- विश्व हीमोफिलिया दिवस आज (17 अप्रैल)
- रक्तस्राव संबंधी अनुवांशिक बीमारी है हीमोफीलिया
- 10 हज़ार में किसी एक को होती है ऐसी बीमारी
हीमोफिलिया अनुवांशिक एवं लाइलाज बीमारी है, इसमें शरीर से लगातार रक्तश्राव होता है। दस हज़ार में से एक बच्चा इससे पीड़ित होता है। चोट लगने या घाव से लगातार खून निकलने पर इसका पता चलता है। अगर बच्चे के दांत निकल रहे हों और उसके मसूढ़ों से लगातार खून बहे तो सावधान हो जाना चाहिए। यह भी हीमोफिलिया से पीड़ित होने का संकेत है। लाइलाज बीमारी हीमोफीलिया से बचने के लिए शादी से पहले युवक और युवती की मेडिकल रिपोर्ट जरूर खंगालनी चाहिए।
दस वर्षों से हीमोफीलिया यूनिट
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में दस वर्षों से हीमोफीलिया यूनिट चल रही है। इसके अंतर्गत लगभग 250 हीमोफीलिया पीड़ित बच्चे पंजीकृत हैं । 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे बाल रोग विभाग में और 18 वर्ष से ऊपर के मेडिसिन विभाग इलाज चलता है।
क्या है हीमोफिलिया
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. एके आर्य बताते हैं कि यह रोग मां-पिता से बच्चे में यानी अनुवांशिक रोग है। इससे पीड़ित बच्चों में क्लॉटिंग फैक्टर अर्थात खून के थक्के नहीं बनते हैं। जब चोट लगती है तो खून बहने पर ज़रूरी घटक खून में मौजूद प्लेटलेट्स से मिलकर गाढ़ा करते हैं, जिससे खून बहना बंद हो जाता है, लेकिन हीमोफिलिया पीड़ितों में थक्के बनाने वाला घटक नहीं होने से खून बहता रहता है। इसका पता आसानी से नहीं चलता है, जब बच्चे के दांत निकलते हैं और खून बहना बंद नहीं होता तब बीमारी का पता चलता है।
इसका बचाव है जरूरी
डॉ. एके आर्या कहते हैं कि शादी से पहले जिस प्रकार कुंडली मिलाई जाती है उसी प्रकार गंभीर बीमारियों जैसे डायबिटीज, हीमोफिलिया, कैंसर, रोगों से बचने के लिए मेडिकल हिस्ट्री जानना भी ज़रूरी है। गर्भधारण से पूर्व माता और पिता का मेडिकल चेकअप होना चाहिए, ताकि समय रहते गंभीर बीमारी का पता लगाकर इलाज मुहैया कराया जा सके।
हीमोफिलिया के प्रकार
हीमोफिलिया ए : यह बेहद सामान्य प्रकार का हीमोफिलिया होता है, इसमें रक्त के थक्के बनने के लिए आवश्यक फैक्टर 8 की कमी होती है।
हीमोफिलिया बी : यह दुर्लभ प्रकार का हीमोफिलिया होता है। इसमें बच्चों में क्लॉटिंग फैक्टर 9 की कमी होती है। खून का थक्का बनाने के लिए यह जरूरी तत्व होता है। एेसे पीड़ितों को चोट लगने पर अत्याधिक खून बहता है।
हीमोफिलिया के लक्षण
- मांसपेशियों एवं जोड़ों में रक्तस्त्राव या दर्द होना
- शरीर पर लाल, नीले व काले रंग के गांठदार चकत्ते
- चिड़चिड़ापन, उल्टी, दस्त, ऐठन, चक्कर, घबराहट आदि
- खून की कमी से सांस लेने में दिक्कत होना
- खून या काला गाढ़े घोल जैसे पदार्थ की उल्टी करना
अहम तथ्य
नेशनल हेल्थ पोर्टल के अनुसार दस हज़ार पुरुषों में से एक पुरुष को हीमोफिलिया का खतरा रहता। इस रोग की वाहक महिलाएं होती हैं। इसकी चपेट में अधिकतर पुरुष आते हैं।
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