घर पर ऐसे दें पितरों को तर्पण, जानें पूजा की सही विधि

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  • हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का महत्त्व है, पितरों की आत्मा की संतुष्टि के लिए श्राद्ध और तर्पण जरूरी
  • तर्पण से खुश पितर सुख-सुविधा, मान-सम्मान और ऐश्वर्य की वृद्धि का देते हैं आशीर्वाद

प्रारब्ध अध्यात्म डेस्क, लखनऊ



पितृ पक्ष सोमवार से आरंभ हो रहे हैं। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्त्व है, पितरों की आत्मा की संतुष्टि के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। जिससे पितर खुश होकर अपनी संतानों को आशीर्वाद देते हैं, ताकि घर-परिवार में धन-दौलत, सुख-सुविधा, मान-सम्मान और ऐश्वर्य की वृद्धि होती रहे। हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद मृत व्यक्ति का श्राद्ध करना जरूरी होता है। माना जाता है कि यदि श्राद्ध न किया जाए तो मरने वाले व्यक्ति की आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है।


इस साल पितृ पक्ष 20 सितंबर 2021 को शुरू हो रहा है, जो 6 अक्टूबर तक रहेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आरंभ होकरक आश्र्विन मास की अमावस्या तक होता है।


पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध करने और तर्पण देने का विशेष महत्व होता है। पितरों का तर्पण करने का मतलब, उन्हें जल देना है। इसके लिए प्रति दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत होकर तर्पण की सामग्री लेकर दक्षिण की ओर मुंह करके बैठ जाएं। अब सबसे पहले अपने हाथ में कुश, जल, अक्षत, पुष्प और तिल लेकर दोनों हाथ जोड़कर अपने पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करें।


इस दौरान ‘ॐ आगच्छन्तु में पितर और ग्रहन्तु जलान्जलिम’ का जप करें।

अब उस जल को पितरों का नाम लेते हुए पृथ्वी पर गिरा दें। इसी तरह 5, 7 या 11 बार अंजली दें। जीवन में सुख शांति और समृद्धि बनाए रखने की प्रार्थना करें।


जिस तिथि को आपके पितरों की मृत्यु हुई हो, उस तिथि को उनके नाम से अपनी श्रद्धा और यथाशक्ति के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन करवाएं। भोजन कौओं और कुत्तों को भी खिलाएं।


श्राद्ध की पूजा सामग्री


पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने और उन्हें श्राद्ध करने के लिए रोली, सिंदूर, छोटी सुपारी , रक्षा सूत्र, चावल, जनेऊ, कपूर, हल्दी, देसी घी, माचिस, शहद, काला तिल, तुलसी पत्ता , पान का पत्ता, जौ, हवन सामग्री, गुड़, मिट्टी का दीया, रुई बत्ती, अगरबत्ती, दही, जौ का आटा, गंगाजल, खजूर, केला, सफेद फूल, उड़द, गाय का दूध, घी, खीर, स्वांक के चावल, मूंग, गन्ना की जरूरत होती है. इस लिए इसे पितृ पक्ष के पहले ही एकत्र कर लें।

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