Kanpur Bikru Case : आएं जानें दुर्दांत विकास दुबे आठ पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारने के बाद कैसे भागा और कहां छिपा, यूपी एसटीएफ ने बताई कहानी


प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर

कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू कांड का सर्वेसर्वा दुर्दांत विकास दुबे भले ही घटना के आठवें दिन पुलिस ने मार गिराया हो। पुलिस ने उसके सहयोगी प्रभात व अमर दुबे को एनकाउंटर में मार दिया था। फिर भी वह आज भी मीडिया में जीवित है। उसको लेकर लगातार खुलासे हो रहे हैं।

दुर्दांत विकास दुबे ने बिकरू गांव में दबिश देने आए सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिया और फरार हो गया था। यहां से भागने के बाद वह कहां कहां गया। किस किस ने उसे पनाह दी। कौन-कौन उसका मददगार बना। उसकी मौत के बाद यह राज बन कर रह गया था। आएं जानें विकास और अमर के फरारी की कहानी और यूपी एसटीएफ की जुबानी। 

बिकरू कांड के आठवें दिन विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया लेकिन घटना को अंजाम देकर बचकर भाग निकलने का रहस्य बना रहा। कैसे फरार हुआ अब तक किसी  को पता नहीं चला, जिससे लोगों में तो जिज्ञासा थी।

पुलिस की पड़ताल में यह अहम कड़ी छूट रही थी, आखिर एसटीएफ ने इस रहस्य से सोमवार को पर्दा उठा दिया। एसटीएफ ने फरारी के समय विकास के मददगार और आश्रय देने वालों समेत सात लोगों को गिरफ्तार करके पूरी हकीकत सामने ला दी। सोमवार को एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश ने गिरफ्तार विकास के सहयोगियों के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या की घटना को अंजाम देने के बाद विकास दुबे, अमर दुबे और प्रभात मिश्रा बिकरू गांव से भागकर शिवली पुल के पास जाकर छुप गए थे। प्रभात मिश्रा ने अपने मित्र विष्णु कश्यप से संपर्क किया और उसे शिवली नदी के पास बुलाया। इसपर विष्णु कश्यप शिवली निवासी अपने दोस्त छोटू की स्विफ्ट डिजायर कार लेकर आया।

कार में अभियुक्तों को बिठाकर हथियार रखे गए। इसके बाद विष्णु कश्यप के बहनोई रामजी उर्फ राधे के घर तुलसीनगर रसूलाबाद सभी अभियुक्त पहुंचे। उसके घर पर बने तलघर में सभी छिप गए। यहां से अभिषेक उर्फ छोटू अपनी कार लेकर वापस चला गया।

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