Health Update : अब पेट की गंभीर बीमारियों का संभव संपूर्ण निदान

  • नई दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में उपलब्ध हैं सभी अत्याधुनिक इलाज व जांच की सुविधाएं



प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, कानपुर

अब गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल डिसऑर्डर की डायग्नोसिस से लेकर इलाज की आधुनिक तकनीकें उपलब्ध हैं। पेट एवं छोटी-बड़ी आंत से जुड़ी बीमारियों के जांच के लिए अब मोटराइज्ड पावर स्पाइरल एंटेरोस्कोपी (एमपीएसई) और पेरोरल एंडोस्कोपिक मायोटॉमी (पीओईएम) की सुविधा उपलब्ध हो गई है। मेडिकल साइंस में एडवांस टेक्नोलॉजी की वजह से छोटी आंत की अचलेसिया कार्डिया नामक दुर्लभ बीमारी की जांच के साथ उससे मरीजों को लाभ प्रदान करना भी संभव है। यह जानकारी कानपुर के कान्हा ग्लैक्सी होटल में हुई प्रेसवार्ता में नई दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. विकास सिंगला ने दी।


डॉ. सिंगला ने बताया कि अचलेसिया में खाने की नली की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। इसमें भोजन तथा पानी का निर्बाध प्रवाह बाधित होने लगता है मरीज को खाना निगलने में दिक्क्त होती है। भोजन या पानी छाती में अटकने का अहसास, सीने में दर्द, उल्टी और वजन कम होने लगता है।


एसोफिगल मैनोमेट्री से अचलेसिया की पहचान


डॉ. विकास सिंगला ने बताया कि अचलेसिया की पहचान के लिए एसोफिगल मैनोमेट्री जांच कराई जाती है। इसमें भोजन और पानी को पेट तक पहुंचाने में मदद करने वाली मांसपेशियों की क्षमता और कार्यप्रणाली नापी जाती है। मरीज के मुंह के जरिये खाने की नली में पतला पाइप डालकर जांच करते हैं। इसमें 20 मिनट लगते हैं। मरीज को बेहोश करने की जरूरत नहीं पड़ती है।


देश के चुनिंदा संस्थानों में मैक्स


मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल देश के चुनिंदा संस्थानों है जहां ओसोफिगल मैनोमेट्री की सुविधा उपलब्ध है। पेरोरल एंडोस्कोपिक मायोटोमी (पीओईएम) नामक एंडोस्कोपिक विधि से अचलेसिया का इलाज करते हैं। इसमें कोई चीरा लगाने की जरूतर नहीं पड़ती और न ही लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है। मरीज प्रोसिजर के 24 घंटे बाद लिक्विड भोजन लेने लगता है।


छोटी आंत तक पहुंचना आसान


डॉ. सिंगला ने बताया कि एंटरोस्कोपी छोटी आंत की एंडोस्कोपी है। डॉक्टरों के लिए इसे करना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि मुंह या गुदा मार्ग से छोटी आंत तक पहुंचना मुश्किल होता है। मोटराइज्ड पावर स्पाइरल एंटरोस्कोपी छोटी आंत के अंदर की हलचल देखने के लिए गेमचेंजर साबित हुई है। इस आधुनिक डायग्नोस्टिक और इंटरवेंशनल टूल को उत्तर भारत में मैक्स हॉस्पिटल में मंगाया गया है। इसके आसान इस्तेमाल से डॉक्टरों को कम समय में आंत की हलचल को नैविगेट करने की क्षमता मिल जाती है। पावर स्पाइरल एंटरोस्कोपी से छोटी आंत संबंधी बीमारियों से पीड़ित मरीजों के प्रबंधन में बड़ा बदलाव आया है।


आंत के अंदर के जख्म की बायोप्सी संभव


वहीं मैक्स हॉस्पिटल के डॉ. सुरक्षित टी के ने बताया कि इस टेक्नोलॉजी की मदद से आंत के अंदर के जख्म की बायोप्सी, ट्यूमर और पॉलिप निकालना आसान हो गया है। आंतों में होने वाले रक्तस्राव पर काबू पाने, संकीर्ण हिस्से को फैलाने समेत छोटी आंत के अंदर तेजी से प्रोसीजर करने की सुविधा मिल गई है। हॉस्पिटल में कैप्सूल एंडोस्कोपी पहले से है और अब पावर स्पाइरल एंटरोस्कोपी आने से पेट का इलाज की बेहतरीन सुविधा हो गई है।


खट्टी डकार-मुंह में खट्टा पानी यानी एसिड की समस्या


डॉ. सिंगला ने बताया कि गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर में खट्टी डकार, मुंह में खट्टा पानी आना और सीने में जलन एवं उल्टी आना आम समस्या है। इसमें अत्याधिक एसिड बनता है। खाने की नली एवं पेट के बीच का वाल्व खराब हो जाता है। एसिड ऊपर की तरफ आने लगता है, इस समस्या को गैस्ट्रो ओसोफिगल रिफ्लक्स डिजीज कहते हैं। इसका पता लगाने के लिए 24 घंटे पीएच मेट्री प्रतिरोधी जांच कराई जाती है। इसमें नाक के जरिए ट्यूब डालकर उसे विशेष प्रकार की मशीन से जोड़ा जाता है। इससे एसिड बनने की सटीक जानकारी मिल जाती है। रोग की गंभीरता का भी पता चल जाता है। इसमें लापरवाही बरतने से दांत खराब होने लगते हैं। आवाज भी जा सकती है और अस्थमा की बीमारी भी हो सकती है।


छोटी आंत की


बीमारी के लक्षण


पेट में बार-बार दर्द होना, लगातार पतला दस्त, उल्टी, काला मल होना, हीमोग्लोबिन में तेजी से कमी के साथ वजन घटना।


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