Indian Railways : कानपुर-झांसी रेल रूट के इलेक्ट्रिफिकेशन के बाद पहली बार दौड़ी मेमू ट्रेन

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  • यात्री बोले- कानपुर-झांसी रेल रूट पर इलेक्ट्रिक लाइन होने से राहत


कानपुर-झांसी रूट पर मेमू ट्रेन चलाने की तैयारियां काफी पहले शुरू हो गई थीं। आखिरकार पहली मेमू का सफर शुरू हो गया। पहली ट्रेन में यात्रा करने वाले यात्रियों ने अनुभव साझा करते हुए खुशी जताई है।





प्रारब्ध न्यूज़ ब्यूरो, जालौन


कानपुर-झांसी रेलखंड पर गुरुवार को पहली बार आठ डिब्बों वाली मेमू ट्रेन दौड़ी, हालांकि पहले दिन 36 मिनट की देरी से ट्रेन उरई स्टेशन पर पहुंची। एक मिनट स्टापेज के बाद झांसी के लिए रवाना हुई। यात्रियों ने अनुभव साझा करते हुए सफर को आरामदायक बताया। खुशी जताते हुए बोले, अलग ही अहसास था। कब सफर कट गया, पता ही नहीं चला। उरई से झांसी जाने के लिए 32 यात्रियों ने टिकट खरीदें, जिससे रेलवे को 1405 रुपये आय हुई ‌‌‌‌‌‌


कानपुर-झांसी रेल खंड के इलेक्ट्रिक लाइन का काम पूरा होने के बाद मेमू ट्रेन के संचालन की मांग जोर पकड़ रही थी। इसे देखते हुए तैयारियां भी शुरू कर दी गईं थीं। हालांकि कुछ कारण होने की वजह से मेमू के संचालन में देरी हुई, लेकिन आखिरकार मेमू ट्रेन पटरी पर आ ही गई। मेमू ट्रेन कानपुर से सुबह सात बजकर पांच मिनट पर रवाना की गई। ट्रेन का उरई आने का समय 10 बजकर 55 मिनट का है। झांसी पहुंचने का समय दो बजकर 35 मिनट है।


कानपुर-झांसी के बीच में पुखरायां और उरई समेत कई बड़े स्टेशन और हाल्ट हैं, जहां से यात्रियों की संख्या काफी रहती है। मेमू संचालन शुरू होने के बाद लोकल यात्रियों को खासा सुविधा होगी।


उरई स्टेशन पर यह ट्रेन 11 बजकर 32 मिनट पर आई है। प्लेटफार्म नंबर तीन पर ट्रेन आई तो यहां से चढऩे वाले यात्रियों में सफर को लेकर गजब उत्सुकता थी। स्टेशन अधीक्षक एससी अग्रवाल ने कहा कि यह ट्रेन प्रत्येक दिन चलेगी। मेमू ट्रेन के लोको पायलट ओपी सिंह ने बातया कि मेमू ट्रेन की रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई है। यह कम समय में अपनी फुल स्पीड में आ जाती है। रोकने की क्षमता अलग ही है। कम दूरी में भी रोक सकते हैं। दोनों तरफ इंजन होने से ट्रेन को चलाने में मदद मिलती है।


यात्रियों की जुबानी कैसा रहा मेमू का सफर


मेमू ट्रेन में बैठकर यात्रा करने का एक अलग अहसास हो रहा था। अन्य ट्रेनों की अपेक्षा यह ज्यादा ही आरामदायक है। किसी तरह की परेशानी महसूस नहीं होती है। 

आनेंद्र नारायण


मेमू ट्रेन में बैठने की अच्छी व्यवस्था थी। कब सफर बीत गया, कुछ पता ही नहीं चला। ट्रेन 36 मिनट लेट थी। फिर भी कोई दिक्कत महसूस नहीं हुई।

आशीष शुक्ला। 

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