Uttarakhand Update : मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह बोले- लापता 203 लोगों में से 11 के शव बरामद

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प्रारब्ध न्यूज डेस्क


उत्तराखंड के चमोली में रविवार को ग्लेशियर टूटने से आई आपता के बाद से राहत और बचाव कार्य अनवरत जारी है। अबतक चमोली जिला पुलिस ने 14 शव मिलने की पुष्टि की है। अभी भी 125 से अधिक लोग लापता हैं। सोमवार तड़के चार बजे से फिर से बचाव कार्य शुरू हो गया। सुरंगों के पास से मलबा हटाया जा रहा है। राहत कार्य में लगे लोगों का मानना है कि इसमें बड़ी संख्या में लोग फंसे हुए हैं। हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने मुआवजे की घोषणा की है। राज्य सरकार चार और केंद्र सरकार दो लाख रुपये की सहायताा राशि प्रदान करेगी। सेना, वायुसेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीमें जिला प्रशासन के साथ मिलकर राहत और बचाव में जुटी हुई हैं। वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने आवश्यकता होने पर मदद की पेशकश की है। इस खबर से जुड़ी अब तक की जानकारी :


आपदा में लापता हुए 203 अौर अब तक 11 के शव मिले


मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि लगभग 203 लोग आपदा में लापता हुए हैं। जिनमें से 11 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं। हमें कल तक एक सहायक कंपनी के प्रोजेक्ट तपोवन के बारे में पता नहीं था। हम यह मानकर चल रहे हैं कि दूसरी सुरंग में 35 लोग अभी भी फंसे हुए हैं। राहत-बचाव कार्य जारी है।



कठिन परिस्थिति - रमेश पोखरियाल निशंक


आपदा ग्रस्त इलाके का निरीक्षण करने पहुंचे केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि यह बेहद कठिन परिस्थिति है, लेकिन आईटीबीपी ने पहली सुरंग से सफलतापूर्वक लोगों को निकाल लिया है। अब वह दूसरी सुरंग पर कार्य कर रहे हैं। एनडीआरएफ और सेना भी राहत बचाव कार्य में लगी है। दोपहर तक कुछ सकारात्मक परिणाम आने की संभावना है। वहीं सोमवार दूसरे दिन जारी राहत बचाव कार्य के तहत एसडीआरएफ उत्तराखंड पुलिस की टीम श्रीनगर बांध के आसपास लापता लोगों की खोज में लगी है।


डीआरडीओ और एसएएआई के वैज्ञानिकों की टीम जोशीमठ के लिए रवाना



गृह मंत्रालय (एमएचए) का कहना है कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) - स्नो एंड एवलांच स्टडी इस्टेब्लिशमेंट संस्था (एसएएसई) के वैज्ञानिकों की एक टीम कल रात देहरादून के लिए रवाना हुई। जोशीमठ क्षेत्र से निगरानी के लिए वैज्ञानिकों की टीम रवाना हो रही है। भारतीय सेना का कहना है कि इंजीनियरिंग टास्क फोर्स सहित सेना के कर्मियों के प्रयासों के बाद सुरंग का मुंह साफ कर दिया गया है। जनरेटर और सर्च लाइट लगाकर रात भर काम जारी रखा गया। घटना स्थल पर फील्ड अस्पताल मेडिकल सहायता देते रहे। सोमवार की सुबह पहली रोशनी के साथ वायु सेना के विमान राहत बचाव टीम की सहायता कर रहे हैं। हिमस्खलन के खतरे का पता लगाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।



बड़ी सुरंग 70-80 मीटर तक साफ- अपर्णा कुमार, डीआईजी आईटीबीपी



आपदा प्रभावित तपोवन में राहत बचाव कार्य फिलहाल जारी है। डीआईजी आईटीबीपी अपर्णा कुमार ने बताया कि बड़ी सुरंग को 70 से 80 मीटर तक साफ कर दिया गया है। जेसीबी की मदद से मलबा हटाया गया है। यह सुरंग करीब 100 मीटर लंबी है और लगभग 30-40 कर्मचारी सुरंग में फंसे हुए हैं। उन्हें निकालने के प्रयास जारी हैं। दूसरी सुरंग की तलाश जारी है।


