Prayagraj News Update : संगम की रेती पर गृहस्थों का अखंड तप कल्पवास शुरू

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पौष पूर्णिमा पर संगम के पवित्र जल में श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई

संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के उपरांत मंत्रोंच्चार करते श्रद्धालु।



संगम तट पर कल्पवास करने आए श्रद्धालुओं के परिवारीजन।


प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, प्रयागराज


प्रयागराज में संगम के तट पर भक्तिभाव से ओतप्रोत होकर सनातन धर्मावलंबी संगम के पवित्र जल में सोमवार भोर पहर से श्रद्धा की डुबकी लगा रहे हैं। माघ मेला के दूसरे स्नान पर्व पौष पूर्णिमा पर भोर से संगम व गंगा जल में स्नान का सिलसिला शुरू हो गया है। मेला क्षेत्र में लाखों की भीड़ कोरोना की सतर्कता बरतते हुए पुण्य की साक्षी बन रही है। अधिकतर श्रद्धालु मास्क लगाकर मेला क्षेत्र पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं के पास मास्क नहीं होने पर स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन की ओर से दिया जा रहा है। पौष पूर्णिमा से संगम की रेती पर गृहस्थों का अखंड तप कल्पवास शुरू हो गया है। स्नान के बाद कल्पवासी तीर्थपुरोहितों के मंत्रोच्चार के बीच पूजन करके कल्पवास शुरू कर रहे हैं। अखंड तप शुरू करने से पहले पूर्वजों व आराध्य का नमन किया। 


ग्रह-नक्षत्रों की अद्भुत संगम 


पौष पूर्णिमा का स्नान ग्रह-नक्षत्रों की अद्भुत संगम में हो रहा है। ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार पूर्णिमा तिथि रविवार की रात 2.40 बजे लगकर मंगलवार की भोर 4.30 बजे तक रहेगी। मकर राशि में सूर्य, बुध व शनि का संचरण होगा। पुनर्वसु नक्षत्र, वैधृति योग लगने से स्नान पर्व का महत्व बढ़ गया है। उक्त कालखंड में पवित्र नदी में स्नान करके कल्पवास का अखंड तप करने से मन के समस्त कामनाएं पूर्ण होंगी। ऐसा संयोग कम बनता है। 


भद्रा का है प्रभाव 


पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार सोमवार की दोपहर 3.35 बजे तक भद्रा है। भद्रा में व्रत व पूजन करने का प्रतिबंध नहीं है। ऐसी स्थिति में श्रद्धालु भद्रा काल में संगम व गंगा में स्नान के बाद पूजन करके कल्पवास आरंभ कर सकते हैं। इसके अलावा गृहप्रवेश, नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ, नींव पूजन आदि नहीं करना चाहिए।

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