Bihar Special News : स्मृति विशेष ; श्रीकृष्ण बाबू आधुनिक बिहार के थे निर्माता

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रंजीत सिंह, पटना


बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह जन्म 21 अक्टूबर 1887 को मुंगेर जिले के खंडवा गांव में हुआ था, जो अब नवादा जिले में पड़ता है। यहां उनका ननिहाल था। उनका पैतृक गांव शेखपुरा जिले के माउर गांव में है। श्री बाबू अपनों ही नहीं संपूर्ण बिहारवासियों के बीच 'बिहार केसरी' के नाम से मशहूर थे।


कलकत्ता विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा


श्रीकृष्ण सिंह ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से परास्नातक यानी एमए की पढ़ाई की। उसके बाद कानून की पढ़ाई भी वहां से पूरी की। फिर मुंगेर में आकर वकालत करने लगे। इस बीच, महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन प्रारंभ कर दिया। श्री बाबू वकालत छोड़ कर गांधी जी के साथ हो लिए। उसके बाद जीवन पर्यन्त समाज की सेवा में समर्पित रहे। साइमन कमीशन के बहिष्कार और नमक सत्याग्रह के दौरान गिरफ्तार भी किए गए। 


बिहार केसरी के नाम से मशहूर


उनके पैतृक गांव में  ‘बिहार केसरी’ की स्मृति के रूप में प्रवेश द्वार का भी निर्माण कराया गया है। बिहार राज्य के प्रति श्रीकृष्ण सिंह का समर्पण और प्रेम अतुल्यनीय था। यही वजह रही कि जीवन पर्यन्त बिहार के विकास में लगे रहे। उनके अद्वितीय, अतुलनीय और अविश्वसनीय योगदान के लिए उन्हें ‘बिहार केसरी’ के नाम से जाना जाता है। 


स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक व न्यायप्रेमी भी


श्रीकृष्ण सिंह जी को आधुनिक बिहार का निर्माता कहा जाता है। अधिकतर लोग उन्हें प्रेम से ‘श्रीबाबू’ भी कहते हैं। उनको बिहार केसरी और श्रीबाबू के नाम से आज की पीढ़ी भी जानती पहचानती है। श्री बाबू महान समाज सुधारक के साथ-साथ न्यायप्रेमी व्यक्ति भी थे। उनके समय में बिहार विकास के क्षेत्र में भारत का पहला राज्य था। उन्होंने सबसे पहले जमींदारी प्रथा का उन्मूलन किया था। वह बिहार के मुख्यमंत्री होने के साथ ही एक प्रसिद्ध अधिवक्ता भी थे। डॉ. श्रीकृष्ण सिंह भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे। वह भारत के अखंड बिहार राज्य के प्रधानमंत्री और बिहार राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री थे। वह वर्ष 1946 से लेकर वर्ष 1961 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे।


समृद्ध बिहार के निर्माता रहे श्री बाबू


श्रीकृष्ण सिंह के 10 साल के शासनकाल में राज्य में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, उद्योग, कला और सामाजिक क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य हुए। उनके शासनकाल में ही बिहार में देश की पहली रिफाइनरी बरौनी ऑयल रिफायनरी की स्थापना की गई थी। उन्हीं के शासनकाल में देश में पहला खाद का कारखाना, एशिया का सबसे बड़ा इंजीनियरिंग कारखाना, भारत का सबसे बड़ा स्टील प्लांट-सेल बोकारो, एशिया का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड गड़हरा, भागलपुर, बिहार और रांची के विश्वविद्यालय ऐसे ही अनेक अनगिनत कार्य बिहार राज्य में हुए थे, जिससे राज्य में कम समय में ही तेजी से विकास हो रहा था।


देश में अर्थव्यवस्था में दूसरे नंबर पर था बिहार


श्री बाबू के कार्यकाल में बिहार राज्य की अर्थव्यवस्था पूरे भारत में दूसरे नंबर पर थी। उस समय बिहार को उन्नत राज्य माना जाता था। उनके शासनकाल के समय संसद में नियुक्त फोर्ड फाउंडेशन के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एप्पेलवी ने अपनी रिपोर्ट में बिहार राज्य को देश का सबसे बेहतरीन शासित राज्य बताया था।

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