राष्ट्रपति बोले- पुरातन चिकित्सा पद्धतियों के शिक्षा का केंद्र बनेगा आयुष विश्वविद्यालय

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  • महायोगी गुरु गोरक्षनाथ ने योग की महिमा को दुनिया भर में किया था स्थापित

प्रारब्ध न्यूज ब्यूरो, गोरखपुर


राष्ट्रपति राम नाथ
कोविन्द भटहट के पिपरी में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के भूमि पूजन व शिलान्यास के बाद आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शरीर को स्वस्थ एवं निरोगी रखने के लिए देश में तमाम पुरातन चिकित्सा पद्धतियां हैं। आयुष विद्यालयों से इन पुरातन चिकित्सा पद्धतियों की सुव्यस्थित शिक्षा प्रदान की जाती हैं। देश के दक्षिण क्षेत्र में तमाम लोग आयुष चिकित्सा पद्धति को अपना रहे हैं। अब प्रदेश में आयुष चिकित्सा पद्धति को आगे ले जाने में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय अहम भूमिका निभाएगा। 

राष्ट्रपति ने कहा कि शरीर ही सभी संकल्पों को पूरा करने का प्रथम माध्यम है। आप स्वस्थ रहें, निरोगी रहें, इसके लिए ही महायोगी गुरु गोरक्षनाथ आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है। इस आयुष विश्वविद्यालय के शिलान्यास से मुझे अति प्रसन्नता हो रही है। महायोगी गुरु गोरक्षनाथ ने पूरी दुनिया में योग की महिमा को स्थापित किया था। उन्होंने योग साधना से जुड़े गुरु गोरक्षनाथ के तमाम श्लोकों का जिक्र करते हुए कहा कि शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नित्य योग साधना करना ही पर्याप्त है। 

हमारे ग्रंथों में वर्णित योग की महत्ता

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के ग्रंथों में योग की महानता का वर्णन है। इसलिए भारत सरकार पुरातन भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी व होम्योपैथिक के विकास के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। आज पूरी दुनिया भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धति को अपना रही है। इन पद्धतियों को अपनाकर असाध्य रोगों का आसानी से उपचार हो जाता है और जीवन सुखमय हो जाता है। 

राष्ट्रपति ने मौसम का भी किया जिक्र

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में मौसम का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वह जब लखनऊ पहुंचे तो मौसम खराब था। लग रहा था कि कार्यक्रम में कोई बाधा न आए, लेकिन यहां के लोगों के महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के प्रति असीम समर्पण ने इंद्रदेव को भी बाध्य कर दिया। अब तो वह कार्यक्रम खत्म होने के बाद ही लोगों को अपना आशीर्वाद देने आएंगे।

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