- सदैव अटल समाधि स्थल पर राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री समेत दिग्गजों अर्पित किए श्रद्धा सुमन
- लखनऊ के लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उनके सहयोगियों ने किया नमन
लखनऊ के लोकभवन में अटल जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते प्रदेश के मुख्यमंत्री।
पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की दूसरी पुण्य तिथि है। देशवासी भावुक होकर उन्हें याद कर रहे हैं। सर्वमान्य एवं सर्वसुलभ ऐसे नेता विरले ही जन्म लेते हैं। रविवार सुबह दिल्ली स्थित सदैव अटल समाधि स्थल पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपित वैंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भापजा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई दिग्गज नेता श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे। श्रद्धा सुमन अर्पित कर नमन किया।सदैव अटल पर नमन करते राष्ट्रपति।
वहीं, लखनऊ के लोक भवन में अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया।
लखनऊ के लोकभवन में अटल बिहारी वाजपेई की 95वीं जयंती पर आठ माह पहले 25 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा लगाई गई थी। इसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। उसी प्रतिमा पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या व डॉ. दिनेश शर्मा समेत कई मंत्री एवं विधायकों ने लोकप्रिय राजनेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दूसरी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित कर नमन किया।सदैव अटल पर नमन करते प्रधानमंत्री।
संक्षिप्त परिचय
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर, 1924 को हुआ था। उन्होंने राजनीति शास्त्र में एमए कानपुर के डीएवी कॉलेज से किया। उन्होंने कानपुर में हॉस्टल में रह कर पढ़ाई की। बाद में अटल जी ने लखनऊ को अपनी कर्मभूमि बनाया। लखनऊ के सांसद बन लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया। अटल बिहारी वाजपेयी एकमात्र गैर कांग्रेसी नेता थे, जिन्होंने तीन बार प्रधानमंत्री पद संभाला। वाजपेयी सबसे पहले वर्ष 1996 में 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने। उसके बाद वर्ष 1998 में उन्होंने केंद्र में 13 महीनों की सरकार चलाई थी। वर्ष 1999 में वह तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने। वर्ष 2004 में एनडीए की हार तक इस पद पर बने रहे। उनके कार्यकाल में भारत ने परमाणु परीक्षण कर यह क्षमता हासिल की। इसके साथ ही कारगिल में हुई पाकिस्तानी घुसपैठ को रोककर भारत ने पड़ोसी देश को धूल चटाई थी।
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