने के बाद उसी स्थान पर एक चबूतरा बनाया गया, उस पर मां की मूर्ति को प्रतिस्थापित किया। क्योंकि यह मूर्ति बुद्धू माली को मिली थी, इसलिए इसका नाम बुद्धा देवी पड़ा। देवी की मूर्ति खेत से निकली थी, इसलिए वहां पर उगने वाली सब्जियां प्रसाद के रूप में ही चढ़ाई जाने लगीं।

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