- सवा करोड़ रोजगार देने का दावा सिर्फ छलावा : अजय कुमार लल्लू
- सूबे में बेरोजगार आत्महत्या कर रहे, सरकार अपनी पीठ थपथपा रही
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के जेल से रिहा होने के बाद सूबे में पार्टी के तेवर बदल गए हैं। अब सरकार पर आक्रामक रुख अपना लिया है। शनिवार को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि सरकार प्रदेश के बेरोजगारों का मजाक उड़ा रही है। भाजपा सरकार का सवा करोड़ रोजगार देने का दावा सिर्फ छलावा है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने हर साल 2 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था, उसका क्या हुआ? उन्होंने कहा कि पिछले 45 वर्षों में वर्तमान में बेरोजगारी की दर सर्वाधिक है। बेरोजगार युवाओं को नौकरी मांगने पर लाठियां बरसाईं जाती हैं। प्रदेश में समय से कोई भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से प्रदेश में कांच, पीतल, कालीन, बुनकरी, फर्नीचर, चमड़ा उद्योग, होजरी, डेयरी, मिट्टी बर्तन, फिशरी-हेचरी एवं अन्य घरेलू उद्योग प्रभावित हुए हैं। लाखों बुनकरों की हालत खराब है। कुटीर और लघु उद्योग मंदी की मार झेल रहे हैं। फिर भी सरकार से कोई मदद नहीं कर रही है। सरकार का दावा और जमीनी सच्चाई कुछ और है। सूबे में आर्थिक तंगी के वजह से रोजाना लोग आत्महत्या कर रहे हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बांदा जिले में बिसंडा थाना क्षेत्र के अमलोहरा गांव में सूरत से लौटे प्रवासी कामगार ने शुक्रवार को आत्महत्या कर ली है। वह सूरत में साड़ी कंपनी में छपाई का काम करता था। काम बंद होने पर 20 दिन पहले गांव लौटा था। बांदा जिले में 20 लोग अब तक आत्महत्या करने को मजबूर हुए हैं। रोजगार मिल रहा होता तो आत्महत्या क्यों करते।
सिल्क व कालीन उद्योग पर संकट
प्रेसवार्ता में प्रदेश उपाध्यक्ष वीरेंद्र चैधरी ने कहा कि वाराणसी में 2000 करोड़ रुपये से अधिक का सिल्क का कारोबार होता है। कोरोना संकट से कराह रहे सिल्क उद्योग में एक लाख अकुशल श्रमिकों की छंटनी हो चुकी है। भदोही के कालीन उद्योग में 1200 करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात होता है, जो ठप पड़ा है। इसी तरह आगरा में तीन लाख जूते के दस्तकार घरों में बैठे हैं। कोई काम नहीं है। लखनऊ में पारंपरिक चिकन कपड़ों का काम बंद पड़ा है, जो बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि फिर भी हमारे प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री अपनी पीठ थपथपाने में लगे हैं। वर्तमान समय में ग्रामीण इलाकों में रोजगार का संकट है। कुशल कारीगरों को योग्यता के मुताबिक रोजगार की गारंटी मिलनी चाहिए। मनरेगा में 200 दिनों के काम की गारंटी होनी चाहिए।
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