- प्राचार्य का किसी प्रकार की लापरवाही से इन्कार, गंभीर स्थिति में हुई थी भर्ती
- बताया, हीमोग्लोबिन चार ग्राम व प्लेटलेट्स काउंट 38 हजार तक गए थे पहुंच
अरुण कुमार टीटू, लखनऊ
हैलट अस्पताल में 24 घंटे डाक्टर एवं कर्मचारियों की मौजूदगी के बावजूद बड़ी औैर शर्मनाक लापरवाही सामने आई है। डेंगू के लक्षण में अस्पताल में भर्ती गर्भवती प्रसव पीड़ा से तड़पती रही। स्वजन डाक्टरों एवं कर्मचारियों के सामने गिड़गिड़ाते रहे। फिर भी डाक्टर और नर्सिंग स्टाफ पसीजा नहीं। दर्द से बेहाल गर्भवती शौच के लिए बाथरूम गई, जहां उसने बच्चे को जन्म दिया। नवजता का सिर टाॅयलेट की सीट में जाकर फंस गया। डेढ़ घंटें बाद जब सीट तोड़कर नवजात काे निकाला गया तो उसकी सांसें थम चुकी थीं। प्रसूता गंभीर स्थिति में वार्ड में भर्ती है। प्राचार्य प्रो. संजय काला ने इस प्रकरण के जांच के आदेश दिए हैं। इस पूरे प्रकरण में लीपापोती के भी प्रयास शुरू हैं।
शिवराजपुर ब्लाक के कंठीपुर निवासी मोबीन की 30 वर्षीय पत्नी हसीन बानो गर्भवती थी। तेज बुखार और प्लेटलेट्स काउंट कम होने पर हैलट इमरजेंसी में बुधवार रात 8.30 बजे मेडिसिन यूनिट में डा. विशाल गुप्ता की यूनिट में भर्ती हुई थी। इमरजेंसी से रात 10.30 बजे वार्ड सात में शिफ्ट कर दिया गया, जहां बेड 40 पर भर्ती थी। उसके पति मोबीन ने बताया कि रात लगभग 12.30 बजे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। वार्ड में मौजूद डाक्टर, नर्सिंग स्टाफ एवं कर्मचारियों को समस्या बताई। उनका आरोप है कि उन्होंने कहा कि यह मेरा काम नहीं है, जाकर चुपचाप बैठो।
दर्द लगातार बढ़ता गया। बेहाल हसीन बानो शौचालय चली गई, जहां उसे प्रसव हो गया। जन्म लेने के बाद नवजात का सिर टाॅयलेट सीट में फंस गया। उसके पिता नवजात का पैर पकड़ कर निकालने का प्रयास करने लगे। इस बीच, वार्ड में मौजूद उनकी महिला रिश्तेदार भागते हुए इमरजेंसी गईं। वहां जाकर पूरी बात बताई। ड्यूटी पर मौजूद इमरजेंसी मेडिकल अफसर और पुलिस पहुंची। काफी देर नवजात को निकालने का प्रयास करते रहे, लेकिन असफल रहे। ऐसे में डेढ़ घंटे बाद टाॅयलेट सीट तोड़कर नवजात को निकाला जा सके। नजवात की सांसें थम चुकी थीं। रात में प्रसव के बाद दो जूनियर रेजीडेंट उसे देखने के लिए जच्चा-बच्चा अस्पताल से हैलट आईं थीं।
हर जगह लापवाही
हसीन बानो के पति मोबिन ने बताया कि बुखार होने पर पहले कल्याणपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। वहां के डाक्टर ने जब जवाब दे दिया तो बुधवार की शाम को पहले अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल लेकर गए थे। डाक्टरों वहां भर्ती करने के बजाए हैलट इमरजेंसी भेज दिया।
सूचना के बाद नहीं आईं डाक्टर
प्रसव के उपरांत सुबह स्वजन स्वयं रजिस्टर लेकर अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल स्थित स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग गए। उस समय वहां डा. नीना गुप्ता की ओपीडी चल रही थी। स्वजन इमरजेंसी एवं ओपीडी में भटकते रहे। उसके बावजूद न डाक्टर आईं और न ही जूनियर रेजीडेंट को महिला का हाल जानने के लिए भेजा।
नवजात का शव ले गए स्वजन
प्रसूता गंभीर स्थिति में मेडिसिन विभाग के वार्ड सात में भर्ती है। उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। वहीं, नवजात का शव लेकर स्वजन गांव चले गए, ताकि उसे दफनाया जा सके।
जिंदा पैदा हुआ था बच्चा
नवजात के पिता मोबीन का कहना है कि बच्चा जीवित पैदा हुआ था। उसे किसी प्रकार की दिक्कत नहीं थी। उसका सिर टाॅयलेट की सीट पर जाकर फंस गया था, जिससे दम घुटने से उसकी मौत हुई है।
प्राचार्य के बदलते रहे बोल
पहले मरा पैदा हुआ था बच्चा
जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला ने बताया कि गर्भवती बुधवार शाम 6.57 बजे जच्चा-बच्चा अस्पताल गई थी। उसे 32 सप्ताह का गर्भ था। उसे प्रसव पीड़ा भी नहीं हो रही थी। डेंगू के लक्षण होने पर उसे एलएलआर इमरजेंसी भेजी दिया। उसका हीमोग्लोबिन चार ग्राम कम था। प्लेटलेट्स काउंट भी 38 हजार थे। उसे गंभीर स्थिति में भर्ती किया गया था। बुखार का एक कारण बच्चा पेट में मरना होता है, जब वह शौचालय गए तब शरीर ने उसे बाहर की निकाल दिया। इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी होने के बाद सुबह उप प्राचार्य एवं मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. रिचा गिरि स्वयं देखने गईं। इसमें किसी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं हुई है। स्वजनों ने उसके इलाज में लापरवाही बरती है, जिससे उसकी स्थिति बिगड़ गई। स्वजन गलत जानकारी दे रहे हैं।
फिर बोले गंभीर मामला जांच कराएंगे
उसके बाद प्राचार्य प्रो. संजय काला ने बताया कि गर्भवती को गंभीर स्थिति में स्वजन पहले जच्चा-बच्चा अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग लेकर गए थे। जहां से डेंगू के लक्षण बताकर इमरजेंसी और फिर मेडिसिन विभाग के वार्ड भेज दिया गया। वार्ड के शौचालय में प्रसव हो गया, जिसमें नवजात की जान चली गई। यह गंभीर मामला है। जच्चा-बच्चा अस्पताल में उसे क्यों नहीं भर्ती किया गया। जब उसकी स्थिति गंभीर थी तो उसे वार्ड में क्यों शिफ्ट किया गया। इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए कमेटी गठित करने के आदेश दिए हैं। दोषी चाहे डाक्टर या कर्मचारी हो उसे सजा जरूर मिलेगी।
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