Prarabdh Today's Panchang : आज का पंचांग एवं व्रत-त्योहार (26 जुलाई 2021)

0
26 जुलाई, दिन : सोमवार

विक्रम संवत : 2078 (गुजरात : 2077)

शक संवत : 1943

अयन : दक्षिणायन

ऋतु : वर्षा


मास - श्रावण 


पक्ष - कृष्ण


तिथि - तृतीया 27 जुलाई रात्रि 02:54 तक तत्पश्चात चतुर्थी


नक्षत्र - धनिष्ठा सुबह 10:46 तक तत्पश्चात शतभिषा


योग - सौभाग्य रात्रि 10:40 तक तत्पश्चात शोभन


राहुकाल - सुबह 07:49 से सुबह 09:28 तक


सूर्योदय : प्रातः 06:11 बजे


सूर्यास्त : संध्या 19:18 बजे


दिशाशूल - पूर्व दिशा में


व्रत पर्व विवरण -


जयापार्वती व्रत पारणा (गुजरात)

 
विशेष -

तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)


पंचक

पंचक आरम्भ

25 जुलाई, रविवार को रात 10:48 बजे

पंचक अंत

30 जुलाई 30, शुक्रवार को रात 02:03 बजे तक

एकादशी
   
जुलाई 30, 2021, शुक्रवार को 02:03 शाम
एकादशी
 

पूर्णिमा


श्रावण पूर्णिमा 22 अगस्त, रविवार

अमावस्या

अगस्त 2021 में अमावस्या तिथि (हरियाली अमावस्या) 07 अगस्त 7:11 बजे - 08 अगस्त 7:20 बजे


प्रदोष


05 अगस्त: प्रदोष व्रत

20 अगस्त: प्रदोष व्रत


मंगलवारी चतुर्थी


27 जुलाई 2021 मंगलवार को (सूर्योदय से रात्रि 02:29 तक) अंगारकी - मंगलवारी चतुर्थी है ।

अंगार चतुर्थी को सब काम छोड़ कर जप-ध्यान करना ।जप, ध्यान, तप सूर्य-ग्रहण जितना फलदायी है।

 बिना नमक का भोजन करें

मंगल देव का मानसिक आह्वान करो

चन्द्रमा में गणपति की भावना करके अर्घ्य दें

कितना भी कर्ज़दार हो ..काम धंधे से बेरोजगार हो। रोज़ी रोटी तो मिलेगी और कर्जे से छुटकारा मिलेगा |


अगर व्‍यवसाय में हान‍ि का सामना करना पड़ रहा हो तो सावन के सोमवार को शिव-मंदिर में जाकर शिवलिंग पर दूध-जल चढ़ाएं। साथ ही रुद्राक्ष की माला से ‘ऊं सोमेश्वराय नमः’ मंत्र का 108 बार जप करें। इसके साथ ही भगवान शिव के सामने ‘दारिद्रदहन शिव स्‍तोत्र’ का पाठ करें। मान्‍यता है क‍ि इसका पाठ करने से आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है।


अगर आप या आपके पर‍िवार में कोई भी व्‍यक्ति कई बीमार‍ियों से ग्रसित हो तो उसे सावन सोमवार के दिन भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। मान्‍यता है क‍ि ऐसा करने से श‍िवशंकर की कृपा से सभी बीमार‍ियों का नाश होता है।

विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए

27 जुलाई 2021 मंगलवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 10:06)

शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें।

ॐ गं गणपते नमः ।
ॐ सोमाय नमः ।

        

चतुर्थी‬ तिथि विशेष


चतुर्थी तिथि के स्वामी ‪भगवान गणेश‬जी हैं।

हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं।

पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।

शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥

अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्ष तक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।

Post a Comment

0 Comments

if you have any doubt,pl let me know

Post a Comment (0)
To Top