दिल की देखभाल

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सर्दियों में धमनिया सिकुड़ने से हाई ब्लड प्रेशर वह एनजाइना की शिकायत हो जाती है। ऐसे में जब शारीरिक तनाव हो या अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ जाय, तो हार्टअटैक की भी अधिक आशंका बढ़ जाती है।

 धमनियों की सिकुड़न से ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है साथी दिन छोटा होने से ,और सर्दियों में भूख अधिक लगने से ब्लड शुगर भी बढ़ जाता है। इस कारण डायबिटीज के मरीजों में शुगर का नियंत्रण गड़बड़ा जाता है। हार्ट अटैक के सबसे अधिक मामले सुबह 4:00 से सुबह 10:00 बजे तक होते हैं ।सर्दियों में लोग व्यायाम, योग और टहलना कम कर देते हैं। इसलिए कैलोरी बर्न नहीं हो पाती।ब्लड प्रेशर बढ़ता है और हार्टअटैक भी हो सकता है।

 ऐसे करें बचाव 

सर्दियों में हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने और हार्ड अटैक से बचाव के लिए इन सुझावों पर अमल करें..
 -ध्यान रहे सर्दियों के मौसम में रातें लंबी होती हैं और आप 8 घंटे से अधिक  ना सोएं।
- अपने टहलने योग व व्यायाम का कुल वक्त कम ना करें भले ही समय बदल लें।
- सवेरे ,शाम या रात को कोशिश करें कि घर से ना निकले ।
-निकलें तो मफलर, स्वेटर , कैप और मोजा पहने।
- जब हम घर से निकलते हैं या रजाई से बाहर अचानक ठंडे वातावरण में निकलते हैं ,तो हार्टअटैक होने की संभावना होती है ।बाथरूम में भी ठंड होने से सवेरे शौच के लिए जाते ही बाथरूम में हार्टअटैक होना आम है ।घर से बाहर निकलते ही ठंडी हवा में एनजाइना और हार्ट अटैक होना आम है। इसलिए ऐसे में अवश्य कान ,गला ,सीना ढके रहे ।
-ठंडा पानी, ठंडे पेय व ठंडे खाद्य पदार्थ लेते ही अंदर का यानी शरीर का आंतरिक तापमान बिगड़ने से एंजाइना और हार्टअटैक तक हो सकता है। गरम ताज़ा खाना और सामान्य पानी पीना चाहिए।
- भोजन कम मात्रा में बार-बार लेना चाहिए ,एक साथ खाने से रक्त का अधिक प्रभाव पेट और आंतों की ओर डायवर्ट होने लगता है इस कारण एंजाइना वहां तक हो सकता है।
- वेंटिलेशन अच्छा होना चाहिए साथ ही ताकि हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम न हो। कोहरे में निकलने से सांस की दिक्कत और ऑक्सीजन की कमी से हार्टअटैक हो सकता है। पूरा घर बंद रखने से, खिड़की दरवाजे बंद रखने से, कमरे में फूल ,पेड़ -पौधे रखने से ,हीटर,ब्लोअर और आग जलाकर रखने से से भी ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे में हार्ट अटैक होने की आशंका बढ़ जाती है ।
-सर्दियों में सांस, ह्रदय ,हाई ब्लड प्रेशर और मधुमेह रोगियों को अपने डॉक्टर से  परामर्श लेकर (ईसीजी, इको, डॉप्लर और रक्त जांच)चेकअप आदि कराना चाहिए। डॉक्टर दवाओं की डोज़ को नए सिरे से निर्धारित करते हैं।
-डा0 आरती लालचन्दानी
कार्डियोलौजिस्ट।

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