विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)
शक संवत : 1943
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : शिशिर
मास : पौस (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार मार्गशीर्ष मास)
पक्ष : कृष्ण
तिथि - षष्ठी सुबह 08:09 तक तत्पश्चात सप्तमी
नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी 26 दिसम्बर प्रातः 05:06 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी
योग - प्रीति सुबह 11:26 तक तत्पश्चात आयुष्मान
राहुकाल - सुबह 09:56 से सुबह 11:18 तक
सूर्योदय - 07:14
सूर्यास्त - 18:02
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण - तुलसी पूजन दिवस
विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
पंचक
5 जनवरी 2022, बुधवार संध्या 07:55 बजे से 10 जनवरी 2022, सोमवार को सुबह 08:50 बजे तक- राज पंचक
व्रत और त्योहार
एकादशी
30 दिसंबर : सफला एकादशी
13 जनवरी : पौष पुत्रदा एकादशी
28 जनवरी : षटतिला एकादशी
प्रदोष
31 दिसंबर : प्रदोष व्रत
14 जनवरी : शनि प्रदोष
30 जनवरी : रवि प्रदोष
अमावस्या
02 जनवरी : पौष अमावस्या
पूर्णिमा
17 जनवरी : पौष पूर्णिमा
घातक रोगों से मुक्ति पाने का उपाय
26 दिसम्बर 2021 रविवार को (सूर्योदय से रात्रि 08:09 तक) रविवारी सप्तमी है।
रविवार सप्तमी के दिन बिना नमक का भोजन करें। बड़ दादा के १०८ फेरे लें । सूर्य भगवान का पूजन करें, अर्घ्य दें व भोग दिखाएँ, दान करें । तिल के तेल का दिया सूर्य भगवान को दिखाएँ ये मंत्र बोलें :
"जपा कुसुम संकाशं काश्य पेयम महा द्युतिम । तमो अरिम सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मी दिवाकर ।।"
नोट : घर में कोई बीमार रहता हो या घातक बीमारी हो तो परिवार का सदस्य ये विधि करें तो बीमारी दूर होगी ।
मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि
सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं।
इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है।
(शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याया (10)
रविवार सप्तमी
रविवार सप्तमी के दिन जप/ध्यान करने का वैसा ही हजारों गुना फल होता है जैसा की सूर्य/चन्द्र ग्रहण में जप/ध्यान करने से होता |
रविवार सप्तमी के दिन अगर कोई नमक मिर्च बिना का भोजन करे और सूर्य भगवान की पूजा करे , तो उसकी घातक बीमारियाँ दूर हो सकती हैं , अगर बीमार व्यक्ति न कर सकता हो तो कोई और बीमार व्यक्ति के लिए यह व्रत करे | इस दिन सूर्यदेव का पूजन करना चाहिये |
सूर्य भगवान पूजन विधि
1- सूर्य भगवान को तिल के तेल का दिया जला कर दिखाएँ , आरती करें |
2-जल में थोड़े चावल ,शक्कर , गुड , लाल फूल या लाल कुम कुम मिला कर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें |
सूर्य भगवान अर्घ्य मंत्रर
1. ॐ मित्राय नमः।
2. ॐ रवये नमः।
3. ॐ सूर्याय नमः।
4. ॐ भानवे नमः।
5. ॐ खगाय नमः।
6. ॐ पूष्णे नमः।
7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
8. ॐ मरीचये नमः।
9. ॐ आदित्याय नमः।
10. ॐ सवित्रे नमः।
11. ॐ अर्काय नमः।
12. ॐ भास्कराय नमः।
13. ॐ श्रीसवितृ-सूर्यनारायणाय नमः।
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