प्रारब्ध अध्यात्म डेस्क, लखनऊ
भगवान गणेश सुख-संपत्ति के दाता हैं। किसी भी काम को शुरू करने से पहले भगवान श्री गणेश की वंदना और आह्वान किया जाता है। श्रीगणेश के पूजन-अर्चन के बगैर कोई भी शुभ कार्य संभव नहीं है, उन्हें प्रथम पूज्य भी माना जाता है। क्या आपको पता है गणपति के विविध स्वरूप आपको कई तरह के संदेश भी देते हैं। हम आपको बता रहे हैं भगवान श्री गणेश के स्वरूप में छिपे संदेशों के बारे में। आएं जानें।
लंबी सूंड
भगवान गणेश अपनी लंबी सूंड से संदेश देते हैं कि जीवन में ग्रहण करने की क्षमता सूंड की तरह होनी चाहिए। अच्छाइयों को ग्रहण करें और विकारों को दूर करें। भगवान की सूंड शक्ति का प्रतीक है। इससे यह संदेश मिलता है कि अपनी शक्ति को व्यर्थ में प्रदर्शित नहीं करना चाहिए।
एक दंत
भगवान गणेश का एक दांत है। लोक कल्याण के लिए और वेद की रचना के लिए अपना एक दांत गणपति ने सहर्ष दान में दे दिया था। अपने प्रिय दंत को भगवान ने त्याग दिया था। ऐसे में इससे भी हमें त्याग करने का संदेश मिलता है। जीवन में त्याग को महत्त्व देने से हम दुखों से दूर हो जाते हैं। कई बार त्याग लोगों के लिए वरदान बन जाता है और आत्मिक सुख प्रदान करता है।
चतुर्भुज स्वरूप
भगवान अपने चतुर्भुज स्वरूप में अपने एक हाथ में पाश, एक में फरसा, एक में मोदक और एक हाथ से आशीर्वाद प्रदान करते हैं। चतुर्भुज स्वरूप में वे यह संदेश देते हैं कि जीवन में अंकुश भी जरूरी है लेकिन यह कम और अधिक नहीं होना चाहिए। अंकुश के बिना जीवन बेकार है। इसके ना होने से व्यक्ति के अपने पथ से भटकने की संभावना बढ़ जाती है। आवश्कता से अधिक अंकुश व्यक्ति के विकास को भी रोक देता है।
लंबा पेट
भगवान श्री गणेश का पेट लंबा है। इसी कारण उन्हें लंबोदर के नाम से भी पुकारा जाता है। यह इस बात का संदेश देता है कि भगवान ने जिस तरह से सृष्टि को अपने अंदर समाहित किया है उसी तरह से जीवन के सभी गुणों को हम आत्मसात करें। हर व्यक्ति में गुण और दोष होते हैं। अगर उसकी अच्छाइयों को महत्त्व देकर हम उससे अच्छा व्यवहार करें और उससे कुछ सीखें तो हमारा जीवन सुखमय हो जाएगा।
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