राज्य उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह श्रीनगर पहुंचे


चमोली जिले के प्रभारी मंत्री और राज्य उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत श्रीनगर पहुंच चुके हैं। यहां से वह केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के साथ आपदा ग्रस्त इलाके का निरीक्षण करने के लिए रवाना होंगे।


उत्तराखंड में जरूरत पड़ने पर बचाव एवं राहत कार्यों में मदद देंगे : संरा महासचिव


चमोली में ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट जाने के कारण ऋषिगंगा घाटी में अचानक आई भीषण बाढ़ में जानमाल के नुकसान पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनिया गुतारेस ने दुख जताया और कहा कि यदि जरूरत पड़ती है तो उत्तराखंड में जारी बचाव एवं राहत कार्यों में संगठन सहयोग देने के लिए तैयार है। कांग्रेस सांसद मणीकम टैगोर ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया है, ताकि उत्तराखंड में बाढ़ की चर्चा की जा सके।




जोशीमठ में हवाई निरीक्षण कर लौटा चिनूक


चमोली के रैणी गांव में तपोवन में अभी तक तीस मीटर तक सुरंग की खुदाई की गई है। चिनूक हेलीकॉप्टर भी जोशीमठ में हवाई निरीक्षण कर लौट गया है। चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद रात भर बिजनौर के लोगों की सांसे अटकी रहीं। गंगा के सीमावर्ती गांव के लोगों को प्रशासन ने पहले ही अलर्ट कर दिया था। तमाम लोग गंगा किनारे से अपना सामान समेटकर सुरक्षित स्थानों पर चले गए थे। सभी को उम्मीद थी कि रात में गंगा का जलस्तर बढ़ेगा, लेकिन ऊपरी इलाकों से ही गंगा के पानी को नियंत्रित कर लिया गया। अभी गंगा में मात्र 7612 क्यूसेक पानी है।



भारतीय वायु सेना ने शुरू किया बचाव कार्य


देहरादून से जोशीमठ में एमआई-17 और एएलएच हेलीकॉप्टरों के साथ हवाई बचाव और राहत मिशन फिर से शुरू हो गए हैं। यह जानकारी भारतीय वायु सेना ने दी।


30 से अधिक लोग हैं फंसे





आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडे ने कहा कि हमने दूसरी सुरंग में खोज अभियान तेज कर दिया है। हमें जानकारी मिली है कि लगभग 30 लोग वहां फंसे हुए हैं। सुरंग को साफ करने के लिए लगभग 300 आईटीबीपी के जवान तैनात हैं। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि लगभग 170 लोग लापता हैं। आईटीबीपी ने कल एक सुरंग से 12 लोगों को बचाया, ये 30 लोग एक अलग सुरंग में फंसे हुए हैं। विभिन्न क्षेत्रों में बचाव अभियान चल रहा है। यदि आवश्यकता पड़ी तो और टीमें भेजी जाएंगी, हम पहले सुरंग से लोगों को बचाकर बाहर निकाल रहे हैं।


15 व्यक्तियों को किया गया रेस्क्यू


चमोली पुलिस ने कहा, टनल में फंसे लोगों के लिए राहत एवं बचाव कार्य जारी। जेसीबी की मदद से टनल के अंदर पहुंच कर रास्ता खोलने का प्रयास किया जा रहा है। अब तक कुल 15 व्यक्तियों को रेस्क्यू किया गया है एवं 14 शव अलग-अलग स्थानों से बरामद किए गए हैं।



एसडीआरएफ ने शुरू किया बचाव कार्य


चमोली के तपोवन बांध के पास सुरंग पर एसडीआरएफ ने अपना बचाव अभियान शुरू कर दिया है।



कैनाइन दस्ते को भी किया गया तैनात


चमोली में तपोवन बांध के पास तलाशी अभियान चलाने के लिए कैनाइन दस्ते को भी तैनात किया गया है। कल इस क्षेत्र में बाढ़ आ गई थी।


