Prarabdh Dharm-Aadhyatm : आज का पंचांग (14 सितम्बर 2021)

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दिनांक : 14 सितम्बर, दिन : मंगलवार


विक्रम संवत : 2078 (गुजरात - 2077)


शक संवत : 1943


अयन : दक्षिणायन


ऋतु : शरद


मास : भाद्रपद


पक्ष : शुक्ल


तिथि : अष्टमी दोपहर 01:09 बजे तक तत्पश्चात नवमी


नक्षत्र : जेष्ठा सुबह 07:05 बजे तक तत्पश्चात मूल


योग : आयुष्मान 15 सितम्बर रात्रि 03:25 बजे तक तत्पश्चात सौभाग्य


राहुकाल : दोपहर 03:38 बजे से शाम 05:10 बजे तक



सूर्योदय : प्रातः 06:26 बजे



सूर्यास्त : संध्या 18:41 बजे


दिशाशूल : उत्तर दिशा में


पंचक


18 सितंबर दोपहर 3.26 बजे से 23 सितंबर प्रात: 6.45 बजे तक


एकादशी व्रत



17 सितंबर : परिवर्तिनी एकादशी


प्रदोष व्रत


18 सितंबर : शनि प्रदोष 


पूर्णिमा व्रत



20 सितंबर : सोमवार भाद्रपद


व्रत पर्व विवरण


राधाष्टमी, दधीचि ऋषि जयंती, गौरी विसर्जन, भागवत सप्ताह प्रारंभ, राष्ट्रभाषा दिवस




15 सितम्बर, बुधवार को भाद्रपद मास, शुक्ल नवमी तिथि है।


विशेष 




अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)



कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जाएगा



अगर अशांति मिटानी है तो दोनों नथुनों से श्वास लें और ‘ॐ शान्ति: शान्ति:’ जप करें और फिर फूँक मार के अशांति को, बाहर फेंक दें। जब तारे नहीं दिखते हों, चन्द्रमा नहीं दिखता हो और सूरज अभी आनेवाले हों तो वह समय मंत्रसिद्धि योग का है, मनोकामना-सिद्धि योग का है।



इस काल में किया हुआ यह प्रयोग अशांति को भगाने में बड़ी मदद देगा। अगर निरोगता प्राप्त करनी है तो आरोग्यता के भाव से श्वास भरें और आरोग्य का मंत्र ‘नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।।’ जपकर ‘रोग गया’ ऐसा भाव करके फूँक मारें। ऐसा 10 बार करें। कैसा भी रोगी, कैसा भी अशांत और कैसा भी बिखरा हुआ जीवन हो, सँवर जाएगा।


              

मनोकामनापूर्ति योग


देवी भागवत में व्यास भगवान ने बताया है। भाद्रपद मास, शुक्ल नवमी तिथि हो। अगर कोई जगदंबाजी का पूजन करता है, तो उसकी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं और जिंदगी जब तक रहेगी वो सुखी और संपन्न रहेगा। इस दिन इन मंत्रों का जप करें:-


ॐ अम्बिकाय नम :


ॐ श्रीं नम :


ॐ ह्रीं नम:


ॐ पार्वेत्येय नम :


ॐ गौराये नम :


ॐ शंकरप्रियाय नम :


थोड़ी देर तक बैठकर जप करना और जिसको धन धान्य है, वो माँ से कहना मेरी गुरुचरणों में श्रध्दा बढ़े, भक्ति बढ़े (ये भी एक संपत्ति है साधक की) मेरी निष्ठा बढ़े मेरी उपासना बढ़े।

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