Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (03 May 2022)

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दिनांक : 03 May, दिन : मंगलवार


विक्रम संवत : 2079


शक संवत : 1944


अयन : उत्तरायण।


ऋतु : ग्रीष्म ऋतु


मास : वैैशाख


पक्ष - शुक्ल


 तिथि - तृतीया पूर्णरात्रि तक


नक्षत्र - रोहिणी रात्रि 03:18 तक तत्पश्चात मृगशिरा


योग - शोभन अपरान्ह 04:16 तक  तत्पश्चात अतिगण्ड


राहुकाल - अपरान्ह 03:52 से दोपहर 05:30 तक


सूर्योदय - 06:05


सूर्यास्त - 07:08


दिशाशूल - उत्तर दिशा में


पंचक


पंचक का आरंभ- 22 मई 2022, रविवार को 11.13 मिनट से 

पंचक का समापन- 26 मई 2022, मंगलवार को 24.39 मिनट पर। 


 एकादशी


गुरुवार, 12 मई 2022- मोहिनी एकादशी

 गुरुवार, 26 मई 2022- अचला (अपरा) एकादशी


पूर्णिमा


वैशाख पूर्णिमा- सोमवार 16 मई, 2022


अमावस्या

 

ज्येष्ठ अमावस्या सोमवार 30 मई, 2022।


 प्रदोष व्रत


13 मई शुक्रवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)

27 मई शुक्रवार प्रदोष व्रत 


व्रत पर्व विवरण - अक्षय तृतीया, श्री परशुरामजी जयंती


विशेष- तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)


अक्षय तृतीया - 03 मई 2022(

 पूरा दिन शुभ मुहूर्त )

इस दिन स्वर्गीय आत्माओं की प्रसन्नता के लिए जल कलश, पंखा, खड़ाऊं, छाता, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा आदि फल, शक्कर, घी आदि ब्राह्मण को दान करने चाहिए इससे पितरों की कृपा प्राप्त होती है।

अक्षय तृतीया के दिन केसर और हल्दी से देवी लक्ष्मी की पूजा करने से आर्थिक परेशानियों में लाभ मिलता है।

इस दिन गंगा-स्नान करने से सारे तीर्थ करने का फल मिलता है। गंगाजी का सुमिरन  एंव जल में आवाहन करके ब्राह्ममुहूर्त में पुण्यस्नान तो सभी कर सकते हैं। स्नान के पश्चात प्रार्थना करें।


माधवे मेषगे भानौ मुरारे मधुसूदन।

प्रातः स्नानेन मे नाथ फलदः पापहा भव।।


सप्तधान्य उबटन व गोझरण मिश्रित जल से स्नान पुण्यदायी है। पुष्प, धूप-दीप, चंदन, अक्षत (साबुत चावल) आदि से लक्ष्मी नारायण का पूजन व अक्षत से हवन अक्षय फलदायी है।


इस दिन बिना कोई शुभ मुहूर्त देखे कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ या सम्पन्न किया जा सकता है। जैसे – विवाह, गृह-प्रवेश या वस्त्र-आभूषण, घर, वाहन, भूखंड आदि की खरीददारी, कृषिकार्य का प्रारम्भ आदि सुख-समृद्धि प्रदायक है।


इस दिन किया गया उपवास, जप, ध्यान, स्वाध्याय भी अक्षय फलदायी होता है। एक बार हलका भोजन करके भी उपवास कर सकते हैं।


इस दिन पानी के घड़े, पंखे, ओले (खाँड के लड्डू), पादत्राण (जूते-चप्पल), छाता, जौ, गेहूँ, चावल, गौ,  वस्त्र आदि का दान पुण्यदायी है। परंतु दान सुपात्र को ही देना चाहिए।


इस दिन पितृ तर्पण करना अक्षय फलदायी है। पितरों के तृप्त होने पर घर में सुख-शांति-समृद्धि व दिव्य संतानें आती हैं।


पितृ-तर्पण का महत्त्व व विधि 


इस दिन पितृ-तर्पण करना अक्षय फलदायी है । पितरों के तृप्त होने पर घर में  सुख-शांति-समृद्धि व दिव्य संताने आती है ।


 विधि : इस दिन तिल एवं अक्षत लेकर  र्विष्णु एवं ब्रम्हाजी को तत्त्वरूप से पधारने की प्रार्थना करें । फिर पूर्वजों का मानसिक आवाहन कर उनके चरणों में तिल, अक्षत व जल अर्पित करने की भावना करते हुए धीरे से सामग्री किसी पात्र में छोड़ दें तथा भगवान दत्तात्रेय, ब्रम्हाजी व विष्णुजी से पूर्वजों की सदगति हेतु प्रार्थना करें।


इस दिन माता-पिता, गुरुजनों की सेवा कर के उनकी विशेष प्रसन्नता, संतुष्टि व आशीर्वाद प्राप्त करें। इसका फल भी अक्षय होता है।

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