तपोवन टनल से हटा मलबा


सोमवार को तड़के साढ़े चार बजे से प्रभावित रैणी और तपोवन में राहत बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। तपोवन टनल से मलबा हटाया जा रहा है। दो सुरंगों में 50 लोग फंसे हैं।


संयुक्त राष्ट्र योगदान देने को है तैयार


संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता ने कहा, 'महासचिव को उत्तराखंड में ग्लेशियर के फटने और उसके बाद आई बाढ़ से हुए जानमाल के नुकसान और दर्जनों लोगों के लापता होने का गहरा दुख है। वह पीड़ितों के परिवारों, लोगों और भारत सरकार के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं। संयुक्त राष्ट्र आवश्यकता होने पर बचाव और सहायता प्रयासों में योगदान देने के लिए तैयार है।'



शुरू हुआ रेस्क्यू 


आपदा से प्रभावित रैणी और तपोवन क्षेत्र में रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हो गया है।  सुबह साढ़े 4 बजे से रेस्क्यू शुरू हो गया था। तपोवन टनल का मलबा हटाया जा रहा है

 


डीआरडीओ की टीम आज पहुंचेगी 


चमोली हादसे के वक्त मैदानी इलाकों में बाढ़ जैसे हालत न पैदा हो जाए, इसलिए बांध के पानी को रोक दिया गया था। हालांकि, अब उसी बांध के पानी को बड़ी सावधानी से छोड़ा जा रहा है क्योंकि बांध के ऊपर झील में भी पानी जमा हो गया है। हालांकि, किसी भी खतरे से निपटने के लिए प्रशासन मुस्तैद है। आज डीआरडीओ एक्सपर्ट की एक टीम उत्तराखंड पहुंचेगी। ये टीम चमोली में हादसे वाली जगह का मुआयना कर स्थिति का आकलन करेगी। टीम आसपास के ग्लेशियरों का भी अध्ययन करेगी।



टिहरी बांध से पानी छोड़ने का निर्देश


ग्लेशियर टूटने के बाद तपोवन के पास एक झील बन गई है। अब इस झील का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में जिलाधिकारी ने एहतियातन टिहरी बांध से पानी छोड़ने का निर्देश दिया है।



मंदाकिनी का जल स्तर कम होने का इंतजार


उत्तराखंड के चमोली में तपोवन बांध के पास सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के लिए बचाव अभियान शुरू करने के लिए एसडीआरएफ के सदस्य मंदाकिनी नदी का जल स्तर कम होने का इंतजार कर रहे हैं।

 



जापान के राजदूत ने जताया दुख


भारत में जापान के राजदूत सातोशी सुजूकी ने कहा, उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने के बड़े हादसे में कई निर्दोष लोगों की जान जाने और लापता होने के दुखद हादसे को लेकर मेरा हृदय बेहद दुखी है। मैं हार्दिक शोक जताता हुं और प्रार्थना करता हूं कि लापता लोगों को जल्द से जल्द बचा लिया जाएगा। हमारी सहानुभूति उत्तराखंड के लोगों के साथ है।



मृतकों के परिवारों और दोस्तों के प्रति संवेदना : अमेरिका


अमेरिकी विदेश विभाग ने ट्वीट में कहा, हम भारत में ग्लेशियर फटने और भूस्खलन के कारण प्रभावित होने वाले लोगों के प्रति शोक प्रकट करते हैं। हम मृतकों के परिवारों और दोस्तों के दुख में शामिल हैं और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं। 



दुनिया भर के नेताओं ने जताया दुख


उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर फटने के कारण आई बाढ़ से हुए नुकसान पर पूरी दुनिया के कई नेताओं ने दुख जताया है। विभिन्न देशों के नेताओं ने इस हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के साथ संवेदना भी जताई है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ट्वीट में कहा, फ्रांस उत्तराखंड राज्य में ग्लेशियर फटने के चलते 100 से ज्यादा लोगों के लापता होने के बाद पूरी तरह भारत के साथ एकजुट होकर खड़ा है। हमारी संवेदनाएं लापता लोगों और उनके परिजनों के साथ हैं। 


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