Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (07 May 2022)

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दिनांक : 07 May, दिन : शनिवार


विक्रम संवत : 2079


शक संवत : 1944


अयन : उत्तरायण।


ऋतु : ग्रीष्म ऋतु


मास : वैैशाख


पक्ष - शुक्ल


तिथि - षष्ठी दोपहर 02:56 तक तत्पश्चात सप्तमी


नक्षत्र - पुनर्वसु दोपहर 12:18 तक पुष्य


योग - शूल शाम 07:59 तक तत्पश्चात गण्ड


राहुकाल - सुबह 09:20 से सुबह 10:58 तक


सूर्योदय - 06:05


सूर्यास्त - 19:04


दिशाशूल - पूर्व  दिशा में


पंचक


पंचक का आरंभ- 22 मई 2022, रविवार को 11.13 मिनट से 

पंचक का समापन- 26 मई 2022, मंगलवार को 24.39 मिनट पर। 


 एकादशी


गुरुवार, 12 मई 2022- मोहिनी एकादशी

 गुरुवार, 26 मई 2022- अचला (अपरा) एकादशी


पूर्णिमा


वैशाख पूर्णिमा- सोमवार 16 मई, 2022


अमावस्या

 

ज्येष्ठ अमावस्या सोमवार 30 मई, 2022।


 प्रदोष व्रत


13 मई शुक्रवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)

27 मई शुक्रवार प्रदोष व्रत 


व्रत पर्व विवरण - चंदन षष्ठी  


 रविवार सप्तमी


08 मई 2022 रविवार को सूर्योदय से शाम 05:01 तक रविवारी सप्तमी है ।

रविवार सप्तमी के दिन जप/ध्यान करने का वैसा ही हजारों गुना फल होता है जैसा की सूर्य/चन्द्र ग्रहण में जप/ध्यान करने से होता |

रविवार सप्तमी के दिन अगर कोई नमक मिर्च बिना का भोजन करे और सूर्य भगवान की पूजा करे , तो उसकी घातक बीमारियाँ दूर हो सकती हैं , अगर बीमार व्यक्ति न कर सकता हो तो कोई और बीमार व्यक्ति के लिए यह व्रत करे | इस दिन सूर्यदेव का पूजन करना चाहिये |


सूर्य भगवान पूजन विधि


1- सूर्य भगवान को तिल के तेल का दिया जला कर दिखाएँ , आरती करें |

2- जल में थोड़े चावल ,शक्कर , गुड , लाल फूल या लाल कुम कुम मिला कर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें |

सूर्य भगवान अर्घ्य मंत्र

1. ॐ मित्राय नमः।

2. ॐ रवये नमः।

3. ॐ सूर्याय नमः।

4. ॐ भानवे नमः।

5. ॐ खगाय नमः।

6. ॐ पूष्णे नमः।

7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।

8. ॐ मरीचये नमः।

9. ॐ आदित्याय नमः।

10. ॐ सवित्रे नमः।

11. ॐ अर्काय नमः।

12. ॐ भास्कराय नमः।

13. ॐ श्रीसवितृ-सूर्यनारायणाय नमः।


कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में

08 मई 2022 रविवार को सूर्योदय से दोपहर 02:58 तक रविपुष्यामृत योग है ।

बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें

              

गंगा स्नान का फल


08 मई 2022 रविवार को श्री गंगा सप्तमी  है ।


"जो मनुष्य आँवले के फल और तुलसीदल से मिश्रित जल से स्नान करता है, उसे गंगा स्नान का फल मिलता है ।"

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