दिनांक 12 मार्च 2021
दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत - 2077
शक संवत - 1942
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत
मास - फाल्गुन (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार - माघ)
पक्ष - कृष्ण
तिथि - चतुर्दशी शाम 03:02 तक तत्पश्चात अमावस्या
नक्षत्र - शतभिषा रात्रि 10:51 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद
योग - सिद्ध सुबह 08:30 तक तत्पश्चात साध्य
राहुकाल - सुबह 11:19 से दोपहर 12:48 तक
सर्योदय - 06:51
सूर्यास्त - 18:45
(सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मे जिलेवार अंतर संभव है)
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
पर्व विवरण -
विशेष - चतुर्दशी और अमावस्या के दिन ब्रह्मचर्य पालन करे तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए
13 मार्च 2021 शनिवार को अमावस्या है ।
घर में हर अमावस अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनेर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।या पारिवारिक कलह रहती हो तो घर मे जब पोछा लगये तो उस पानी मे पिसा हुआ कपूर ;फिटकरी ;खड़ा नामक और गौझरण मिला के लगाइए और फिर परिवर्तन देखिए।
अमावस्या
अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है (विष्णु पुराण)
धन-धान्य व सुख-संम्पदा के लिए
हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें।
सामग्री : १. काले तिल, २. जौं, ३. चावल, ४. गाय का घी, ५. चंदन पाउडर, ६. गूगल, ७. गुड़, ८. देशी कर्पूर, गौ चंदन या कण्डा।
विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवनकुंड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये देवताओं की १-१ आहुति दें।
आहुति मंत्र
- ॐ कुल देवताभ्यो नमः
- ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः
-. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः
-. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः
-. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः
पंचक
11 मार्च प्रात: 9.19 बजे से 16 मार्च प्रात: 4.45 बजे तक
7 अप्रैल दोपहर 3 बजे से 12 अप्रैल प्रात: 11.30 बजे तक
आमलकी एकादशी गुरुवार, 25 मार्च 2021
26 मार्च: प्रदोष व्रत
फाल्गुन पूर्णिमा 28 मार्च, रविवार
फाल्गुनी अमावस्या- शनिवार, 13 मार्च 2021.
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