विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)
शक संवत : 1943
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : शरद
मास : अश्विन
पक्ष - शुक्ल
तिथि - तृतीया सुबह 07:48 तक तत्पश्चात चतुर्थी
नक्षत्र - विशाखा शाम 04:47 तक तत्पश्चात अनुराधा
योग - प्रीति शाम 06:30 तक तत्पश्चात आयुष्मान
राहुकाल - सुबह 09:29 से सुबह 10:57 तक
सूर्योदय - प्रातः 06:33 बजे
सूर्यास्त - संध्या 18:18 बजे
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण -विनायक चतुर्थी,चतुर्थी क्षय तिथि
विशेष - तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
उपांग ललिता व्रत
आदि शक्ति मां ललिता दस महाविद्याओं में से एक हैं। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को इनके निमित्त उपांग ललिता व्रत किया जाता है। यह व्रत भक्तजनों के लिए शुभ फलदायक होता है। इस वर्ष उपांग ललिता व्रत 10 अक्टूबर, रविवार को है। इस दिन माता उपांग ललिता की पूजा करने से देवी मां की कृपा व आशीर्वाद प्राप्त होता है। जीवन में सदैव सुख व समृद्धि बनी रहती है।
उपांग ललिता शक्ति का वर्णन पुराणों में प्राप्त होता है, जिसके अनुसार पिता दक्ष द्वारा अपमान से आहत होकर जब माता सती ने अपना देह त्याग दिया था और भगवान शिव उनका पार्थिव शव अपने कंधों में उठाए घूम रहें थे। उस समय भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती की देह को विभाजित कर दिया था। इसके बाद भगवान शंकर को हृदय में धारण करने पर इन्हें ललिता के नाम से पुकारा जाने लगा।
उपांग ललिता पंचमी के दिन भक्तगण व्रत एवं उपवास करते हैं। कालिका पुराण के अनुसार, देवी की चार भुजाएं हैं, यह गौर वर्ण की, रक्तिम कमल पर विराजित हैं। ललिता देवी की पूजा से समृद्धि की प्राप्त होती है। दक्षिणमार्गी शास्त्रों के मतानुसार देवी ललिता को चण्डी का स्थान प्राप्त है। इनकी पूजा पद्धति देवी चण्डी के समान ही है। इस दिन ललितासहस्रनाम व ललितात्रिशती का पाठ किया जाए तो हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
शारदीय नवरात्रि
कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं मां चंद्रघंटा
नवरात्रि की तृतीया तिथि यानी तीसरा दिन माता चंद्रघंटा को समर्पित है। यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरूप है । इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। असुरों के साथ युद्ध में देवी चंद्रघंटा ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश किया था। नवरात्रि के तृतीय दिन इनका पूजन किया जाता है। इनके पूजन से साधक को मणिपुर चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वत: प्राप्त हो जाती हैं तथा सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
रोग, शोक दूर करती हैं मां कूष्मांडा
नवरात्रि की चतुर्थी तिथि की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं। देवी कूष्मांडा रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली हैं। इनकी भक्ति करने वाले श्रद्धालु को धन-धान्य और संपदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। मां दुर्गा के इस चतुर्थ रूप कूष्मांडा ने अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। इसी वजह से दुर्गा के इस स्वरूप का नाम कूष्मांडा पड़ा।
मां कूष्मांडा के पूजन से हमारे शरीर का अनाहत चक्रजागृत होता है। इनकी उपासना से हमारे समस्त रोग व शोक दूर हो जाते हैं। साथ ही, भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य के साथ-साथ सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुख भी प्राप्त होते हैं।
शारदीय नवरात्रि
तृतीया तिथि यानी की तीसरे दिन को माता दुर्गा को दूध का भोग लगाएं ।इससे दुखों से मुक्ति मिलती है।
नवरात्रि के चौथे दिन यानी चतुर्थी तिथि को माता दुर्गा को मालपुआ का भोग लगाएं ।इससे समस्याओं का अंत होता है ।
नवरात्रि के दिनों में जप करने का मंत्र
🌷
नवरात्रि के दिनों में ' ॐ श्रीं ॐ ' का जप करें ।
विद्यार्थी के लिए
नवरात्रि के दिनों में खीर की २१ या ५१ आहुति गायत्री मंत्र बोलते हुए दें । इससे विद्यार्थी को बड़ा लाभ होगा।
पंचक
15 अक्टूबर 2021 से 20 अक्टूबर 2021 तक।
. 12 नवंबर 2021 से 16 नवंबर 2021 तक।
. 09 दिसंबर 2021 से 14 दिसंबर 2021 तक।
एकादशी
16 अक्टूबर: पापांकुशा एकादशी
एकादशी व्रत
01 नवंबर: रमा एकादशी
14 नवंबर: देवुत्थान एकादशी
30 नवंबर: उत्पन्ना एकादशी
14 दिसंबर: मोक्षदा एकादशी
30 दिसंबर: सफला एकादशी
प्रदोष
अक्टूबर 2021: प्रदोष व्रत
04 अक्टूबर: सोम प्रदोष
17 अक्टूबर: प्रदोष व्रत
नवंबर 2021: प्रदोष व्रत
02 नवंबर: भौम प्रदोष
16 नवंबर: भौम प्रदोष
दिसंबर 2021: प्रदोष व्रत
02 दिसंबर: प्रदोष व्रत
31 दिसंबर: प्रदोष व्रत
पूर्णिमा
20 अक्टूबर , बुधवार: आश्विन पूर्णिमा
18 नवंबर, बृहस्पतिवार : कार्तिक पूर्णिमा
18 दिसंबर, शनिवार: मार्गशीर्ष पूर्णिमा
अमावस्या
कार्तिक अमावस्या 04 नवम्बर 2021, गुरुवार
मार्गशीर्ष अमावस्या 04 दिसम्बर 2021, शनिवार
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