मां काली की जन्म कथा

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प्रारब्ध न्यूज़- अध्यात्म

धर्म ग्रंथों के अनुसार मां काली का जन्म असुरों के संघार के लिए हुआ था। कहां जाता है की एक शक्तिशाली राक्षस दारूण था। जिसका अत्याचार तीनो लोक में बढ़ गया था। सभी देवता उससे परेशान हो गए थे। सारे देवता दारुण के हाथों मात खा चुके थे।

दारू को यह वरदान मिला हुआ था कि उसकी मृत्यु एक स्त्र के हाथों से ही होगी।इस कारण सभी देवता हाथ जोड़कर ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और
उनसे विनती की इसका कोई समाधान निकालें। इसके बाद ब्रह्मा जी ने एक स्त्री का रूप धारण किया और दारूण से युद्ध करने निकल गए लेकिन वह उसको हरा नहीं सके।

अंत में सभी देवता ब्रह्मा जी के साथ भगवान शिव के पास गए और उनसे प्रार्थना की वह कुछ करें। सभी की प्रार्थना सुनने के बाद शिव जी ने मुस्कुराते हुए पार्वती की तरफ देखा।

माता पार्वती ने उनका इशारा समझा और अपनी शक्ति का एक अंश निकाला।जो एक चमकता हुआ तेज था, जो देखते ही देखते भगवान शिव के नीलकंठ से होते हुए उनके शरीर में प्रवेश कर गया। इसके बाद भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोली जिससे तीनों लोग थर-थर कांपने लगे।

भगवान शिव की तीसरी आंख खुलने के बाद वह शक्ति उनकी उस आंख से बाहर निकली। जिसे देखकर वहां खड़े सारे देवता घबरा गए। उस शक्ति ने एक विशाल और रौद्र स्त्री रूप ले लिया। उनका रंग रात सा काला गहरा और जुबान खून जैसी लाल थी। चेहरे पर आग सा तेज था, और माथे पर तीसरी आंख थी। इस तरह राक्षसों को खत्म करने के लिए मां काली का जन्म हुआ।

माता काली ने कुछ ही देर में असुर दारूण और उसकी सेना का नाश कर दिया। उन सभी दानवों को खत्म करने के बाद मां काली का गुस्सा शांत नहीं हो रहा था। उनका गुस्सा शांत करने के लिए भगवान शिव ने बच्चे का रूप लिया और उनके सामने आ गए।

भगवान शिव को देखते ही मां काली का गुस्सा शांत हो गया और उन्होंने उस बच्चे को अपनी गोद में उठा लिया।

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